पाकिस्तान के फेंके सिक्कों पर पल रहे खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत पन्न पाकिस्तानी मीडिया से बात करते हुए जाने—अनजाने यह कबूल कर गया है कि खालिस्तान को पाकिस्तान का सहारा है, वही उसे चलाए हुए है। खालिस्तान पाकिस्तान का ‘औजार’ है। पहलगाम पर पाकिस्तानी मीडिया के सहारे खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत ने दुष्प्रचार करना और पाकिस्तान की तारीफें करना शुरू कर दिया है। उस आतंकी की इस हद तक कहने की जुर्रत की है कि ‘पहलगाम का हमला भारत का रचा षड्यंत्र है।’
आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू अमेरिकी-कनाडाई नागरिक है। वह खुद को वकील बताता है, सिखों के ‘अधिकारों’ की बात करके अलगाववादी खालिस्तानी भावनाएं भड़काता है और भारत के खिलाफ जहर उगलता है। आएदिन वीडियो बनाकर सिखों को भड़काता और खोखली धमकियां जारी करता रहता है जिसे सही सोच के सिख बंधु भाव तक नहीं देते।
पन्नू ने कल पाकिस्तान के यूट्यूब चैनल ‘आजाद सियासत’ से बात की। अपने उस इंटरव्यू में भी उसने भारत-विरोधी खालिस्तानी जहर उगला। आतंकी गुरपतवंत पन्नू ने मूर्खतापूर्ण और विषैली सोच सामने रखी। बिना आधार के भड़काने वाले दावे किए। उसने भारत की एकता और अखंडता को चुनौती दी और देश में आग लगाने की साजिशों की झलक दी। उसने कहा कि पंजाब में रह रहे सिख भारत सरकार को पाकिस्तान पर कैसा भी हमला करने की इजाजत दे ही नहीं सकते। पन्नू ने पहलगाम जिहादी हमले को भारतीय गुप्चतर एजेंसियों का षड्यंत्र बताया। उसने कहा कि यह बिहार विधानसभा चुनावों को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी ने अपने फायदे के लिए रचाया है। ऐसा ही कुछ दुष्प्रचार भारत के विरोधी दलों के सेकुलर नेता भी फैला रहे हैं।
खालिस्तानी आतंकी पन्नू ने जिन्ना के देश की शह पर किए गए उस हमले को इस्लामी आतंक मानने से इंकार करते हुए कहा कि यह भारत की साजिश थी। पन्नू इतना बेशर्म है कि उसके शब्दों से साफ दिखता है कि वह पाकिस्तान के फेंके टुकड़ों पर पलता है। सिख बाने में छुपे इस शैतान का कहना है कि ‘बीजेपी बिहार चुनाव में वोटों का ध्रुवीकरण कराना चाहती है इसलिए राजनीतिक फायदे के लिए पहलगाम का षड्यंत्र रचाया गया है’। पन्नू की पाकिस्तान को लेकर चापलूसी का हाल यह है कि उसने यह भी कहा कि अक्सर तब ऐसे हमले होते हैं, जब अमेरिका का कोई बड़ा नेता भारत आता है, इससे भारत को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की छवि खराब करने का मौका मिल जाता है। पन्नू भी जानता है कि उसकी इस बकवास को पुष्ट करने वाले कोई सबूत नहीं हैं। लेकिन वह जो भी बोलता है कि उसका मकसद भारत को बदनाम करना ही होता है।
गुरपतवंत सिंह पन्नू इतना बेशर्म और बेआधार का व्यक्ति है कि कहता है पंजाब वाले और भारत की सेना में शामिल सिख पाकिस्तान के विरुद्ध युद्ध में साथ नहीं देंगे। भारत के सिंधु जल समझौते पर भी पन्नू ने जहरीले बोल बोले कि यह भारत की आक्रामकता है, भारत तो चाहता ही है कि पाकिस्तान का पानी रोक दे। पन्नू की बातों से पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष और प्रधानमंत्री शरीफ की चापलूसी का संकेत होता है। दोनों ने कहा है कि नदी के पानी को रोकना युद्ध जैसी कार्रवाई ही है।
पाकिस्तानी यूट्यूब चैनल पर पन्नू ने कहा कि सिख भारत को पंजाब के रास्ते हमला करने से रोक देंगे। 2025 में आज 1965 और 1971 से अलग हालात हैं। उस मसखरे का दावा है कि ‘अगर खालिस्तान के मुद्दे पर पाकिस्तान खुलकर सामने आता है तो पंजाब के सिख भारत का साथ नहीं देंगे।’ पाकिस्तानी सरकार से पन्नू की मांग है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वह खालिस्तान का मुद्दा उठाए। पन्नू किस हद तक भारत को छिन्न भिन्न करने की मंशा पाले बैठा पाकिस्तान का पिट्ठू है, यह उसकी नफरती बातों से साफ झलकता है।
इंटरव्यू के दौरान पन्नू ने पाकिस्तान की कई बार तारीफ की। शरीफ सरकार द्वारा सिख तीर्थयात्रियों को करतारपुर साहिब जाने के लिए वीसा देने का जिक्र किया। उसने इसे एक अच्छा कदम बताया। पन्नू इतना शातिर है कि पाकिस्तान को भारत के विरुद्ध एक हथियार के तौर देख रहा है।
पन्नू ने कश्मीर में चल रहे तथाकथित ‘आजादी आंदोलन’ का पक्ष लेते हुए आतंकवादी घटनाएं करने वाले जिहादियों को ‘आजादी के लड़ाके’ बताया। खालिस्तानी आतंकी ने अमेरिका, यूके और कनाडा में रह रहे कश्मीरियों के लिए भी जहर उगला। उसने कहा कि उन्हें कश्मीर में सक्रिय आतंकियों के समर्थन में वहां के भारतीय दूतावासों के सामने प्रदर्शन करना चाहिए।
गुरपतवंत सिंह पन्नू खालिस्तानी भावनाएं भड़काने के लिए सिख्स फॉर जस्टिस नाम का एक गुट चलाता है। इसके गुट के माध्यम से वह अपनी जहर बुझा साहित्य छापता है। खुद को सिख बताने वाला पन्नू सिख पंथ के मूल्यों का सम्मान नहीं करता, युवा सिखों को अलगावाद के लिए उकसाता है।
पन्नू के इस इंटरव्यू से यह तो साफ हो गया है कि पाकिस्तान का मीडिया उस खालिस्तानी आतंकी के माध्यम से भारत विरोधी दुष्प्रचार फैला रहा है। पहलगाम की वजह से पाकिस्तान की दुनियाभर में हो रही फजीहत और बदनामी को कमतर करने के लिए इस प्रकार के हथकंडे पाकिस्तान पहले भी अपना चुका है। लेकिन ऐसे प्रयासों से भी उसे कोई फायदा नहीं पहुंचा है। कारण यही है कि दुनिया के अधिकांश देश कंगाल पाकिस्तान को कोई सम्मान नहीं देते और वहां की सरकार को कोई भाव नहीं देते।
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