जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद बढ़े तनाव के बीच भारत और फ्रांस के बीच सोमवार को 26 राफेल समुद्री विमानों का बड़ा सौदा हुआ। भारत और फ्रांस के बीच लगभग 63,000 करोड़ रुपये का एक बड़ा समझौता हुआ है। इस समझौते के अनुसार, भारतीय नौसेना को फ्रांस से 26 राफेल-एम लड़ाकू विमान मिलेंगे। भारत की तरफ से इस समझौते पर रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर नौसेना के उप प्रमुख वाइस एडमिरल के. स्वामीनाथन भी मौजूद थे।
इस डील में 22 सिंगल-सीट और 4 ट्विन-सीट विमान शामिल हैं। ये लड़ाकू विमान भारत के स्वदेशी विमानवाहक पोत ‘आईएनएस विक्रांत’ पर तैनात किए जाएंगे। इससे भारतीय नौसेना की ताकत काफी बढ़ेगी। माना जा रहा है कि यह कदम पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका साबित होगा। बता दें, 1971 के युद्ध में भी भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी थी।
भारत और फ्रांस के बीच 2016 में भी एक समझौता हुआ था, जिसके तहत भारतीय वायु सेना के बेड़े में पहले से ही 36 विमान हैं। ये विमान अंबाला और हाशिमारा एयरबेस से संचालित होते हैं। अब इन 26 नए विमानों के आने से भारत के पास कुल 62 राफेल लड़ाकू विमान हो जाएंगे।
Rafale-M फाइटर जेट की खासियत
राफेल-एम एक मल्टी-रोल फाइटर जेट है यानी यह एक साथ कई तरह के युद्ध अभियानों को अंजाम दे सकता है। इसमें अत्याधुनिक AESA रडार लगा है, जो दुश्मन के लक्ष्यों का आसानी से पता लगा सकता है और उन पर नजर रख सकता है। इसमें स्पेक्ट्रा इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम भी है, जो इसे दुश्मन के रडार से बचाता है और स्टेल्थ क्षमता प्रदान करता है। राफेल-एम में हवा में ही ईंधन भरने की सुविधा है, जिससे इसकी उड़ान रेंज काफी बढ़ जाती है। यह विमान समुद्र में निगरानी, जासूसी, हमले और दुश्मन के जहाजों को निशाना बनाने जैसे कई मिशन कर सकता है। इसमें मेटियोर, स्कैल्प और एक्सोसैट जैसी आधुनिक मिसाइलें और प्रेसिशन गाइडेड बम लगाए जा सकते हैं। इसके आने से भारत को हवा, समुद्र और जमीन – तीनों मोर्चों पर सुरक्षा मजबूत करने में मदद मिलेगी।
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