आतंकी हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देते और प्रकोष्ठ में एक पीड़ित परिवार को ढांढस बंधाते गृहमंत्री अमित शाह।
यह तो मानना पड़ेगा कि कम से कम पिछले पांच साल से कश्मीर घाटी में शांति और समृद्धि बढ़ रही थी। पर्यटन बढ़ गया था, कारोबार बढ़ रहा था। वास्तव में यह पाकिस्तान को पसंद नहीं है। इसलिए लग रहा था कि पाकिस्तान कुछ न कुछ करेगा। कैसे करेगा, यह पता नहीं था। पहलगाम की घटना ने बता दिया कि पाकिस्तान क्या करना चाहता था। पहलगाम में जो कुछ हुआ, वह इंसानियत के नाम पर बहुत बड़ा धब्बा है। पर्यटक तो कश्मीर और कश्मीरियों की भलाई के लिए आते हैं। उनके यहां आने से कश्मीर की अर्थव्यवस्था मजबूत होती है। घाटी में शांति होने की वजह से ही यहां पर्यटक आते हैं। इसलिए पाकिस्तान कश्मीर की शांति को भंग करना चाहता है।
दूसरी बात, उसे यह भी पसंद नहीं है कि कश्मीर में समृद्धि बढ़े, स्थिरता बढ़े। इसके विपरीत कश्मीर की गरीबी खत्म हो रही थी, कश्मीर के लोग पैसा कमा रहे थे। इसलिए पाकिस्तानी आतंकवादियों ने पर्यटकों को निशाना बनाया। ये दुष्ट सैन्य ठिकानों पर भी हमले कर सकते थे, लेकिन इसके लिए उन्होंने पर्यटकों को चुना। यानी उनका मकसद है कि किसी भी सूरत में कश्मीर को बर्बाद करना, यहां पर्यटकों को आने से रोकना है।
पाकिस्तान चाहता है कि कश्मीर में ऐसे हालात बनें कि कश्मीरी युवा आतंकवाद की ओर चले जाएं। इसे दुनिया ने देखा है कि गत पांच वर्ष से कश्मीरी युवा आतंकवाद की ओर नहीं जा रहे। जो भी आतंकवादी आ रहे हैं, वे पाकिस्तानी हैं।
पहलगाम की घटना के बाद कश्मीरियों को लगता है कि इससे कश्मीरियत और कश्मीरियों का नुकसान होगा। इस कारण मस्जिदों के मौलवियों ने लाउडस्पीकर से एलान किया कि पहलगाम में जो हुआ, वह इस्लाम नहीं है। इसके बाद कुपवाड़ा से कठुआ तक और श्रीनगर से अनंतनाग तक हर जगह कश्मीरी बाहर निकले और उन्होंने दहशतगर्दों के खिलाफ प्रदर्शन किया।
लश्कर-ए-तैयबा हमले करवा रहा है। हम सब जानते हैं कि लश्कर-ए-तैयबा पाकिस्तान में है। हम क्यों नहीं अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान को एक आतंकवादी देश घोषित करवाते हैं! पहलगाम में सिर्फ पर्यटकों का कत्ल नहीं हुआ है, यह कश्मीरियत का कत्ल है। कश्मीर के लोग दशकों से आतंकवाद को झेल रहे हैं। अब हम पूरी तरह टूट चुके हैं।
इसके लिए पाकिस्तान तो जिम्मेदार है ही, साथ में हम सब भी जिम्मेदार हैं। पाकिस्तान का एक ही मिशन है— कश्मीर को बर्बाद करना, भारत को तंग करना। अब भारत को यह तय करना होगा कि कब तक इस आतंकवाद को बर्दाश्त किया जाए! 23 अप्रैल को भारत सरकार ने पाकिस्तान पर जो सख्त प्रतिबंध लगाए हैं, वे सराहनीय हैं। हमारा पानी पाकिस्तान जाता है और इसका मजा वह लेता है।
कश्मीर में सर्दी में बिजली की बड़ी दिक्कत होती है, क्योंकि 1960 में भारत ने पाकिस्तान के साथ समझौता किया है कि हम कश्मीर में सिंधु नदी पर बांध नहीं बनाएंगे। हम ‘रनिंग वाटर’ पर बिजली बनाएंगे। यदि एक बार भारत यह समझौता खत्म करता है और कश्मीर में डैम बनाता है तो हमें पाकिस्तान पर बंदूकों से हमले करने की कोई जरूरत नहीं है।
पाकिस्तान जब भी ऐसी कोई हरकत करेगा तो डैम का मात्र गेट खोल देने से सारा पाकिस्तान पानी में बह सकता है। इसलिए आज भारत यह समझौता समाप्त कर दे तो पाकिस्तान भारत के कदमों में झुक जाएगा। पाकिस्तान कहेगा, ‘खुदा के वास्ते ऐसा काम मत करो। आज के बाद हम आतंकवाद नहीं फैलाएंगे।’
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