पश्चिम बंगाल

पहलगाम आतंकी हमले में धर्म पूछकर हत्या से दुखी पश्चिम बंगाल के साबिर हुसैन ने त्यागा इस्लाम

पहलगाम में धर्म पूछकर हत्या से आहत पश्चिम बंगाल के शिक्षक साबिर हुसैन ने इस्लाम त्यागने का ऐलान किया। वे अदालत में कानूनी प्रक्रिया शुरू करेंगे और केवल इंसान के रूप में जीना चाहते हैं। पढ़ें उनकी पूरी कहानी।

Published by
Kuldeep singh

जम्मू कश्मीर के पहलगाम में जिस प्रकार से पाकिस्तानी आतंकियों ने हिन्दुओं का धर्म पूछकर उनकी हत्या की है, उस घटना ने खुद इस्लाम को मानने वाले कई लोगों के विश्वास को धक्का दिया है। इसका असर ये हो रहा है लोग इस्लाम को त्याग रहे हैं। मध्य प्रदेश के इंदौर में एक दरगाह के खादिम शहाबुद्दीन द्वारा सनातन धर्म में घर वापसी के बाद अब पश्चिम बंगाल में भी एक मुस्लिम शिक्षक ने इस्लाम त्याग दिया है।

रिपोर्ट्स के अनुसार, इस शिक्षक की पहचान साबिर हुसैन के तौर पर हुई है। पेशे से स्कूल टीचर साबिर हुसैन कहते हैं कि पहलगाम आतंकी हमले में धर्म पूछकर की हत्या ने मुझे गहरा आघात दिया है। कोई किसी का धर्म पूछकर कैसे हत्याएं कर सकता है। वह पश्चिम बंगाल के बदुरिया के रहने वाले हैं। सोशल मीडिया के जरिए अपने फैसले की घोषणा करते हुए साबिर हुसैन ने कहा कि मैं इस्लाम त्याग रहा हूं। अब से मैं किसी भी धार्मिक पहचान से मुक्त रहना चाहता हूं।

हालांकि, साबिर हुसैन का ये भी कहना है कि मैंने देखा है किस प्रकार से हिंसा के लिए हर बार धर्म का सहारा लिया जाता है। कश्मीर में तो ये आम बात सी हो गई है। मैं इन सारी चीजों से पक गया हूं औऱ अब हर धार्मिक लेबल से ऊपर उठकर केवल एक इंसान के तौर पर जीना चाहता हूं। रही बात मेरी पत्नी और बच्चों की तो वो भी अपना खुद का रास्ता चुनने के लिए स्वतंत्र हैं।

कई लोग त्यागेंगे इस्लाम

सबीर कहते हैं कि कश्मीर में हुए आतंकी हमले मे पहचान पूछकर हत्या की घटना ने कईयों को झकझोर दिया है। मैं तो केवल शुरुआत कर रहा हूं। आने वाले वक्त में बहुत से और लोग इस्लाम त्यागने जा रहे हैं।

अदालत जाने की तैयारी

फेसबुक पर अपने फैसले को लेकर जानकारी देते हुए साबिर हुसैन कहते हैं कि अभी मैंने मौखिक तौर पर इस्लाम का परित्याग किया है, लेकिन अब इसे कानूनी तौर पुख्ता करने के लिए अदालत में अर्जी दूंगा। साबिर हुसैन कहते हैं कि मैं अपने फैसले से किसी भी धर्म का अनादर नहीं करना चाहता, क्योंकि ये मेरी अपनी यात्रा है। इससे मेरे परिवार पर किसी तरह का कोई दवाब नहीं आएगा। वह ये भी कहते हैं कि ये बड़ी ही चिंता का विषय है कि आज समाज में सारी चीजें धर्म के ही आसपास घूमती हैं। मुझे अब दुनिया से मोह नहीं रहा।

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