पाकिस्तानी आतंकी (बाएं से) अबु ताल्हा और सुलेमान शाह (दाएं से पहला) एवं तीसरे स्थान पर स्थानीय आतंकी जुनैद जो एक मुठभेड़ में पहले ही मारा जा चुका है
जम्मू -कश्मीर में पिछले 35 वर्ष से जिहाद चल रहा है। इस्लामिक आतंकी चुन—चुनकर हिन्दुओं को मारते आ रहे हैं। 1990 से लेकर अब तक कश्मीर में हिन्दुओं को लेकर बहुत ज्यादा कुछ नहीं बदला है। इसलिए पहलगाम में जो हुआ, वह हिन्दू नरसंहार ही है। जो इसे नहीं मानता वह सत्य को झुठला रहा है। आज घाटी ही नहीं अपितु जम्मू क्षेत्र भी आतंकी तपिश से जूझ रहा है।
पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने एक सुनियोजित साजिश के तहत जम्मू क्षेत्र की ओर रुख किया है। राजौरी, कठुआ, पुंछ पिछले तीन—चार साल से अत्यधिक प्रभावित हैं। यहां के कई स्थान तो सेना के लिए भी दुर्गम बने हुए हैं। जिहादी दिन-प्रतिदिन हिंदू बहुल इलाकों में अपनी पैठ को मजबूत करते हुए जम्मू रीजन को घेरने की कोशिश में लगे हैं। लेकिन एक वर्ग है, जो इस पर अलग—अलग बातें करके पर्दा डालता है। यह समूचे जम्मू—कश्मीर के लिए ठीक नहीं है।
पहलगाम में इस्लामिक आतंकी मारने से पहले यह पहचान कर रहे थे कि कि व्यक्ति हिंदू है या नहीं। जिहादी आपको सिर्फ और सिर्फ काफिर की दृष्टि से देखते हैं। लेकिन हम उन्हें इस दृष्टि से देख ही नहीं पाते। कश्मीर का जो मूल चरित्र है, उसके पीछे मुस्लिम बहुसंख्यक राज्य है, जिसे आप सेकुलर बनाना चाहते हैं। अगर वहां के लोग सेकुलर ही होते तो 1988 से अब तक कश्मीर से विस्थापित हुए हिन्दू अपने घरों में बस चुके होते। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। क्यों नहीं हुआ, उसकी पड़ताल की जानी चाहिए। क्योंकि कश्मीर में एक ऐसा वर्ग है जो यहां निजामे-मुस्तफा का शासन चाहता है। शरिया चाहता है। वह भारत को देश नहीं मानता।
वह कश्मीरी हिन्दुओं को बसने नहीं देना चाहता। वह जानता है कि कश्मीर में जैसे ही कश्मीरी हिन्दू बसेगा, वैदिक संस्कृति से कश्मीर गुंजायमान होने लगेगा। भारतीयता का शंखनाद होने लगेगा। भारत की बात होने लगेगी। भारत माता की पूजा होने लगेगी। क्या उस वर्ग को कभी यह बर्दाश्त होगा जिसने बंदूक के दम पर लाखों कश्मीरी हिन्दुओं को पलायन करने पर मजबूर कर दिया!
मेरा मानना है कि चाहे मुर्शिदाबाद हो या कश्मीर, जब तक नरसंहार पर चुप रहोगे तो ये रक्तबीज बढ़ते ही रहेंगे। कल मालदा था, आज पहलगाम है और अगले दिन कहीं और हिन्दुओं को लक्षित करके ऐसी ही घटना को अंजाम दिया जाएगा।
पहलगाम में पर्यटकों को इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि वे हिंदू थे। दूसरा, देश के अलग-अलग स्थानों से आए थे। इसलिए पूरे देश में एक संदेश गया। यह संदेश क्या है कि कश्मीर में अभी कुछ नहीं बदला है। कश्मीर में आज भी आतंकवाद वैसा ही है जैसा था। इसलिए जड़ों पर प्रहार करने की जरूरत है। तना काट देने से काम नहीं चलेगा।
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