‘दि हिंदू मेनिफेस्टो’: सभ्यतागत पुनर्जागरण का एक ब्लूप्रिंट
July 19, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

‘दि हिंदू मेनिफेस्टो’: सभ्यतागत पुनर्जागरण का एक ब्लूप्रिंट

स्वामी विज्ञानानंद ने अपने उद्बोधन में बताया कि यह पुस्तक प्राचीन भारतीय ज्ञान को समकालीन समय के अनुसार पुनर्परिभाषित करती है।

by Sudhir Kumar Pandey
Apr 26, 2025, 11:48 pm IST
in भारत
नई दिल्ली में पीएम संग्रहालय में स्वामी विज्ञानानंद जी की पुस्तक 'हिंदू मेनिफेस्टो' का विमोचन करते राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत जी।

नई दिल्ली में पीएम संग्रहालय में स्वामी विज्ञानानंद जी की पुस्तक 'हिंदू मेनिफेस्टो' का विमोचन करते राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत जी।

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

वर्षों के गहन शोध और चिंतन का परिणाम, ‘दि हिंदू मेनिफेस्टो’ पुस्तक का आज दिल्ली में औपचारिक विमोचन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत, पहलगाम के क्रूर आतंकी हमले में मृतकों को श्रद्धांजलि स्वरूप दो मिनट के मौन के साथ हुई।

डॉ. प्रेरणा मल्होत्रा, हिंदू अध्ययन केंद्र की संयुक्त निदेशक, ने लेखक स्वामी विज्ञानानंद जी का परिचय कराया। उन्होंने स्वामी जी को आदि शंकराचार्य के पदचिह्नों पर चलने वाले और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की आधुनिक परंपरा का अनुसरण करने वाले तपस्वी के रूप में प्रस्तुत किया। ‘दि हिंदू मेनिफेस्टो’ अनेक पवित्र ग्रंथों और संदर्भ पुस्तकों के गहन अध्ययन का परिणाम है, जो विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता के पुनर्जागरण के लिए एक प्रभावी मार्गदर्शक के रूप में कारगर सिद्ध होगी।

स्वामी विज्ञानानंद ने अपने उद्बोधन में बताया कि यह पुस्तक प्राचीन भारतीय ज्ञान को समकालीन समय के अनुसार पुनर्परिभाषित करती है। उन्होंने कहा कि हिंदू चिंतन परंपरा सदा से समयानुकूल समाधान प्रस्तुत करती रही है, जबकि उसकी जड़ें सनातन सिद्धांतों में स्थापित हैं जिन्हें ऋषियों ने सूत्रों के माध्यम से व्यक्त किया है।

‘दि हिंदू मेनिफेस्टो’ के आठ मूल सूत्र हैं — सभी के लिए समृद्धि, राष्ट्रीय सुरक्षा, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, उत्तरदायी लोकतंत्र, महिलाओं का सम्मान, सामाजिक समरसता, प्रकृति की पावनता, मातृभूमि और विरासत के प्रति श्रद्धा ।

स्वामी विज्ञानानंद जी ने कहा कि हिंदू परंपरा पश्चिमी पूंजीवाद या समाजवाद के बजाय एक संतुलित आर्थिक मॉडल का समर्थन करती है, जिसमें संपत्ति सृजन और न्यायपूर्ण वितरण दोनों का महत्व है। उन्होंने बल दिया कि सच्चा धर्म केवल क्षमा नहीं, बल्कि आवश्यकता पड़ने पर शत्रु का संहार करने की भी शिक्षा देता है — जिसकी उपेक्षा से अतीत में भारी क्षति हुई।

उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में औपनिवेशिक काल में भारतीय प्रणाली के विनाश की चर्चा करते हुए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की अनिवार्यता पर बल दिया। स्वामी जी ने हिंदू सभ्यता के उत्तरदायी शासन और जनभागीदारी आधारित दृष्टिकोण को भी रेखांकित किया। हिंदू सभ्यता जन भागीदारी के साथ उत्तरदायी शासन की संस्तुति करती है तथा शासकों के प्रति निष्क्रिय स्वीकृति की मानसिकता को अस्वीकार करती है।

पुस्तक का दूसरा भाग सभ्यतागत पुनर्जागरण की रूपरेखा प्रस्तुत करता है — जिसमें महिलाओं की सुरक्षा व गरिमा (जैसे द्रौपदी से प्रेरणा), धर्म आधारित जाति और वर्ण की सही परिभाषा समझने वाला भेद रहित समाज,  प्रकृति के प्रति गहन श्रद्धा, और भारत की पावन भूमि एवं सांस्कृतिक एकता के प्रति सम्मान जैसे विषयों पर प्रकाश डाला गया है।

जीवन के सार्वभौमिक सत्य और आध्यात्मिक चेतना का सजीव रूप है धर्म

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि भौतिकतावादी विकास के पश्चिमी मॉडल विफल रहे हैं और उन्होंने असंतोष व पर्यावरणीय संकट को जन्म दिया है। उन्होंने भारत के सभ्यतागत दृष्टिकोण को “तीसरे मार्ग” के रूप में प्रस्तुत किया — एक ऐसा मार्ग जो भौतिक और आध्यात्मिक कल्याण का संतुलन बनाता है। उन्होंने कहा कि विश्व को मार्गदर्शन देने से पहले हिंदुओं को स्वयं ‘दि हिंदू मेनिफेस्टो’ में उल्लेखित  सिद्धांतों को अपने जीवन में उतारना होगा।

डॉ. भागवत ने स्मरण कराया कि ऐतिहासिक काल में भारत का प्रभाव बिना आक्रामकता के फैला था, लेकिन बाद में आत्मसंतोष और संकीर्णता ने धर्म के मूल्यों की उपेक्षा करवाई। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि हाल ही में उडुपी में एकत्रित संतों ने पुनः स्पष्ट किया कि किसी भी प्रकार का भेदभाव धार्मिक मान्यता में स्वीकार्य नहीं है।

डॉ. भागवत ने कहा कि यह पुस्तक धर्म के वास्तविक स्वरूप — जो सार्वभौमिक सच्चाइयों और आध्यात्मिक चेतना पर आधारित है — को पुनः जागृत करने का प्रयास करता है। उन्होंने बल दिया कि धर्म केवल कर्मकांड नहीं, बल्कि जीवन के सार्वभौमिक सत्य और आध्यात्मिक चेतना का सजीव रूप है। डॉ. भागवत ने ‘दि हिंदू मेनिफेस्टो’ को हिंदुओं के लिए एक अनिवार्य संदर्भ पुस्तक बताया और विद्वानों, शोधकर्ताओं और आम नागरिकों से इसका गंभीरता से अध्ययन करने का आह्वान किया।

सच्ची शिक्षा ज्ञान और बुद्धिमत्ता का संतुलन

दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि सच्ची शिक्षा ज्ञान और बुद्धिमत्ता का संतुलन है। उन्होंने कहा कि एक सशक्त राष्ट्र के लिए मजबूत कोष और रक्षा तंत्र आवश्यक है। राष्ट्रीय वाल्मीकि मंदिर के महंत स्वामी कृष्णशाह विद्यार्थी ने कहा कि यह पुस्तक हमारे धार्मिक चिंतन का सार समेटे हुए है और परिवर्तनकारी भूमिका निभाएगा।

 

 

Topics: सरसंघचालकडॉ. मोहन भागवतयोगेश सिंहस्वामी विज्ञानानंददि हिंदू मेनिफेस्टोप्रेरणा मल्होत्राडीयू कुलपति
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

RSS Chief mohan ji Bhagwat

महिला सक्षमीकरण से ही राष्ट्र की उन्नति- RSS प्रमुख डॉ. मोहन भागवत जी

उत्तराखंड में प्रवास के दौरान श्री सुदर्शन जी

सुदर्शनजी : नींव को सींचता कलश

सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत

देश की ताकत एकजुट नागरिक

बिटिया के पांव पखारते सरसंघचालक श्री मोहन भागवत जी।

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत जी ने पिता के रूप में किया कन्यादान, बिटिया के पांव पखारे, बारात की अगवानी की

अभाविप कार्यालय का उद्घाटन करते श्री मोहनराव भागवत

अभाविप के कार्यालय ‘यशवंत परिसर’ का उद्घाटन

पुस्तक के लोकार्पण कार्यक्रम में वक्तव्य देते सरसंघचालक श्री मोहन भागवत।

जब कोई सोच नहीं बदलता है तो उसे दंडित करना भी धर्म ही होता है, पहलगाम आतंकी हमले पर बोले RSS सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

ED Summons Google Meta online gambling

मनी लॉन्ड्रिंग और हवाला: गूगल, मेटा को ईडी का समन, 21 जुलाई को पूछताछ

टीआरएफ की गतिविधियां लश्कर से जुड़ी रही हैं  (File Photo)

America द्वारा आतंकवादी गुट TRF के मुंह पर कालिख पोतना रास नहीं आ रहा जिन्ना के देश को, फिर कर रहा जिहादी का बचाव

डिजिटल अरेस्ट में पहली बार कोर्ट ने दिया ऐतिहासिक फैसला, 9 को उम्रकैद की सजा

Managal pandey

स्व के शंखनाद और पूर्णाहुति के पुरोधा : कालजयी महारथी मंगल पांडे

RSS Chief mohan ji Bhagwat

महिला सक्षमीकरण से ही राष्ट्र की उन्नति- RSS प्रमुख डॉ. मोहन भागवत जी

Nanda Devi Rajjat yatra

नंदा देवी राजजात यात्रा: विश्व की सबसे बड़ी पैदल यात्रा की तैयारियां शुरू, केंद्र से मांगी आर्थिक मदद

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : शाैर्य के जीवंत प्रतीक

Maharashtra Islampur to renamed as Ishwarpur

महाराष्ट्र: इस्लामपुर का नाम बदला, अब होगा ईश्वरपुर

Chhattisgarh Ghar Wapsi to Sanatan Dharma

Ghar Wapsi: 16 लोगों ने की सनातन धर्म में घर वापसी, छत्तीसगढ़ में 3 साल पहले बनाए गए थे ईसाई

देश के वे गांव जहां बोलचाल की भाषा है संस्कृत

देश के वे गांव, जहां बोली जाती है संस्कृत, बच्चे भी लेते हैं योग और वेदों की शिक्षा

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • जीवनशैली
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies