अफगानिस्तान पर राज कर रही तालिबान हुकूमत द्वारा पहलगाम जिहादी हमले को लेकर पाकिस्तान की बखिया उधेड़ने और भारत का समर्थन करने को लेकर दुनियाभर के विशेषज्ञ आश्चर्यचकित हैं। कट्टर इस्लामवादी तालिबान जिन्ना के देश पर बिफरे हुए हैं और दोषी जिहादियों को सबक सिखाने का आह्वान कर रहे हैं। विशेषज्ञों को हैरानी इस बात की है कि तालिबान पाकिस्तान को लेकर कितना तीखा हो चला है। लेकिन साथ ही, वे यह भी मानते हैं कि तालिबान के इस रुख का क्षेत्र की राजनीति और सुरक्षा वातावरण पर गहरा प्रभाव देखने में आ सकता है।
उल्लेखनीय है कि गत 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के सुरम्य पर्यटन स्थल पहलगाम में एक भयावह जिहादी हमले में 26 भारतीय और एक नेपाली नागरिक की जान चली गई थी। इस हमले की जिम्मेदारी द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) नामक आतंकी संगठन ने ली थी, जो प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा हुआ बताया गया है।

तालिबान के दोहा स्थित राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख सुहैल शाहीन ने इस जिहादी हमले की कड़ी निंदा की है और दोषियों को न्याय के कठघरे में लाने की मांग की है। शाहीन ने इसे क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता के लिए खतरा बताया है। तालिबान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल कहर बल्खी ने भी इस हमले को क्षेत्रीय शांति के लिए हानिकारक बताया और दोषियों को सजा देने की आवश्यकता पर जोर दिया है।
भारत ने इस हमले के लिए साफ तौर पर पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया है, क्योंकि TRF का संबंध पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों से है। हालांकि, पाकिस्तान ने इन आरोपों को खारिज किया है। इस घटना के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव स्वाभाविक तौर पर बढ़ गया है। भारत ने सिंधु जल समझौते को निलंबित कर दिया और पाकिस्तानी नागरिकों को देश छोड़ने का आदेश दिया है। पाकिस्तान ने इसके जवाब में शिमला समझौता रद्द करने की धमकी दी है।
बहरहाल, जैसा पहले बताया, तालिबान हुकूमत का यह कदम पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बिगड़ते संबंधों को भी दर्शाता है। तालिबान का भारत के प्रति समर्थन व्यक्त करना और पाकिस्तान की आलोचना करना क्षेत्र की राजनीति में एक नए मोड़ की ओर संकेत करता है।
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