कराची। सिंधु और उसकी सहायक नदियां पाकिस्तान के लिए जीवनदायिनी हैं। पीने के पानी और सिंचाई का मुख्य स्रोत है। भारत ने सिंधु नदी समझौते के स्थगित कर दिया है। वहीं, पाकिस्तान के अंदर भी लपटें उठ रही हैं। पाकिस्तान की सरकार सिंध प्रांत में सिंधु नदी पर नहरों का जाल बिछाने की परियोजना पर काम कर रही थी। इस योजना के खिलाफ सिंध प्रांत उबल रहा है। कराची तक आंदोलन की लपटे उठ रही हैं। गांव और शहरों के लोगों ने बगावत का झंडा उठा लिया है। यह बगावत तब है जब सिंध को पानी मिल रहा था। अब जब भारत से पानी ही नहीं जाएगा तो सोच सकते हैं कि क्या हालात होंगे।
सिंध प्रांत संघीय सरकार की सिंधु नदी पर नहरों का जाल बिछाने की योजना के खिलाफ उबल रहा है। राजधानी कराची से लेकर गांव और शहरों के लोगों ने बगावत का झंडा उठा लिया है। अरब सागर के तट पर बसे कराची में अशांति की लपटें उठ रही हैं। नहर प्रदर्शनकारियों के धरना समाप्त करने से इनकार करने की वजह से करीब 15 हजार मालवाहक वाहन बीच रास्ते में फंस गए हैं।
डॉन अखबार की खबर के अनुसार, नहर प्रदर्शनकारियों को संघीय सरकार के आश्वासन पर भरोसा नहीं है। उन्होंने धरना समाप्त करने से इनकार कर दिया है। हालांकि आंदोलन से भयभीत संघीय सरकार ने सिंधु नदी पर विवादास्पद नहर परियोजना को रोकने का निर्णय लिया है। ट्रांसपोर्टरों ने शुक्रवार को कहा कि आंदोलन के कारण देश की आपूर्ति शृंखला में गंभीर व्यवधान पैदा हो गया है। ट्रांसपोर्ट गुड्स एसोसिएशन के अध्यक्ष तारिक गुज्जर ने कहा कि सड़कों पर लगाए गए अवरोधों के कारण सुक्कुर-लरकाना डिवीजन और बहावलपुर के आसपास 15,000 से अधिक ट्रॉलर, कंटेनर, ट्रक और तेल टैंकर फंसे हुए हैं। गुज्जर का कहना है कि आंदोलन में वकीलों के कूद जाने से हालात और बिगड़ गए हैं। प्रदर्शनकारी दो मई का इंतजार कर रहे हैं। संघीय सरकार ने घोषणा की है कि नहर परियोजनाओं को रोकने की आधिकारिक अधिसूचना का दो मई को जारी होगी।
संघीय सरकार ने गुरुवार को घोषणा की कि प्रस्तावित नहर परियोजना तब तक स्थगित रहेगी जब तक कि दो मई को होने वाली काउंसिल ऑफ कॉमन इंटरेस्ट्स की बैठक में आम सहमति नहीं बन जाती। हालांकि, शुक्रवार रात पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी और प्रदर्शनकारी वकीलों का प्रतिनिधित्व करने वाले एडवोकेट आमिर वराइच के बीच बैठक हुई है। इस बीच, सिंध के मुख्यमंत्री मुराद अली शाह ने प्रदर्शनकारियों से अवरुद्ध राजमार्गों को खोलने और माल की आवाजाही को फिर से शुरू करने की अपील की है।
कराची चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष जावेद बिलवानी ने पिछले 10-12 दिनों में निर्यात ऑर्डर और स्थानीय उत्पादन में 500 बिलियन रुपये (1.8 बिलियन डॉलर) से अधिक के संचयी नुकसान का अनुमान जताया है। जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल (जेयूआई-एफ) सिंध के महासचिव राशिद महमूद सूमरो ने संघीय सरकार के मौखिक आश्वासन को खारिज कर दिया। उल्लेखनीय है कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार के सिंधु जल संधि को स्थगित करने से पाकिस्तान में कोहराम मचा हुआ है।
इसलिए हो रहा विरोध
सिंध और बलूचिस्तान प्रांत के लोगों का कहना है कि नहर परियोजना के जरिये उनसे भेदभाव किया जा रहा है। पंजाब को ज्यादा पानी मिलेगा। सिंध को लगता है कि उसका हक छीना जा रहा है। इस पर बड़ी नहरें बनाने से जल प्रवाह बदलेगा। इससे नीचे के इलाकों में सूखा पड़ने की आशंका है। इसका सीधा असर खेती पर पड़ेगा। लोगों का कहना है कि पाकिस्तान सरकार ताकतवर लोगों के हित में फैसले ले रही है। लेकिन जब पानी नहीं मिलेगा तब पाकिस्तान क्या करेगा। क्या वह सिंध का विरोध झेल पाएगा?
(इनपुट हिंदुस्थान समाचार)
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