चूकवश पाकिस्तान की सीमा में घुसे सीमा सुरक्षा बल के जवान को 48 घंटे से अधिक समय के बाद भी रिहा नहीं किया गया है। इससे पाकिस्तान की बदनीयती की आशंका गहराने लगी है, सीमा सुरक्षा बल से जुड़े विशेषज्ञ मान रहे हैं कि शायद पाकिस्तान इस जवान को ढाल के रूप में प्रयोग करना चाहता है।
सूत्र कहते हैं कि बीएसएफ के उस जवान और पहलगांव में हुए आतंकी हमले की घटनाओं का चाहे आपस में लिंक नहीं है, परन्तु एक अचानक हुई घटना ने पाकिस्तान को इस स्थिति में ला दिया है कि वह सौदेबाजी की सोच सकता है। दुश्मन देश के सैनिकों व नागरिकों को ढाल के रूप में इस्तेमाल करने की इस्राईल, रूस सहित अनेक उदाहरणें हैं। पुलवामा हमले के बाद एयर स्ट्राईक के दौरान भी पाकिस्तान ने भारतीय पायलट अभिनन्दन को ढाल के रूप में प्रयोग करने का प्रयास किया था। परन्तु यह मामला दूसरा था अभिनन्दन एक ऑप्रेशन के तहत पाकिस्तान घुसा था, जबकि उक्त सीमा सुरक्षा बल के जवान ने ऐसा कोई काम नहीं किया।
पूरे हालात को समझने के लिए पंजाब की सीमा की स्थिति को जानना होगा। राज्य में 1980 के दशक में चले आतंकवाद की काली आंधी को थामने के लिए भारत ने अपनी सीमा पर तारबंदी की। तारबंदी शून्य रेखा से पीछे भारतीय क्षेत्र में की गई है। इसके चलते बहुत सी भारतीय जमीन तार के उस पार है जहां पर किसान नियमित रूप से खेती करते हैं। सीमा पार खेती करने वाले किसानों के सीमा सुरक्षा बल ने विशेष पहचानपत्र बनाए हुए हैं और गहन तलाशी के बाद ही किसानों को तार से पार भेजा व लाया जाता है।
इन किसानों व मजदूरों के साथ सीमा सुरक्षा बल के एक-दो जवान भी रहते हैं जो शून्य रेखा पर जा कर इनकी रखवाली करते हैं। शून्य रेखा पर दोनों देशों के बीच मार्किंग नहीं है, सीमा की पहचान के लिए बुर्जियां भी बनी हैं तो उनके बीच काफी अंतर है। इसके चलते कई बार जवानों को पता नहीं चल पाता कि वे किस देश की जमीन पर खड़े हैं। कई बार तो धूप से बचने या थोड़ा विश्राम करने के लिए भी इधर-उधर होते हैं तो सीमा का उल्लंघन हो जाता है।
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इस कारण से सीमाल्लंघन एक सामान्य घटना है। कई बार पाकिस्तानी नागरिक भी भूले-भटके इधर आ जाते हैं। ऐसे में औपचारिक पूछताछ व पुलिस सत्यापन के बाद इन नागिरकों को वापिस भेजा जाता रहा है। दोनों पक्षों के सुरक्षा बलों से ऐसी गलती हो जाए तो बीएसएफ व पाकिस्तानी रेंजर्स के अधिकारी फ्लैग मीटिंगें करके मामला स्थानीय स्तर पर ही सुलझा लेते हैं। सीमा सुरक्षा बल की जिस बटालियन का जवान पाकिस्तानी सुरक्षा बलों के हाथ आया वह बटालियन हाल ही के दिनों में जम्मू-कश्मीर से स्थानांतरित हो कर पंजाब के फिरोजपुर जिले की ममदोट तहसील के साथ लगती सीमा पर तैनात हुई है।
इस बटालियन के जवान अभी यहां की भूगोलिक स्थिति को इतना समझ नहीं पाए लगता है, जिससे यह चूक हो गई। आम परिस्थितियों में यह सामान्य घटना है परन्तु पहलगांव हमले के बाद इस घटना को विशेष बना दिया लगता है। आम दिनों में जवान या नागरिक लौटाए जाते रहे हैं परन्तु बीएसएफ जवान के ताजा मामले में ऐसा नहीं देखने को मिल रहा। बताया जाता है कि दोनों पक्षों के सुरक्षा बलों के बीच दो से अधिक बार फ्लैग मीटिंगें हो चुकी हैं परन्तु पाकिस्तानी रेंजर्स मामले को लटकाए हुए हैं। इससे पाकिस्तान की नीयत में खोट नजर आने लगा है।
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