गत अप्रैल को कोलकाता स्थित श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय में प्रख्यात साहित्यकार, लोकप्रिय राजनेता एवं पूर्व राज्यपाल आचार्य विष्णुकांत शास्त्री की 20वीं पुण्यतिथि पर एक विचार गोष्ठी आयोजित हुई।
गोष्ठी के अध्यक्ष वरिष्ठ चिंतक डॉ. अजयेन्द्रनाथ त्रिवेदी ने बताया कि आचार्य विष्णुकांत शास्त्री गीता में वर्णित मानसिक, शारीरिक तथा वाचिक तप के अभ्यासी आचार्य थे। उनकी वाणी की ओजस्विता, मानस की विद्वता तथा शरीर का सौंदर्य हम सबकी प्रेरणा बना हुआ है।
पुस्तकालय के अध्यक्ष महावीर बजाज ने उनके सान्निध्य में बिताए गौरवपूर्ण पलों का उल्लेख करते हुए उन्हें उत्कृष्ट विद्वान, सरल सह्दय, सौम्य स्वभाव वाला प्रेरक व्यक्ति बताया। पुस्तकालय के मंत्री बंशीधर शर्मा ने कहा कि शास्त्री जी के प्रवचनों पर आधारित गीता परिक्रमा साहित्य और सनातन विचारधारा की अमूल्य निधि है। वे पुस्तकालय की व्यवस्था व गतिविधियों से अभिन्न रूप से जुड़े थे।
उनके स्वभाव में अपनत्व का विराट भाव था। उनको स्मरण करना अपनी वाणी को पवित्र करना है। गजलकार रवि प्रताप सिंह ने शास्त्री जी के सद्गुणों की चर्चा करते हुए उनको श्रद्धांजलि अर्पित की।
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