पहलगाम में धर्म पूछकर निर्दोष हिंदुओं और अन्य पर्यटकों की हत्या करने वाले आतंकी पाकिस्तान प्रायोजित हैं। लश्कर से जुड़े टीआरएफ ने हमले की जिम्मेदारी ली है। इस हमले में पाकिस्तान संलिप्त है। भारत ने तत्काल अब तक का सबसे कड़ा कूटनीतिक निर्णय लेकर पाकिस्तान को आगाह कर दिया है कि उसे छोड़ा नहीं जाएगा। भारत में स्थित पाकिस्तान का उच्चायोग बंद कर दिया गया है। अटारी-बाघा सीमा भी बंद कर दी गई। सिंधु जल समझौते पर रोक लगा दी गई है। यह रोक तब तक जारी रहेगी जब तक पाकिस्तान आतंकवाद पर पूरी तरह से रोक नहीं लगाता है और आतंकवाद को समर्थन देना पूरी तरह से बंद नहीं करता है।
भारत सरकार आगे और क्या कड़े निर्णय लेगी, इसकी भी जानकारी आएगी, लेकिन पहले जानते हैं कि पाकिस्तान पर वाटर स्ट्राइक करने से क्या असर पड़ेगा। पहले यह जान लीजिए कि पाकिस्तान की करीब 80 प्रतिशत कृषि भूमि सिंधु जल प्रणाली पर निर्भर है। पेयजल का बड़ा स्रोत भी है। आइये अब जानते है कि यह सिंधु जल समझौता है क्या और इसके स्थगन से पाकिस्तान पर क्या असर होगा।
क्या है सिंधु जल समझौता?
सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों में उपलब्ध पानी के उपयोग को लेकर एक समझौता है। इस संधि में विश्व बैंक ने मध्यस्थता की थी। सिंधु नदी के पानी को दोनों देशों के बीच बांटने के लिए 19 सितंबर, 1960 को पाकिस्तान के कराची में भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने हस्ताक्षर किए थे।
सिंधु जल समझौते के प्रावधान
सिंधु जल संधि के अनुसार सतलुज, ब्यास और रावी का पानी (सालाना 3.3 करोड़ एकड़ फुट (एमएएफ) पानी) भारत उपयोग करेगा। सिंधु, झेलम और चिनाब (सालाना 13.5 करोड़ एकड़ फुट पानी) पाकिस्तान के हिस्से में गया।
जल समझौता स्थगित करने से सिंधु, झेलम और चिनाब का पानी भी नहीं मिलेगा। हालांकि पाकिस्तान पूरी कोशिश करेगा कि इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र या फिर विश्व बैंक के पास ले जाए। लेकिन भारत की बढ़ती साख को देखते हुए पाकिस्तान को वहां से झटका मिलने की पूरी संभावना है।
संधि में भेदभाव
भारत को केलव 3.3 एमएएफ पानी और पाकिस्तान को 13.5 करोड़ पानी। पाकिस्तान को भारत की तुलना में करीब चार गुना पानी ज्यादा दिया गया। भारत को 20 प्रतिशत जबकि पाकिस्तान को 80 प्रतिशत पानी दिया दया। कंगाल और भारत को गहरे घाव देने वाला पाकिस्तान ने इस संधि के प्रावधानों का दुरुपयोग किया। उसे जितना पानी मिलता है उसमें ज्यादातर हिस्सा बर्बाद हो जाता है क्योंकि उसके पास इसे स्टोर करने की कुव्वत नहीं है।
पूर्वी नदियों का पानी भी पाकिस्तान को मिलता है
संधि के अनुसार भारत अपने अधिकारों का अधिकतम उपयोग कर सकता है। इसमें पूर्वी नदियों रावी, ब्यास और सतलुज का पूरा पानी इस्तेमाल कर सकता है। यह सिंधु जल संधि के अनुसार वैध है। पाकिस्तान को इन नदियों पर कोई अधिकार नहीं है।
पूर्वी नदियों का पानी पाकिस्तान को कैसे मिलता है
विशेष रूप से रावी और सतलुज नदी का पानी भारत से होकर पाकिस्तान की सीमा में प्रवेश करता है। पाकिस्तान प्रवाह में आए अतिरिक्त जल का सीमित उपयोग कर सकता है, लेकिन भारत को आंख दिखाकर नहीं। इस पर पाकिस्तान का कोई वैधानिक अधिकार नहीं है।
पाकिस्तान के वे राज्य जहां पूर्वी नदियों का जल उपयोग होता है
पाकिस्तान का पंजाब प्रांत
- रावी और सतलुज नदियां पाकिस्तान में प्रवेश करती हैं
लाहौर, कसूर, ओकाराऔर बहावलनगर में इसका जल सिंचाई के काम में लाया जाता है
सिंध प्रांत
आमतौर पर बाढ़ या अधिक बारिश होने से पूर्वी नदियों का पानी यहां तक पहुंचता है।
सिंधु जल संधि समझौता रोकने पर पाकिस्तान पर क्या असर पड़ेगा
खेती – किसानी
- पाकिस्तान खेती-किसानी और पीने के पानी के लिए लगभर पूरी तरह से सिंधु नदी प्रणाली पर निर्भर है। केवल पूर्वी नदियों का ही रावी, ब्यास और सतलज का पानी नहीं मिलने से पाकिस्तान के कई इलाकों में सूखे जैसे हालात हो जाएंगे।
- सिंधु, झेलम और चिनाब का पानी नहीं मिलने से प्यासा मर जाएगा पाकिस्तान
- पाकिस्तान का पंजाब और सिंध प्रांत कृषि पर निर्भर है। ये सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे
- पाकिस्तान में खाद्य संकट पहले से ही है और पानी रोकने से गेहूं, चावल, गन्ना और कपास जैसी फसलों को नुकसान होगा। इससे पाकिस्तान खाद्य संकट से और जूझेगा।
आर्थिक मोर्चे पर
- फसलों को नुकसान होने से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी
- कम पैदावार होने से खाद्य वस्तुओं की कीमतें बढ़ेंगी
- ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी बढ़ सकती है
- दुनिया से भीख मांग रही कंगाल पाकिस्तान सरकार को पानी के प्रबंधन पर झटका लगेगा।
पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चिनाब का पानी नहीं मिलेगा तो
- इन नदियों का पानी नहीं मिलने से खैबर पख्तूनख्वा, पंजाब और सिंध प्रांत पर बहुत गहरा असर पड़ेगा
- पाकिस्तान की 90 प्रतिशत कृषि भूमि सिंधु प्रणाली पर निर्भर
- पाकिस्तान का मुख्य पेयजल स्रोत है
- बिजली संकट- मंगाल डैम और तरबेला डैम पर हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट हैं
- सिंधु बेसिन पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है
अब निष्कर्ष समझें
- पाकिस्तान की 80% खेती योग्य भूमि (लगभग 1.6 करोड़ हेक्टेयर) सिंधु नदी प्रणाली के पानी पर निर्भर है
- इस पानी का 93% हिस्सा सिंचाई के लिए इस्तेमाल किया जाता है
- पाकिस्तान की राष्ट्रीय आय में कृषि क्षेत्र का योगदान 23% है
- यह प्रणाली 23.7 करोड़ से अधिक लोगों का भरण-पोषण करती है
- पाकिस्तान की 61% आबादी सिंधु बेसिन से सीधे प्रभावित होगी
सिंध और पंजाब के ये रहे प्रमुख जिले, बाकी के लिए गूगल करें
लाहौर, कराची, मुल्तान, हैदराबाद, सुक्कुर, लरकाना, मीरपुर खास, फैसलाबाद, रावलपिंडी, मियांवाली, बहावलपुर, शेखपुरा ।
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