मत अभिमत

पहलगाम आतंकी हमला: भारत का आतंक के खिलाफ औपचारिक युद्ध शुरू करने का समय

पहलगाम में हुआ आतंकी हमला पाकिस्तान प्रायोजित है और इसे द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) के माध्यम से अंजाम दिया गया है

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लेफ्टिनेंट जनरल एम के दास,पीवीएसएम, बार टू एसएम, वीएसएम ( सेवानिवृत)

22 अप्रैल को पहलगाम में पर्यटकों पर कायरतापूर्ण आतंकी हमले पर सभी देशभक्त भारतीयों के क्रोध, पीड़ा और गुस्से को पूरी तरह से एक सैनिक के रूप में साझा करता हूं। इस जघन्य और नृशंस हमले में 28 लोग मारे गए और कई घायल हो गए। सरकार की गंभीरता और संवेदनशीलता  का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश के बाद गृह मंत्री अमित शाह श्रीनगर तुरंत रवाना हो गए। पीएम मोदी खुद सऊदी अरब के जेद्दा की अपनी यात्रा को छोटा कर नई दिल्ली लौट आए।

रिपोर्ट के अनुसार, सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (Cabinet Committee on Security, सीसीएस) की बैठक 23 अप्रैल शाम को होने वाली है। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली सीसीएस राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों पर भविष्य की कार्रवाई को अपनाने के लिए निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था है।

पहलगाम में हुआ आतंकी हमला पाकिस्तान प्रायोजित है और इसे द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) के माध्यम से अंजाम दिया गया है। टीआरएफ पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन है और वास्तव में लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का एक मुखौटा है। यह आतंकी हमला 16 अप्रैल को पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिफ मुनीर के इस्लाम और कश्मीर पर दिए गए बयान के मद्देनजर हुआ है। इस प्रकार, यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि पाकिस्तान पहले से ही इस आतंकी हमले की योजना बना रहा था और यह भारत पर सीधा हमला है, ताकि ‘भारत पर इस्लामी विचारधारा का दावा किया जा सके। अतः, जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद के मूल कारण को संबोधित करने का समय आ गया है, जो कि पाकिस्तान है। यहां पाकिस्तान का मतलब पाकिस्तानी सेना का नेतृत्व, पाकिस्तान स्थित आतंकी समूह, पाकिस्तान की आईएसआई और पाकिस्तान में कुछ कट्टरपंथी, प्रेरित तत्व हैं। कोई भी औसत पाकिस्तानी अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहा है और उसे पाक प्रायोजित आतंकवाद में कोई दिलचस्पी नहीं है।

भारत ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर पाकिस्तान से निपटने में बहुत संयम के साथ काम लिया है। भारत ने पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम समझौते का सच्चे दिल से पालन किया है, जिसे आखिरी बार फरवरी 2021 में भारत और पाकिस्तान के सैन्य संचालन महानिदेशकों (DGMO) द्वारा नवीनीकृत किया गया था। पाकिस्तान द्वारा नियंत्रण रेखा पर जिस प्रकार का नियमित उल्लंघन किया जा रहा है, उसे देखते हुए इस समझौते को तत्काल प्रभाव से निरस्त करने का समय आ गया है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) पर संसद के रुख के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। इस लिए नियंत्रण रेखा पर निरर्थक संयम बरतने का कोई मतलब नहीं है।

9/11 के बाद अमेरिका ने ‘आतंक के खिलाफ वैश्विक युद्ध’ छेड़ा

जबकि पूरे विश्व ने आतंक के विरुद्ध लड़ाई में भारत को समर्थन व्यक्त किया है, यह घटना हमारे पास ‘आतंकवाद के विरुद्ध जंग’ की औपचारिक घोषणा करने का सही अवसर है। 9/11 के बाद अमेरिका ने ‘आतंक के खिलाफ वैश्विक युद्ध’ छेड़ा। इस वैश्विक प्रयास में अमेरिका को बड़ी संख्या में देशों का समर्थन प्राप्त था और इस प्रकार भारत भी समान विचारधारा वाले राष्ट्रों से औपचारिक और अनौपचारिक समर्थन की उम्मीद कर सकता है। आतंकवाद की कोई सीमा या धर्म नहीं है और इस प्रकार आतंक के खिलाफ भारत की लड़ाई को वैश्विक प्रभाव के साथ स्थानीय,राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पहुंच हासिल करनी है। हालांकि इस मामले में पाकिस्तान के खिलाफ तत्काल कार्यवाही शुरू करने का दबाव होगा, लेकिन सीसीएस को सावधानीपूर्वक आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई की योजना बनानी चाहिए और उसे सही तरीके से अंजाम देना चाहिए। इस तरह के युद्ध के लिए भारत में मौजूदा सुरक्षा ढांचे और उच्च स्तर पर नेतृत्व के कायाकल्प की आवश्यकता हो सकती है।

चुनौतियों का सामना करने के लिए रहें तैयार 

अंत में, आतंक के विरुद्ध युद्ध के लिए ‘संपूर्ण राष्ट्र दृष्टिकोण’ की आवश्यकता है जिसका अर्थ है कि सभी भारतीयों को कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा। इस तरह के युद्ध के लिए न केवल सैनिकों के बलिदान की आवश्यकता होती है, बल्कि आम जनता की, विशेष रूप से सीमावर्ती राज्यों मे, विशेष भागीदारी होती है। राष्ट्र को एक लंबी अवधि की असुविधा और पीड़ा के लिए तैयार रहना होगा। जब आप युद्ध में जाते हैं तो हमारी दिनचर्या  सामान्य रूप से नहीं चल सकती है। पहला कदम पहलगाम आतंकी हमले के पीड़ितों के साथ राष्ट्रीय एकजुटता प्रदर्शित करना हो सकता है। जम्मू-कश्मीर में 22 अप्रैल की शाम कुछ कैंडल मार्च देखना खुशी की बात थी। लेकिन 22 अप्रैल की शाम लखनऊ में आईपीएल क्रिकेट मैच के दौरान विरोध के प्रदर्शन के तौर पर काली पट्टी तक नहीं देखी गई। ऐसी उदासीनता ठीक नहीं है।

सामूहिक राष्ट्रीय इच्छाशक्ति की जरूरत

मैं देश,राज्यों और राजनीतिक नेतृत्व से पीड़ितों के लिए शोक दिवस घोषित करने और राष्ट्रव्यापी कैंडल मार्च आयोजित करने का आग्रह करूंगा। अल्पसंख्यक समुदाय सहित सभी देशभक्त भारतीयों को एकजुट होकर आतंकवाद की भर्त्सना करनी चाहिए। यह और भी महत्वपूर्ण है कि सामूहिक राष्ट्रीय इच्छाशक्ति का प्रदर्शन किया जाए, क्योंकि आतंकवादियों ने हिंदुओं को निशाना बनाकर हत्या करने की सबसे बड़ी गलती की है।  पाकिस्तान और अन्य विरोधी ताकतों को यह जानना चाहिए कि India, जो कि भारत है, विचारधारा, संस्कृति, आचरण और आक्रामक कार्रवाई में सभी राष्ट्रों से बहुत बेहतर है। जय भारत!

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