हिन्दू सुनकर चलाई गोलियां : पहलगाम में मजहबी आतंक का सबसे बर्बर चेहरा
July 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

हिन्दू सुनकर चलाई गोलियां : पहलगाम में मजहबी आतंक का सबसे बर्बर चेहरा

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों ने नाम और धर्म पूछकर हिंदू पर्यटकों की निर्मम हत्या की। यह हमला न केवल सांप्रदायिक घृणा का चरम है, बल्कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद की जीती-जागती मिसाल भी है।

by योगेश कुमार गोयल
Apr 22, 2025, 10:35 pm IST
in भारत, विश्लेषण, जम्‍मू एवं कश्‍मीर
पहलगाम में आतंकियों ने हिंदुओं को चुन-चुनकर मारा

पहलगाम में आतंकियों ने हिंदुओं को चुन-चुनकर मारा

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

कश्मीर की वादियां एक बार फिर निर्दोषों के खून से रंगी हैं। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में दशहतगर्दों ने अंधाधुंध गोलियां चलाकर दो दर्जन से भी अधिक पर्यटकों की नृशंस हत्या कर दी। दिल दहला देने वाला यह आतंकी हमला एक बार फिर इस यक्ष प्रश्न को जन्म देता है कि आखिर कब तक भारत की संप्रभुता, एकता और नागरिकों की सुरक्षा पर ऐसे कायराना हमलों का साया मंडराता रहेगा? यह हमला न केवल हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा की संवेदनशीलता को रेखांकित करता है बल्कि यह भी दर्शाता है कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद की जड़ें अब भी घाटी में जहर उगल रही हैं। यह घटना ऐसे समय हुई है, जब घाटी में पर्यटन का सीजन चरम पर है और पहलगाम की बेहद खूबसूरत वादियां लाखों सैलानियों का स्वागत कर रही थी। ऐसे में इस आतंकी कृत्य ने न केवल जानमाल की अपूरणीय क्षति पहुंचाई है बल्कि भारत की सामरिक संप्रभुता और मानवीय चेतना पर भी गहरा आघात किया है।

कहा जाता रहा है कि आतंक का कोई धर्म नहीं होता लेकिन इस हमले ने कुछ और ही तस्वीर पेश की। आतंकियों ने अपने कुकृत्य की पराकाष्ठा पार करते हुए नाम पूछ-पूछकर पर्यटकों को गोली मारी। यह कोई सामान्य गोलीबारी नहीं थी बल्कि चयनात्मक हत्या थी। आतंकियों ने पहले पर्यटकों को रोका, उनसे नाम, पहचान और यहां तक कि धर्म भी पूछा और उसके आधार पर उन पर गोलियां चलाईं। यह क्रिया स्पष्ट रूप से सांप्रदायिक घृणा से प्रेरित थी, जो पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के मूल एजेंडे का हिस्सा रही है। यह वही रक्तरंजित मानसिकता है, जो 1990 में कश्मीरी हिंदुओं के साथ देखने को मिली थी और अब एक बार फिर भयावह रूप में प्रकट हुई है। नाम पूछकर की गई हत्याएं केवल शारीरिक हत्या नहीं हैं बल्कि वे सीधे तौर पर इस देश के बहुलतावादी ताने-बाने पर हमला हैं। यह आतंकवाद की सबसे गिरी हुई, विभाजनकारी और असभ्य शक्ल है, जो मानवीय गरिमा, धार्मिक स्वतंत्रता और सांस्कृतिक सहिष्णुता को सीधा चुनौती देती है। इस पाशविक कृत्य ने यह प्रमाणित कर दिया कि आतंकवादी अब केवल सैनिक लक्ष्यों को नहीं बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक लक्ष्यों को भी निशाना बना रहे हैं और यह संकेत है कि हमें अपने सुरक्षा दृष्टिकोण को और व्यापक व गहन बनाना होगा।

देश एक ओर जहां तकनीकी, आर्थिक और वैश्विक मंचों पर निरंतर मजबूत हो रहा है, ऐसे में आतंकवादियों द्वारा लक्षित नागरिकों, सुरक्षाबलों और सैलानियों को निशाना बनाया जाना इस बात का प्रमाण है कि दुश्मन की मानसिकता कितनी नीच, विद्वेषपूर्ण और छायायुद्ध की शैली में विकृत हो चुकी है। पाकिस्तान की आईएसआई और उससे पोषित आतंकी गुट, जिनमें लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे संगठन प्रमुख हैं, भारत की प्रगति और लोकतांत्रिक मजबूती को सहन नहीं कर पा रहे हैं। यह हमला उस व्यापक गुप्त रणनीति का हिस्सा है, जिसमें अस्थिरता, भय और अराजकता फैलाकर घाटी को एक बार फिर 90 के दशक की हिंसक छवि में धकेलने की साजिश की जा रही है। इस नृशंस हमले की रणनीति को देखें तो स्पष्ट हो जाता है कि आतंकियों का लक्ष्य केवल खून-खराबा नहीं बल्कि भारत की सुरक्षा रणनीति को चुनौती देना था। जिस प्रकार से जंगलों में छिपकर घात लगाकर हमला किया गया, वह गुरिल्ला युद्धनीति की उस शैली की ओर संकेत करता है, जिसे सीमा पार से प्रशिक्षित किया जाता है। यह न तो स्वतःस्फूर्त था, न ही किसी लोकल रिएक्शन का परिणाम था बल्कि यह एक पूर्णतः योजनाबद्ध और निर्देशित हमला था, जिसमें तकनीकी सहायता, हथियारों की आपूर्ति और खुफिया जानकारी सब कुछ शामिल था।

भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह से आक्रामक और उत्तरदायी बनी है, यह हमला उसके प्रतिकार के रूप में भी देखा जा सकता है। धारा 370 हटने के बाद जिस प्रकार से इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास, आतंकियों पर कड़ा शिकंजा और नागरिक संवाद को पुनःस्थापित करने की कोशिशों जैसे जम्मू-कश्मीर में शांति स्थापना की दिशा में अनेक सफल प्रयास हुए हैं, वे लंबे समय से पाकिस्तान और उसके आकाओं को चुभ रहे थे। इसीलिए ऐसे हमलों के जरिये घाटी में एक बार फिर भय और भ्रम का वातावरण बनाना उनके एजेंडे का अहम हिस्सा है लेकिन अब समय आ गया है कि हम केवल निंदा या औपचारिक विरोध से आगे बढ़ते हुए हर आतंकी घटना के बाद शोक, संवेदना और कड़ी प्रतिक्रियाओं की परिपाटी को ठोस सैन्य और कूटनीतिक रणनीतियों से बदल डालें और इजराइल तथा अमेरिका की तर्ज पर अपने नागरिकों के विरुद्ध हुए प्रत्येक हमले का निर्णायक और दीर्घकालिक जवाब दें। पाकिस्तान की रणनीतिक गहराई में बैठे उन आकाओं को अब यह समझाने का समय आ गया है कि भारत केवल सहन करने वाला राष्ट्र नहीं है बल्कि निर्णायक प्रतिशोध लेने में भी सक्षम है।

यह हमला सामरिक दृष्टि से भी हमारे लिए एक गंभीर चेतावनी है कि चाहे सीमा पर कंटीले तार हों या एलओसी पर निगरानी ड्रोन, यदि भीतर बैठे स्लीपर सेल सक्रिय हैं तो सुरक्षा व्यवस्था को पुनः पूर्णरूपेण अभेद्य बनाने की सख्त आवश्यकता है। हमें अपने इंटेलीजेंस नेटवर्क को भी अब इतना तीव्र, तीक्ष्ण और सतर्क बनाना होगा कि आतंकी योजना अपने आरंभिक चरण में ही निष्फल कर दी जाए। सेना, अर्धसैनिक बलों और स्थानीय पुलिस को एकीकृत कमांड संरचना के अंतर्गत प्रशिक्षित करना होगा ताकि प्रतिक्रिया केवल हथियारबंद ही नहीं बल्कि रणनीतिक भी हो। इस हमले ने मानवीय दृष्टिकोण से एक बार फिर आम नागरिकों की पीड़ा को उजागर किया है। जिन सैलानियों ने पर्यटन को घाटी की बहाली का जरिया माना, जो स्थानीय दुकानदार अपने रोजगार की उम्मीद से दुकानें खोले बैठे थे और वे बच्चे, जो शांत माहौल में शिक्षा ग्रहण कर रहे थे, सभी के सपनों पर इस हमले ने भय की कालिमा पोत दी।

ऐसे हमलों की आड़ में कुछ मानवाधिकार संगठनों और तथाकथित बुद्धिजीवियों का मुखर होना अब एक शातिर रणनीति बन चुकी है। जब सुरक्षाबल आतंकियों को निष्क्रिय करते हैं तो यही वर्ग उन्हें ‘नागरिक’ या ‘क्रांतिकारी’ बता देता है। इस दोहरेपन पर भी सख्ती से लगाम कसने की जरूरत है। बहरहाल, यह आवश्यक है कि इस हमले की तह तक जाकर केवल घटना नहीं बल्कि उसकी पृष्ठभूमि, योजना, वित्त पोषण और संलिप्त तत्वों को उजागर किया जाए। चाहे वे स्थानीय हों या विदेशी, प्रत्यक्ष हों या परोक्ष, उन्हें ‘कानून, सैन्य शक्ति और कूटनीति के त्रिशूल’ से जवाब मिलना चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी भारत को इस मुद्दे को और आक्रामक रूप से उठाना होगा कि पाकिस्तान आज भी आतंक का सबसे बड़ा निर्यातक है। उसके विरुद्ध आर्थिक, राजनीतिक और सैन्य प्रतिबंधों का माहौल बनाना होगा। बहरहाल, पहलगाम का यह हमला केवल एक आतंकी हमला नहीं है बल्कि हमारे धैर्य, शक्ति और चेतना की परीक्षा है। यह देश की संप्रभुता पर हमला है और इसका जवाब इतना कठोर, स्पष्ट और निर्णायक होना चाहिए कि भविष्य में कोई आतंकी या उसका पालक भारत की ओर आंख उठाकर देखने का साहस न कर सके। भारत को पूरी दुनिया को अब यह साबित कर दिखाना होगा कि वह आतंक के विरुद्ध केवल एक पीड़ित राष्ट्र नहीं है बल्कि एक प्रचंड प्रतिकारक शक्ति भी है।

(लेखक साढ़े तीन दशक से पत्रकारिता में निरंतर सक्रिय वरिष्ठ पत्रकार हैं)

Topics: लश्कर-ए-तैयबापाकिस्तान_प्रायोजित_आतंकवादपाकिस्तान आतंकवादकश्मीरी_हिंदूधारा 370आतंक_का_धर्महिंदू पर्यटकPahalgam_Terror_Attackहलगाम आतंकी हमलाHindu_Tourists_Killedकश्मीर हिंसाPakistan_Sponsored_Terrorismसांप्रदायिक घृणाJammu_Kashmir_Attackजम्मू-कश्मीर सुरक्षाआईएसआई साजिशपहलगाम_आतंकी_हमलाहिंदू_पर्यटकों_पर_हमला
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

फैसल का खुलेआम कश्मीर में जिहाद में आगे रहने और खून बहाने की शेखी बघारना भारत के उस दावे को पुख्ता करता है कि कश्मीर में जिन्ना का देश जिहादी भेजकर आतंक मचाता आ रहा है

जिन्ना के देश में एक जिहादी ने ही उजागर किया उस देश का आतंकी चेहरा, कहा-‘हमने बहाया कश्मीर में खून!’

Tahawwur Hussain Rana Pakistani Army agent

NIA इन्वेस्टिगेशन में टूटा तहव्वुर राणा, कहा-‘मैं पाकिस्तानी सेना का था खास एजेंट’

NIA filed chargesheet PFI Sajjad

Pahalgam terror attack: NIA की बड़ी कार्रवाई, लश्कर-ए-तैयबा आतंकियों के दो मददगार गिरफ्तार

Indian deligation Shashi Tharoor operation Sindoor

Operation Sindoor: ‘…अब दुनिया ने सच जान लिया है’

Shashi Tharoor Led Delegation reaches Brazil

पाकिस्तान को बेनकाब करने ब्राजील पहुंचा शशि थरूर की अगुवाई वाला प्रतिनिधिमंडल

Asduddin Owaisi Algeria Pakistan

अल्जीरिया में ओवैसी का पाकिस्तान पर तीखा वार, कहा- ‘तकफीरी’ आतंकवाद गढ़, जानें इसका अर्थ

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

गुरु पूर्णिमा पर विशेष : भगवा ध्वज है गुरु हमारा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नामीबिया की आधिकारिक यात्रा के दौरान राष्ट्रपति डॉ. नेटुम्बो नंदी-नदैतवाह ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया।

प्रधानमंत्री मोदी को नामीबिया का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, 5 देशों की यात्रा में चौथा पुरस्कार

रिटायरमेंट के बाद प्राकृतिक खेती और वेद-अध्ययन करूंगा : अमित शाह

फैसल का खुलेआम कश्मीर में जिहाद में आगे रहने और खून बहाने की शेखी बघारना भारत के उस दावे को पुख्ता करता है कि कश्मीर में जिन्ना का देश जिहादी भेजकर आतंक मचाता आ रहा है

जिन्ना के देश में एक जिहादी ने ही उजागर किया उस देश का आतंकी चेहरा, कहा-‘हमने बहाया कश्मीर में खून!’

लोन वर्राटू से लाल दहशत खत्म : अब तक 1005 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

यत्र -तत्र- सर्वत्र राम

NIA filed chargesheet PFI Sajjad

कट्टरपंथ फैलाने वालों 3 आतंकी सहयोगियों को NIA ने किया गिरफ्तार

उत्तराखंड : BKTC ने 2025-26 के लिए 1 अरब 27 करोड़ का बजट पास

लालू प्रसाद यादव

चारा घोटाला: लालू यादव को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ा झटका, सजा बढ़ाने की सीबीआई याचिका स्वीकार

कन्वर्जन कराकर इस्लामिक संगठनों में पैठ बना रहा था ‘मौलाना छांगुर’

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies