उत्तर प्रदेश

मुस्लिम महिलाओं पर शरिया फतवों का दबाव: मौलाना ने कहा-गैर मर्दों से मेहंदी लगवाना, चूड़ी पहनना इस्लाम के खिलाफ

देवबंदी उलेमा कारी इसहाक गोरा ने मुस्लिम महिलाओं के गैर-मर्दों से मेहँदी लगवाने और चूड़ियाँ पहनने को शरिया के खिलाफ बताया।

Published by
Kuldeep singh

इस्लाम और शरिया को थोपने पर जुटे कुछ इस्लामी मौलाना लगातार मुस्लिम महिलाओं की आजादी पर नकेल कसने की कोशिशों में लगे रहते हैं। इसी क्रम में एक बार फिर से एक मौलाना ने मुस्लिम महिलाओं को फतवे का डर दिखाया है। ये मौलाना हैं दावातुल मुस्लिमीन की संरक्षक और देवबंदी उलेमा कारी इसहाक गोरा। इनका कहना है कि अगर मुस्लिम महिलाएं किसी भी पराए मर्द से मेहँदी लगवाती हैं या चूड़ियां पहनती हैं तो ये शरीयत का उल्लंघन है।

लाइव हिन्दुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार, कारी इसहाक गोरा ने मुस्लिम महिलाओं को याद दिलाया है कि इस तरह के मामलों को लेकर मुस्लिमों की संस्था दारुल अलुम देवबंद ने पहले ही एक फतवा जारी किया था, जिसके अनुसार, मुस्लिम महिलाओं के गैर मर्दों से चूड़ी खरीदने या मेहँदी लगवाने को इस्लाम के खिलाफ बताया गया था। मौलाना का कहना है कि आजकल शादियों के सीजन में मुस्लिम महिलाओं को बड़ी संख्या में बाजारों में जाकर गैर मर्दों से मिलते जुलते देखा जा रहा है, जो कि चिंताजनक है।

कहा-इस्लाम नहीं देता है इजाजत

कारी इसहाक गोरा के मुताबिक, करीब 10 साल पहले ही इस मामले को लेकर फतवा जारी किया गया था, फिर भी महिलाएं ऐसा कर रही हैं। उन्हें फतवा याद होना चाहिए। इसलिए, मुस्लिम महिलाओं को अपनी मजहबी उसूलों, फतवों, दीनी शिक्षा, इस्लामी तहजीब और अपनी रवायतों के साथ रहना चाहिए। मौलाना ने दावा किया कि हमारे मजहब में महिलाओं के साथ ही पुरुषों को भी किसी महरम महिला को छूने से रोका गया है।

सउदी अरब में बदलाव, लेकिन भारत में शरिया लागू करने की वकालत

हैरानी की बात ये है कि इस्लामी देशों का खलीफा कहा जाने वाला सउदी अरब, जहां मुस्लिम महिलाओं के कार चलाने तक पर बैन था। वो अपने नियमों में ढील दे रहा है। वहां अब मुस्लिम महिलाएं 2018 के बाद से न केवल कार चला सकती हैं, बल्कि उन्हें अब वहां की सरकार ने बुर्के की अनिवार्यता के बंधन से भी मुक्त कर दिया है। अब ये मुस्लिम महिलाओं पर निर्भर करता है कि वो बुर्के में रहना पसंद करती हैं या नहीं। वहीं दूसरी ओर भारत के कुछ मौलाना शरिया का राग अलाप रहे हैं। वे ईरान की तरह शरिया की वकालत करते हैं।

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