जिन्ना के देश में एक हिन्दू मंत्री तब सकते में आ गया जब लोगों ने उसका काफिला रोककर उस पर सब्जियां फेंककर उसे अपमानित करना शुरू कर दिया। बात इतने पर ही थम गई और सुरक्षा कर्मी मंत्री को सुरक्षित बचाकर ले जाने में कामयाब हो गए, अन्यथा प्रदर्शन के हिंसक होने और मंत्री के चोटिल होने की पूरी संभावना थी। इस घटना से इस्लामाबाद में पाकिस्तान मुस्लिम लीग—नवाज की सत्ता सकते में है और प्रधानमंत्री शाहबाज की त्योरियां चढ़ी हुई हैं। उन्होंने सदमे में डूबे उस मंत्री से बात की है और इस मामले की तह तक जाकर छानबीन करवाने का आश्वासन दिया है।
घटनाक्रम के अनुसार, जिन्ना के देश में सिंध सूबे में कल एक हिंदू मंत्री खेल दास कोहिस्तानी के काफिले को प्रदर्शनकारियों ने घेर लिया और उन पर हमला बोल दिया गया। यह घटना तब हुई जब स्थानीय लोग सिंचाई नहर परियोजना का विरोध कर रहे थे। वहां से मंत्री खेल दास का काफिला गुजरा तो उन्हें घेर लिया गया और प्रदर्शनकारियों ने उनके काफिले पर टमाटर, आलू फेंके। इस घटना के बाद से वहां न केवल मजहबी तनाव पैदा हुआ है बल्कि विभिन्न दलों के बीच राजनीतिक तलवारें खिंच गई हैं। इससे पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की दुरावस्था को लेकर भी नए सिरे से बहस उठ खड़ी हुई है।
मंत्री खेल दास कोहिस्तानी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के सांसद हैं और पांथिक मामलों के राज्य मंत्री भी हैं। कल वे जिला थट्टा से अपने कार काफिले में गुजर रहे थे, लेकिन बीच राह में प्रदर्शनकारियों ने उनके काफिले को घेर लिया और उन पर अपना गुस्सा जाहिर किया। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि प्रस्तावित नहर परियोजना से सिंधु नदी के पानी का बहाव कम हो जाएगा, जिससे सिंचाई पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। इस मुद्दे पर वहां से सैकड़ों लोग विरोध करने के लिए जमा था। उन्होंने मंत्री को आता देखकर उन पर अपना गुस्सा उजारना शुरू कर दिया।
घटना की खबर मिलते ही, प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ बिफर उठे। उन्होंने घटना की कड़ी निंदा की। शरीफ ने कोहिस्तानी को फोन मिलकर उनका हालचाल लिया और पूरे मामले की गहन जांच कराने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि जन प्रतिनिधियों पर हमला किसी तरह अस्वीकार नहीं हो सकता। इस घटना में जो भी दोषी साबित होंगे उन्हें कठोर सजा दी जाएगी। उधर सिंध के मुख्यमंत्री सैयद मुराद अली शाह ने भी इस घटना की निंदा की और पुलिस को दोषियों को तुरंत गिरफ्तार करने का निर्देश दिया।
बेशक, इस घटना ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और उनके अधिकारों पर चली आ रही बहस को ताजा कर दिया है। सिंध सूबे में बसे हिंदुओं के साथ लंबे समय से भेदभाव किया जाता रहा है। हिन्दुओं का उत्पीड़न हो रहा है। इस घटना ने सरकार की नीतियों और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की उसकी प्रतिबद्धता पर सवाल उठाए हैं।
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