भारत

समरसता हेतु समाज के समस्त वर्गों के लिए एक मंदिर, एक कुआं, एक श्मशान हो

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने समाज में परिवर्तन के लिए शाखा टोली को भी पंच परिवर्तन का मूलमंत्र दिया।

Published by
WEB DESK

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने समाज में परिवर्तन के लिए शाखा टोली को भी पंच परिवर्तन का मूलमंत्र दिया। उन्होंने स्वयंसेवकों की जिज्ञासाओं का उत्तर देते हुए कहा कि समाज में तेजी से परिवर्तन लाना है, इसलिए सभी स्वयंसेवकों को पंच परिवर्तन पर विशेष ध्यान देना है। इसमें समाज की बड़ी भूमिका होगी। घर-घर जाकर समाज को जागृत करना होगा। भारत ही दुनिया में एकमात्र ऐसा देश है जो विश्व में शांति और सुख समृद्धि लाने में बड़ी भूमिका निर्वहन करेगा। इसलिए विश्व की निगाहें भारत की ओर हैं। स्वयंसेवक अपनी भूमिका के लिए तैयार रहें। समरसता हेतु समाज में समस्त वर्गों के लिए एक मंदिर, एक कुआं, एक श्मशान हो।

अपने पांच दिवसीय प्रवास के तीसरे दिन शनिवार को सरसंघचालक जी दो शाखाओं पर उपस्थित रहे। सुबह एचबी इंटर कालेज के परिसर में लगने वाली सनातन और शाम को पंचनगरी स्थित भगत सिंह शाखा में उपस्थित रहे। दोनों शाखाओं में शाखा टोली को पंच परिवर्तन और शताब्दी वर्ष पर जोर देने को कहा। उन्होंने कहा कि सामाजिक परिवर्तन में स्वयंसेवकों की बड़ी भूमिका है। स्वयंसेवक राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत होते हैं, इसलिए आप अपने आपको पहचानें। समाज में समरसता का भाव लाएं। संघ के स्वयंसेवक समाज के प्रत्येक वर्ग के घर जाएं। उनसे बातचीत करें, उन्हें आदर सत्कार के साथ अपने घर भी बुलाएं। तीज, त्यौहार आदि कार्यक्रम भी मिलकर साथ करें। जिससे समाज में सामाजिक समरसता का भाव पैदा हो। कुटुंब प्रबोधन के माध्यम से हमें परिवार और संस्कार को आगे बढ़ाना है। भारत की सबसे बड़ी पूंजी संस्कार है। परिवार में एक साथ पूजन, हवन करें। साथ साथ भोजन करें, जिससे परिवार की कड़ी मजबूत बनी रहे।

Share
Leave a Comment