भारत के पड़ोस में जिन्ना ने जिद्द करके बसाया कट्टर इस्लामी देश आज आतंकवाद की फैक्ट्री और अपनी भीख मांगने की कट्टर आदत के कारण दुनियाभर में अपनी नाक कटवा रहा है। खाड़ी का एक प्रमुख मुस्लिम देश तो जिन्ना के देश के भिखारियों से इतना परेशान हो चला है कि अब तक हजारों को धक्के मार कर निकाल बाहर कर चुका है, उन्हें उनके इस्लामी देश को लौटा चुका है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ एक तरफ तो कहते हैं कि उनके इंटरनेशनल भिखारी साल में 47 खरब रुपए कमा रहे हैं तो दूसरी तरफ यह भी कहते हैं कि उनकी भीख मांगने की आदत जिन्ना के देश की नाक कटा रही है। पाकिस्तान के नेताओं की ढिठाई और गरीब अवाम की मजबूरी इस स्थिति से बखूबी साफ होती है।
ख्वाजा मोहम्मद आसिफ ने एक ताजा बयान में कहा है कि पाकिस्तान के भिखारी साल में 47 खरब रुपए कमाते हैं। हालांकि यह आंकड़ा चौंकाने वाला है और देश की आर्थिक स्थिति पर सवाल उठाता है, क्योंकि भिखारियों की इतनी मोटी आय का मतलब है कि देश में गरीबी और बेरोजगारी की स्थिति गंभीर है।

आसिफ इसी बयान के अगले भाग में यह भी कह गए कि भिखारियों की बढ़ती संख्या और उनकी ऐसी करतूतों से देश की नाक कट रही है। पाकिस्तान, जो पहले से ही आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा है, इस प्रकार की समस्याओं से और अधिक दबाव में आ सकता है। लेकिन सऊदी अरब ने पाकिस्तान के घड़ियाली आंसू बहुत पहले ही पहचान लिए थे इसलिए उन्होंने पूरी कड़ाई से मक्का—मदीना का हज करने आने वाले लोगों के हाथ पसारते पाकिस्तानी भिखारियों को चुन—चुनकर पकड़ना और उन्हें उनके जिन्ना के देश लौटाने की नीति अपनाई हुई है। खुद आसिफ ने आकंड़ा बताया है कि उनके देश के करीब 4700 भिखारियों को सऊदी अरब लौटा चुका है। खाड़ी के इस देश ने संदिग्ध लोगों को वीसा तक जारी करना बंद कर दिया है।
सऊदी अरब द्वारा लगभग 4700 पाकिस्तानी भिखारियों को देश से बाहर निकालना कंगाल पाकिस्तान के खजाने और छवि के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि यह बात उसके नागरिकों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सूरत बिगाड़ती है। सऊदी अरब जैसे देशों में काम करने वाले पाकिस्तानी नागरिकों की संख्या काफी अधिक है और इस प्रकार की घटनाएं उनके रोजगार के अवसरों को सीमित कर सकती हैं।
जैसा पहले बताया, पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति पहले से ही कमजोर है, तिस पर भिखारियों की इतनी बड़ी तादाद और उनकी आय का खुलासा देश के सामाजिक ताने-बाने को और हिला सकता है। इस्लामाबाद को समझ नहीं आ रहा है कि भिखारियों की सऊदी अरब जाकर भीख मांगने की इस आदत को कैसे छुड़ाए!
जिन्ना का देश शुरू से ही शरारती सोच का रहा है। भारत के प्रति नफरत स्कूली बच्चों के स्तर से ही भरता रहा है। वहां के मजहबी मदरसे आतंकी तैयार करना अपना मजहबी फरमान समझते हैं। इसलिए अशिक्षा और बेरोजगारी के बोलबोले के सिवाय वहां और कुछ दिखता ही नहीं है। विकास किसे कहते हैं, यह पाकिस्तानी अवाम को शायद भारत को देखने से ही पता चल रहा है। वहां के नेता आंकठ भ्रष्टाचार में डूबे देश का ही खजाना लूटने के लिए कुख्यात हो चले हैं। सरकार गरीब और बेरोजगारों को और गर्त में ही डालने के काम करती है। साथ ही, वहां पीढ़ियों से रहते आए वर्तमान में अल्पसंख्यक अथवा हिन्दुओं को लगातार खत्म करती जा रही है।
ऐसे देश के लोग अवसर की तलाश में अमीर देशों में जाकर भीख मांगने पर उतारू न हों तो करें क्या! पाकिस्तान की सरकार अब अपने लोगों को दो वक्त की रोटी तक देने में समर्थ नहीं है। सऊदी अरब ने उचित कदम उठाते हुए पाकिस्तान को उसका स्थान याद दिलाया है। डार के आंसू सच में घड़ियाली हैं!
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