यूरोपीय देश फ्रांस में हिजाब, बुर्का या फिर सार्वजनिक रूप से सिर ढंकने पर बहुत समय पहले ही प्रतिबंध लगा दिया गया था। हाल ही में सभी प्रकार के खेलों में भी फ्रांसीसी सरकार ने एक विधेयक के जरिए हिजाब पहनने पर रोक लगा दी। इसके बाद विवाद खड़ा हो गया। वहां खेलों में बुर्का या हिजाब बैन को धार्मिक स्वतंत्रता पर हमले के रूप में प्रचारित किया जा रहा है।
वहां इस मामले को उठाने का काम चीनी मूल के लेखक हाओयु “हेनरी” हुआंग कर रहे हैं। मतलब ये कि मामला फ्रांस का है, लेकिन हिजाब की तरफदारी कर रहा है चीनी मूल का लेखक moderndiplomacy.eu पर लिखे गए लेख के अनुसार, हाओयु “हेनरी” हुआंग चीनी मूल का है, जो कि खुद को विदेशी मामलों का स्वतंत्र ऑब्जर्वर बताता है। लेखक अपने लेख के जरिए फ्रांस में मुस्लिमों को भड़काने की कोशिश वाला लेख लिखता है और कहता है कि फ्रेंच सरकार सार्वजनिक सुरक्षा चिंताओं के बहाने अपने नए आदेश के जरिए मुस्लिमों के व्यक्तिगत अधिकारों में हस्तक्षेप कर रही है।
धार्मिक सहिष्णुता पर मुगलों का हवाला देते हुए चीनी मूल का कथित ऑब्जर्वर कहता है कि जिस तरह से फ्रांस ने हिजाब पर प्रतिबंध लगा रखा है और उस पर अंतरराष्ट्रीय संगठन चुप्पी साधे हुए है, यह बेहद चिंताजनक है। खेलों में हिजाब पर बैन लगाना धार्मिक स्वतंत्रता के साथ ही निजता के अधिकार का भी उल्लंघन है। चीनी लेखकर फ्रांस के खिलाफ माहौल बनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र में मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा के अनुच्छेद 18 की जिक्र करते हुए कहता है कि हर किसी को विचार, विवेक और धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार है।
दावा यह भी किया जा रहा है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकारों के लिए काम करने वाले संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने हिजाब के खिलाफ फ्रेंच सरकार के द्वारा उठाए गए कदमों की आलोचना करते हुए कहा है कि कथित धर्मनिरपेक्षता के नाम पर बनाए गए कानून ने मुस्लिम महिलाओं और लड़कियों के खेलों में समान अवसरों के अधिकारों को उनसे छीन लिया है।
फ्रांस में मुस्लिमों के लिए दिखावा, उइगरों पर चुप्पी
हाओयु “हेनरी” हुआंग, जो कि चीनी मूल का लेखक है और फ्रांस में हिजाब के खिलाफ लगाए गए बैन को लेकर तड़प रहा है। उसका दोहरा चरित्र इसी बात से स्पष्ट हो जाता है कि चीन में उइगर मुस्लिमों के साथ किस प्रकार से अमानवीय व्यवहार किया जाता है, उस पर इस लेखक ने अपने इस लेख में एक शब्द नहीं लिखा। ये इस चीनी लेखक के पक्षपात और उसकी उस सोच को भी दर्शाता है, जिसके जरिए वह फ्रांस में मुस्लिमों का हमदर्द बनने का दिखावा कर रहा है।
ये संयुक्त राष्ट्र संघ की ही 2022 की रिपोर्ट है, जिसमें खुलासा किया गया था कि चीन के शिनजियांग प्रांत में 10 लाख से अधिक उइगर और अन्य मुस्लिम अल्पसंख्यकों को “पुनर्शिक्षा शिविरों” में हिरासत में रखा गया है। इन शिविरों में जबरन वैचारिक प्रशिक्षण, शारीरिक यातनाएं, और सांस्कृतिक पहचान को मिटाने की नीतियां लागू की जाती हैं। इसके साथ ही उइगरों को कुरान रखने, धार्मिक फोटो/वीडियो मोबाइल में रखने, या नमाज पढ़ने जैसे कार्यों पर भी रोक लगाई गई है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, चीनी सरकार उइगर महिलाओं की चीनी पुरुषों के साथ जबरन शादियां करा रही है, ताकि उनकी सांस्कृतिक और मजहबी पहचान को खत्म किया जा सके।
अपने लेख में चीनी मूल के लेखक ने उइगरों के हालातों के बारे में एक भी शब्द नहीं लिखा। सवाल ये है कि अगर फ्रांसीसी मुस्लिमों से इतना लगाव है तो चीन के उइगर मुस्लिमों से किस बात का बैर?
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