ब्रिटेन: ट्रांसजेंडरों का सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ विरोध प्रदर्शन, हजारों सड़कों पर
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ब्रिटेन: सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ ट्रांसजेंडरों ने किया प्रदर्शन, प्रदर्शनकारियों ने लहराए फिलिस्तीन के झंडे

ब्रिटेन में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ ट्रांसजेंडर समुदाय सड़कों पर। कोर्ट ने कहा, ट्रांस महिलाएं इक्वालिटी अधिनियम 2010 के तहत 'महिला' नहीं। लंदन और एडिनबर्ग में हजारों ने किया विरोध, मांगे ट्रांस अधिकार।

by Kuldeep Singh
Apr 20, 2025, 06:59 am IST
in विश्व
Britain Transgender protest palestinian flag

ट्रांसजेंडर प्रदर्शनकारियों ने लहराए फिलिस्ती के झंडे (फोटो साभार: जीबी न्यूज)

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ब्रिटेन में ट्रांसजेंडरों का गुस्सा सरकार के खिलाफ भड़क गया है। जेंडर चेंज करवाकर महिला बने पुरुषों को महिला मानने से इंकार करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी सड़क पर उतर आए। प्रदर्शनकारियों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध किया। मध्य लंदन और एडिनबर्ग शहर में उतरे प्रदर्शनकारियों ने कोर्ट के फैसले को अपनी स्वतंत्रता पर हमला करार दिया है.

जीबी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने ट्रांस मुक्ति और ट्रांस अधिकार की मांग की। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने ‘एक संघर्ष एक लड़ाई, फिलिस्तीन और ट्रांस अधिकार जैसे नारे लगाए।’ इतना ही नहीं आंदोलनकारियों ने मताधिकारवादी मिलिसेंट फॉसेट और दक्षिण अफ्रीका के पूर्व प्रधानमंत्री जॉन स्मट्स के स्टेच्यू को ट्रांस समर्थिक भित्तिचित्रों से रंग दिया।

ट्रांसजेंडरों के इस प्रदर्शन का नेतृत्व ट्रांस किड्स डिजर्व बेटर, इंटरसेक्स नॉन बाइनरी एंड ट्रांसजेंडर पीपल, प्राइन इन लेबर, ट्रांसएक्चुअल जैसे ट्रांसजेंडर संगठनों ने किया। लंदन के बाद एडिनबर्ग में भी ट्रांसजेंडर समर्थकों ने प्रदर्शन किए, जिसका नेतृत्व रेसिस्टिंग ट्रांसफोबिया नाम के ट्रांस समर्थक संगठन ने किया। इस मौके पर प्राइड इन लेबर के सह अध्यक्ष एवरी ग्रेटोरेक्स कहते हैं कि उस मामले में सुनवाई के दौरान किसी भी ट्रांस व्यक्ति या संगठन को प्रतिनिधित्व करने का मौका ही नहीं दिया गया था।

उनका कहना है कि ब्रिटेन में अगर ट्रांसजेंडरों का भला करना है तो अब हमें विधायी और लॉबिंग करने वाली शक्तियों की आवश्यकता है। हम लोगों ने ये विरोध प्रदर्शन सरकार पर दबाव बनाने के लिए शुरू किया है। उल्लेखनीय है कि जमीन पर प्रदर्शन से पहले ट्रांस समुदाय के लोगों ने सोशल मीडिया के जरिए सरकार की नींद खोलने की कोशिश की, लेकिन जब वहां सफल नहीं हुए तो जमीनी स्तर पर प्रदर्शन शुरू किया गया। इस मामले में ब्रिटेन के ही समानता के अधिकारों के लिए काम करने वाले एक वॉचडॉग के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का असर ये होगा कि ट्रांस महिलाएं न तो महिला शौचालयों, चेंजिंग रूम का इस्तेमाल कर पाएंगीं और न ही वे खेलों में महिलाओं के साथ शामिल हो पाएंगी।

क्या है पूरा मामला

मामला कुछ यूं है कि हाल ही में यूके के सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए यूके के इक्वालिटी लॉ के अंतर्गत महिला की परिभाषा दी। यूके के सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रांस महिलाएं इक्वालिटी अधिनियम 2010 की परिभाषा के अंतर्गत महिलाओं की श्रेणी में नहीं आएंगी।

कोर्ट ने निर्णय सुनाते हुए कहा कि इक्वालिटी अधिनियम की धारा 11 के अंतर्गत “महिला” की जो परिभाषा दी गई है, उसमें लिंग का निर्धारण जन्म से होता है अर्थात केवल जैविक लिंग ही लिंग निर्धारण कर सकते हैं। स्कॉटलैंड की सरकार के दिशानिर्देशों पर निर्णय देते हुए यूके के सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा, “इन सभी कारणों से, हम निष्कर्ष निकालते हैं कि स्कॉटिश सरकार द्वारा जारी किया गया मार्गदर्शन गलत है। महिला लिंग में जीआरसी वाला व्यक्ति इक्वालिटी अधिनियम 2010 की धारा 11 में लिंग भेदभाव के उद्देश्यों के लिए ‘महिला’ की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आता है।

इसका मतलब यह है कि 2018 अधिनियम की धारा 2 में ‘महिला’ की परिभाषा, जिसे स्कॉटिश मंत्री स्वीकार करते हैं कि इक्वालिटी अधिनियम 2010 की धारा 11 और धारा 212 में ‘महिला’ शब्द के समान अर्थ होना चाहिए, जैविक महिलाओं तक सीमित है और इसमें जीआरसी वाली ट्रांस महिलाएं शामिल नहीं हैं।”

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