ईस्टर पर इस्लाम का जिक्र क्यों? किंग चार्ल्स के संदेश पर भड़का ब्रिटेन
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ईस्टर पर इस्लाम का जिक्र क्यों? : किंग चार्ल्स के संदेश से भड़का ब्रिटेन, लोगों ने पूछा- कन्वर्जन कर लिया क्या..?

ब्रिटेन के किंग चार्ल्स ने ईस्टर संदेश में इस्लाम की प्रशंसा की, सोशल मीडिया पर भारी विरोध शुरू। यूज़र्स ने उनकी निष्ठा पर खड़े किए सवाल

by सोनाली मिश्रा
Apr 18, 2025, 10:37 pm IST
in विश्व
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इंग्लैंड के किंग चार्ल्स ने ईस्टर के अवसर पर एक संदेश दिया है। उस संदेश के कारण सोशल मीडिया से लेकर आम लोगों में गुस्सा भर गया है। लोग प्रश्न कर रहे हैं कि आखिर ऐसा किंग चार्ल्स ने क्यों किया? दरअसल ब्रिटेन के शाही परिवार की ओर से हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी ईस्टर का संदेश जनता को दिया गया। उस संदेश में और बातों के अतिरिक्त इस्लाम की भी प्रशंसा थी।

जीसस के विषय में लिखते हुए उन्होनें लिखा कि जीसस ने इस धरती पर रहते हुए जो प्यार दिखाए, वह अजनबियों के प्रति देखभाल के यहूदी मूल्यों, इस्लाम और अन्य धार्मिक परंपराओं में प्रतिध्वनित होती हुई गहरी मानवीय संवेदना को प्रतिबिंबित किया।

किंग चार्ल्स तृतीय के ईस्टर के संदेश में इस्लाम का उल्लेख होने से उनके यहाँ के लोग भड़क गए हैं। वे सोशल मीडिया पर किंग चार्ल्स के इस संदेश पर प्रश्न उठा रहे हैं। संभवतया ब्रिटेन में किंग को ईसाइयत का रक्षक माना जाता है। जो ईसाई मतावलंबी हैं, वे यह पूछ रहे हैं कि क्या चार्ल्स अपनी उस भूमिका को अनदेखा कर रहे हैं?

King Charles III has released an Easter message which includes an inappropriate reference to Islam.

This is outrageous.

Charles is neglecting his role as Defender of the Faith. pic.twitter.com/OiIfJj7lGQ

— Disciples Of Christ (@ChristSavesUK) April 17, 2025

एक यूजर ने प्रश्न उठाए कि किंग चार्ल्स अपने ईस्टर के संदेश में भी इस्लाम को अनदेखा नहीं कर पाए। पूरे विश्व में इस्लामिस्टों के हाथों मारे जा रहे ईसाई शायद इसकी सराहना करेंगे। किंग चार्ल्स के रमजान के संदेश में ईसाइयत का उल्लेख नहीं था।

King Prince Charles’ Easter message can’t wait to pivot to fellating Islam.

I’m sure the Christians being slaughtered by Islamists around the world will appreciate that.

There was no mention of Christ in his Ramadan message.

The King of Cuckingham Palace. pic.twitter.com/DDxO3wJI6P

— Leo Kearse – on YouTube & GB News (@LeoKearse) April 17, 2025


लोग किंग चार्ल्स के ईसाई होने पर भी प्रश्नचिह्न लगा रहे हैं। लोग पूछ रहे हैं कि क्या वह वास्तव में मोनार्की को समाप्त करने का प्रयास कर रहे हैं? कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर प्रश्न किये कि क्या उन्होनें कन्वर्जन कर लिया है?

लोगों ने प्रश्न उठाए कि आखिर क्यों उन्होनें ऐसे पर्व पर इस्लाम और अन्य धर्मों का उल्लेख किया, जो केवल और केवल ईसाइयत से जुड़ा है?

King Charles III has released an Easter message in his role as head of the Church of England.

Strangely, he chose to include references to Islam and other religions in a message that’s meant to reflect the Christian meaning of Holy Week. pic.twitter.com/EHeOA9CfAT

— Lewis Brackpool (@Lewis_Brackpool) April 17, 2025


ब्रिटेन के किंग चार्ल्स तृतीय इस्लाम के प्रति नरम रुख रखते हैं और इसका प्रदर्शन वह लगातार करते भी रहते हैं। लोगों ने सोशल मीडिया पर ही उनके इस रुख को लेकर तमाम बार प्रश्न उठाए हैं। मगर ईस्टर के संदेश में इस्लाम के उल्लेख से वे विशेष परेशान हैं और वह भी उस समय जब ब्रिटेन में ग्रूमिंग गैंग्स की घटनाओं की जांच चल रही है और लोगों के मन में श्वेत लड़कियों के साथ हुए अन्याय को लेकर रोष चरम पर है।

एक यूजर ने लिखा जब नेता उस धर्म के लिए कोई स्टैंड लेने में विफल रहते हैं जिस धर्म ने उस देश का निर्माण किया  तो यही होता है। ईस्टर केवल जीसस के लिए है, दूसरे धर्मों के तुष्टीकरण के लिए नहीं है। एक यूजर ने लिखा कि किंग चार्ल्स ने ईद के संदेश में ईसाइयत का उल्लेख नहीं किया?

लोगों ने प्रश्न उठाए कि कई इस्लामिक मुल्कों में ईसाइयों पर हमले हो रहे हैं, उन्हें मौत के घाट केवल उनके रिलीजन के कारण ही मारा जा रहा है। और यहाँ पर ईसाई कैलेंडर में सबसे पवित्र दिन का प्रयोग हमारा राजा इस्लाम को सेलब्रैट करने के लिए कर रहा है?

लोग कह रहे हैं कि जिस ईस्टर के संदेश में जीसस की कुर्बानियों और त्याग का उल्लेख होना चाहिए था, उसे इस्लाम की विशेषता के लिए प्रयोग किया गया? वहीं रानी के पूर्व चैपलन ने किंग चार्ल्स की आलोचना इस बात को लेकर की है कि उन्होनें ईस्टर का प्रयोग इस्लाम के लिए किया। उन्होनें इसे अपमानजनक और विरोध का कदम बताया।

किंग चार्ल्स ने इस वर्ष मार्च में विंडसर कैसल के दरवाजे स्टेट अपार्टमेंट के 1,000 साल के इतिहास में पहली बार सार्वजनिक इफ्तार के लिए खोले थे। उस समय भी लोगों ने विरोध किया था। इस सार्वजनिक इफ्तार दावत में सैंट जॉर्ज हॉल में 360 मुस्लिम रमजान का रोजा खोलने के लिए इकट्ठे हुए थे। यह अवसर इसलिए भी महत्वपूर्ण था क्योंकि मुस्लिमों ने रोज़े उस स्थान पर खोले थे, जो हॉल आम तौर पर स्पेशल दावतों और राजनेताओं के दौरों के लिए प्रयोग किया जाता था।

स्टेट अपार्टमेंट्स में यह सबसे पहली इफ्तार दावत थी।

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