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श्रीमद्भगवद्गीता और भरत मुनि का नाट्यशास्त्र अब यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में अंकित

यूनेस्को ने शुक्रवार को अपने विश्व स्मृति रजिस्टर में श्रीमद्भगवद्गीता और भरत मुनि के नाट्यशास्त्र को शामिल कर लिया है।

Published by
Mahak Singh

यूनेस्को ने शुक्रवार को अपने विश्व स्मृति रजिस्टर में श्रीमद्भगवद्गीता और भरत मुनि के नाट्यशास्त्र को शामिल कर लिया है। इसके साथ अब यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में देश के 14 अभिलेख इसमें शामिल हो गए हैं।

उल्लेखनीय है कि यूनेस्को ने शुक्रवार कोअपने विश्व स्मृति रजिस्टर में 74 नए दस्तावेजी विरासत संग्रह जोड़े, जिससे कुल अंकित संग्रहों की संख्या 570 हो गई। 72 देशों और 4 अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की प्रविष्टियों में वैज्ञानिक क्रांति, इतिहास में महिलाओं का योगदान और बहुपक्षवाद के प्रमुख मील के पत्थर जैसे विषय शामिल हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने प्रसन्नता जताई कि गीता और नाट्य शास्त्र को यूनेस्को के ‘वर्ल्ड मेमोरी रजिस्टर’ में शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि यह हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण है। यह हमारी प्राचीन बुद्धिमत्ता और समृद्ध संस्कृति को दुनिया की ओर से मिली मान्यता है। गीता और नाट्य शास्त्र ने सदियों से मानव सभ्यता और सोच को दिशा दी है और आज भी उनकी शिक्षाएं दुनिया को प्रेरित करती हैं।

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इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इसे भारत की सभ्यतागत विरासत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण बताया।

उन्होंने एक्स पर जानकारी दी कि श्रीमद्भगवद्गीता और भरत मुनि के नाट्यशास्त्र को अब यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में अंकित किया गया है। यह वैश्विक सम्मान भारत के शाश्वत ज्ञान और कलात्मक प्रतिभा को उजागर करता है। उन्होंने कहा कि ये कालातीत रचनायें साहित्यिक खजाने से कहीं अधिक हैं । वे दार्शनिक और सौंदर्यवादी आधार हैं, जिन्होंने भारत के विश्व दृष्टिकोण और हमारे सोचने, महसूस करने, जीने और अभिव्यक्त करने के तरीके को आकार दिया है। इसके साथ ही अब हमारे देश के 14 अभिलेख इस अंतर्राष्ट्रीय रजिस्टर में शामिल हो गए हैं।

यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर क्या है?

यह एक कार्यक्रम है जिसे यूनेस्को ने 1992 में शुरू किया था। इसका उद्देश्य दुनिया के पुराने, महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक दस्तावेज़ों को सुरक्षित रखना है, ताकि ये आने वाली पीढ़ियों के लिए भी सुरक्षित रहें। इस योजना के तहत लोग इन दस्तावेज़ों को आसानी से देख और समझ सकते हैं। कई सौ साल पुराने दस्तावेज़ भी इस कार्यक्रम की मदद से संरक्षित किए गए हैं।

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