अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति ने वैश्विक व्यापार व्यवस्था में हलचल मचा दी है। दुनिया के कई देश अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को लेकर चिंतित हैं। इसी कड़ी में अब ईरान ने एशिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं भारत, रूस और चीन के साथ व्यापारिक संबंध मजबूत करने की बात कही है। हालाँकि, ट्रम्प ने इन टैरिफ को 90 दिनों के लिए स्थगित करने का फैसला किया है।
ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने हाल ही में एक बयान में कहा कि ईरान को एशियाई देशों, खासकर भारत, चीन और रूस के साथ व्यापार बढ़ाना चाहिए और पड़ोसी देशों को प्राथमिकता देनी चाहिए। खास बात यह रही कि खामेनेई ने पाकिस्तान का नाम तक नहीं लिया। आतंकवाद और सीमा पार हिंसा के चलते ईरान और पाकिस्तान के संबंध पहले से ही तनावपूर्ण रहे हैं।
वर्तमान में भारत और ईरान के बीच चाबहार बंदरगाह परियोजना को लेकर सहयोग जारी है। दोनों देशों ने इसके निर्माण और संचालन को लेकर 10 वर्षों के समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। हालांकि, कश्मीर और भारत में मुसलमानों को लेकर खामेनेई के तीखे बयानों के कारण दोनों देशों के बीच कुछ समय के लिए तनाव भी देखने को मिला है।
ईरान चाहता है कि भारत एक बार फिर उससे कच्चे तेल का आयात शुरू करे। कभी भारत ईरान से बड़ी मात्रा में कच्चा तेल खरीदता था, लेकिन अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते यह आयात बंद हो गया। 2014-15 में भारत-ईरान व्यापार 13 अरब डॉलर से ज्यादा था, लेकिन 2019-20 में यह घटकर काफी कम रह गया। ईरान भारत को सूखे मेवे, रसायन और कांच के बर्तन जैसे उत्पाद बेचता था, जबकि भारत से बासमती चावल, चाय और कॉफी का निर्यात होता था। अब ईरान एक बार फिर इन व्यापारिक रिश्तों को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। उम्मीद है कि भारत के साथ उसका व्यापार फिर से पुराने स्तर पर लौट सकेगा।
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