घर वापसी करने वाले जनजातीय समाज के लोग (फोटो साभार: सुदर्शन न्यूज)
कोई किसी को बरगलाकर कितने ही दिन दूसरे मतों में रख सकता है। अंत में भटके हुए लोग अपने घरों को आते ही हैं। झारखंड में भी ऐसा ही हुआ है, जहां पश्चिमी सिंहभूम जिले में 44 ईसाइयों ने ईसाइयत को त्यागकर सनातन धर्म में घर वापसी कर ली। इन सभी को करीब 9 साल पहले बरगलाकर ईसाई में कन्वर्ट करा दिया गया था।
सुदर्शन न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, चाइबासा के नेवामुंडी प्रखंड क्षेत्र के बड़ा पासेया ये रहने वाले ये सभी लोग जनजातीय समाज से आते हैं। 2016 में ईसाई मिशनरियों ने इन्हें अच्छी शिक्षा, अच्छा जीवन और अच्छे रहन सहन का लालच देकर इन सभी का कन्वर्जन करवाया था। जब इन्हें इनकी गलती का अहसास हुआ तो ये सभी सनातन धर्म की ओर वापस लौटने की कोशिशें कर रहे थे। इस मामले में ‘हो’ समाज युवा महासभा के महासचिव गब्बर सिंह हेंब्रम ने दावा किया कि प्रदेश के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में बाहर से आकर मिशनरी लोगों का धर्मान्तरण करने का षणयंत्र रच रहे हैं।
इसे भी पढ़ें: घर वापसी: झारखंड में 68 परिवारों के 200 वनवासियों ने अपनाया सनातन धर्म
हो समाज इससे निपटने के लिए लगातार लोगों में जागरुकता फैलाने की कोशिश कर रहा है। कोशिश है कि लोग वापस अपने मूल में लौटें। इसी क्रम में 44 लोगों ने घर वापसी की है। हिन्दू संगठनों का कहना है कि हमारी संस्कृति ही हमारी पहचान है।
गौरतलब है कि दूसरे मतों में बरगलाकर ले जाए गए हिन्दुओं को जब अपनी गलती और सनातन धर्म की महानता का अहसास होता है तो वे वापस अपने मूल में लौटते ही हैं। इसी क्रम में पिछले महीने मार्च 17 को भी झारखंड के पश्चिम सिंहभूम जिले में ही 68 ईसाई परिवारों के 200 लोगों ने जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती जी महाराज के सानिध्य में स्वधर्म में वापसी की थी। इन लोगों मतांतरण कराने वालों ने अपने झूठे माया जाल में फंसाकर इनका स्वधर्म त्याग करवा दिया था। लेकिन, इनसे इनका सनातन धर्म के प्रति लगाव खत्म नहीं हुआ।
Leave a Comment