पश्चिम बंगाल

तुर्की से फंडिंग, हिंदू थे टारगेट : मुर्शिदाबाद हिंसा का सनसनीखेज खुलासा, 500 रुपए में बांग्लादेश बनाने की थी साजिश

मुर्शिदाबाद हिंसा के लिए तुर्की से फंडिंग, 500 रुपये में खरीदे गए हमलावर। साजिशकर्ताओं का मकसद था बंगाल को बांग्लादेश जैसी अराजकता में धकेलना। हिंदुओं का पलायन, राष्ट्रीय सुरक्षा पर सवाल। पढ़ें पूरी खबर।

Published by
SHIVAM DIXIT

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के विरोध में भड़की हिंसा ने तीन लोगों की जान ले ली और सैकड़ों को घायल कर दिया। इस हिंसा ने क्षेत्र में दहशत फैला दी, जिसके चलते कई हिन्दू परिवारों को अपने घर छोड़कर सुरक्षित ठिकाने तलाशने पड़े। जांच एजेंसियों के अनुसार, यह हिंसा कोई अचानक घटना नहीं थी, बल्कि इसकी साजिश तीन महीने पहले से सुनियोजित ढंग से रची गई थी।

वहीँ इस मामले में विदेशों से भी फंडिग का चौंकाने वाला खुलासा हुआ. इस हिंसा के लिए तुर्की से फंडिंग की गई थी, और हमलावरों को लूटपाट के लिए प्रति व्यक्ति 500 रुपये पेमेंट देने की बात सामने निकलकर आ रही है।

जांच एजेंसियों ने पाया कि साजिशकर्ताओं का मकसद पश्चिम बंगाल को बांग्लादेश जैसी अराजक स्थिति में धकेलना था। हिंसा की योजना पिछले तीन महीनों से तैयार की जा रही थी। दो महीने पहले आतंकी संगठन से जुड़े दो सदस्य मुर्शिदाबाद पहुंचे और स्थानीय लोगों को एक बड़ी “दावत” की बात कही।

जानकारी के अनुसार इस हिंसा के लिए पहले तो रामनवमी को निशाना बनाने की योजना थी, लेकिन सुरक्षा व्यवस्था के चलते इसे टाल दिया गया। लेकिन वक्फ बिल ने साजिशकर्ताओं को नया ट्रिगर पॉइंट दे दिया। हमलावरों को ट्रेनों को बाधित करने, सरकारी संपत्ति को नष्ट करने, हिंदुओं पर हमला करने और उनके घरों को लूटने का लक्ष्य दिया गया। साजिशकर्ताओं ने उन्मादियों को लूटपाट और नुकसान के आधार पर अधिक धन देने का लालच भी दिया था।

उन्मादियों ने साजिशकर्ताओं के अनुसार 10 अप्रैल को हिंसा में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस वाहनों में आग लगा दी, सड़कों को जाम किया और रेलवे संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार ने तुरंत केंद्रीय सुरक्षा बलों की पांच अतिरिक्त कंपनियां तैनात कीं। पहले से मौजूद 300 बीएसएफ जवानों के साथ मिलकर ये बल अब इलाके में कड़ा पहरा दे रहे हैं। हिंसा के बाद कई परिवार अपने घरों को लौटने लगे हैं, लेकिन डर का माहौल अभी भी बरकरार है।

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बरहाल जांच एजेंसियां हिंसा के पीछे की साजिश को और गहराई से खंगाल रही हैं। तुर्की से फंडिंग और हमलावरों की ट्रेनिंग के सबूतों ने इस मामले को राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़ दिया है। स्थानीय लोग और विपक्षी दल इस घटना को लेकर सरकार से कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। बंगाल में अगले साल होने वाले चुनावों से पहले इस हिंसा ने सियासी माहौल को भी गर्मा दिया है।

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