कर्नाटक बना शरिया का मॉडल.? : मस्जिद के बाहर डंडों से पीटी गई शबीना
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बैंगलुरु में चल रहा शरिया..? : घरेलू विवाद में मुस्लिम महिला को मस्जिद के बाहर डंडे से पीटा

बेंगलुरु से दो विरोधाभासी घटनाएं—एक ओर महिलाएं रोबोट से पा रही हैं आज़ादी, दूसरी ओर मुस्लिम महिला शबीना मस्जिद के बाहर पीटी जाती है। क्या कर्नाटक में शरिया इंसाफ का नया मॉडल बन रहा है?

by सोनाली मिश्रा
Apr 15, 2025, 04:24 pm IST
in भारत, कर्नाटक
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दो दिनों में भारत की आईटी राजधानी कहे जाने वाले बैंगलुरु से दो घटनाएं सामने आई हैं। ये दोनों ही घटनाएं आपस में विरोधाभासी ही नहीं बल्कि ऐसा बताने के लिए पर्याप्त हैं कि जैसे बैंगलुरु में दो बैंगलुरु बन रहे हैं। एक तेजी से तरक्की करता हुआ तो दूसरा इस्लामिक नियमों में बंधा हुआ कट्टरपंथी।

पहली खबर थी कि बैंगलुरु में अब कई महिलाएं घर का काम करने के लिए रोबॉट्स खरीद रही हैं। सेमी-ऑटोमैटिक रोबॉट्स अब वहाँ पर कामकाजी महिलाओं का हाथ बंटा रहे हैं। जो महिलाएं इन्हें प्रयोग कर रही हैं, वे बता रही हैं कि कैसे इन रोबॉट्स की सहायता से उनके जीवन में आजादी आई है, उन्हें और भी अधिक सुकून मिला है और अब वे अपने परिवार और बच्चों को ज्यादा समय दे पा रही हैं। यह समाचार बैंगलुरु की एक ऐसी छवि निर्मित करता है, जहाँ पर महिलाओं के पास अपना धन अपने अनुसार व्यय करने की स्वतंत्रता है। बैंगलुरु में काम करने वाली आर्किटेक्ट मीरा वासुदेव दो तरह के रोबॉट्स झाड़ू पोंछे के लिए प्रयोग करती हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की इस रिपोर्ट में मनीषा कहती हैं कि उनका किचन रोबोट उन्हें बहुत सहायता देता है। वे Clarivate में रिसर्च एसोसिएट के तौर पर काम कर रही हैं।

यह बैंगलुरु की एक खुशनुमा तस्वीर है। मगर इसी के उलट एक और समाचार बैंगलुरु से आता है, जो यह बताता है कि औरतों की हालत मस्जिदों के बाहर कैसी है? यह घटना 9 अप्रेल 2025 को बैंगलुरु के चन्नागिरी तालुका में हुई थी। एक 28 साल की घरों में काम करने वाली शबीना बानू को मस्जिद के बाहर पीटा गया था।

हालांकि यह घरेलू मामला था, मगर घरेलू मामला हिंसक हो गया था।

दरअसल शबीना की एक रिश्तेदार नसरीन उससे मिलने आई थी। उसके साथ एक आदमी फ़ैयाज़ भी आ गया था। रिपोर्ट्स के अनुसार वे तीनों बुक्कमबुडी पहाड़ी पर कुछ देर के लिए घूमने चले गए। जब वे लोग लौटे तो शबीना का शौहर जमील अहमद घर आया और जब उसने अपनी बीवी को गैर मर्द के साथ देखा तो वह गुस्से में भर गया।

वह तवारकेरे में जामा मस्जिद में गया और वहाँ पर अपनी बीवी, उसकी रिश्तेदार और फ़ैयाज़ के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। मस्जिद ने उन तीनों को तलब किया। और फिर वहाँ पर जब शबीना गई तो देखा कि मस्जिद के बाहर कई आदमी डंडे और पाइप लेकर खड़े हुए हैं। उन लोगों ने शबीना को मारना शुरू कर दिया। जब लोग शबीना को डंडे और पाइप से मार रहे थे, तो उसका शौहर भी वहीं पर खड़ा था, मगर उसने शबीना को बचाने का प्रयास नहीं किया।

इस हमले का वीडियो बना और सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गया। इस हमले के बाद शबीना ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई। शिकायत के अनुसार शबीना पर हमला जान लेने की नियत से हुआ था। 11 अप्रेल को शबीना के द्वारा दर्ज कराई गई रिपोर्ट और सोशल मीडिया पर फैले वीडियो देखकर पुलिस ने तत्काल कार्यवाही कई और छ लोगों को हिरासत में लिया।

जिनमें मोहम्मद नियाज, मोहम्मद गोसपीर, चाँद बाशा, इनायत उल्ला, दस्तगीर और रसूल टी आर शामिल हैं। इस घटना को लेकर लोगों में गुस्सा है। लोग प्रश्न कर रहे हैं कि क्या कर्नाटक में शरिया लागू हो गया है कि मियां और बीवी की लड़ाई में मस्जिद फैसला करेगी? और क्या मस्जिद कमिटी जिसके पास ऐसी शिकायतें आएंगी वह मुस्लिम महिलाओं पर इस तरह की हिंसा कराएंगी?

कर्नाटक में मुस्लिम औरतों के लिए क्या अब शरिया के हिसाब से इंसाफ किया जाएगा? बहरहाल बैंगलुरु के दो समाचार महिलाओं से संबंधित हैं, मगर जहाँ एक समाचार में स्वतंत्रता है, आत्मविश्वास है, एक स्वतंत्र अस्तित्व और पहचान है तो वहीं दूसरी घटना एक ऐसे अंधेरे की ओर लेकर जाती है, जिसमें उठती पीड़ा की आवाज हमेशा अनसुनी रहती है।

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