देहरादून: क्या उत्तराखंड वक्फ बोर्ड की संपतियों पर चल रहे ज्यादातर मदरसे अवैध रूप से संचालित है? इस चर्चा ने वक्फ बोर्ड और मदरसा बोर्ड के बीच मतभेदों को सुर्खियों में ला दिया है।
उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना शमून कासमी ने कहा है कि उत्तराखंड में वक्फ बोर्ड के द्वारा संचालित किए जा रहे ज्यादातर मदरसे मान्यता प्राप्त नहीं है। इस बारे में वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सैय्यद सिराज उस्मान का पत्र भी उन्हें मिला है। मौलाना कासमी कहते हैं कि यदि वक्फ बोर्ड गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को मान्यता देने संबंधी कोई प्रार्थना पत्र उन्हें देता है और वे मदरसा बोर्ड के नियमों, मापदंडों पर खरा उतरते हैं तो उन्हें मान्यता दिए जाने पर अवश्य विचार किया जाएगा।
दूसरी ओर वक्फ बोर्ड के चेयरमैन शादाब शम्स ने कहा है कि जो मदरसे वक्फ बोर्ड की संपतियों पर चल रहे हैं उन्हें हम मॉडर्न मदरसा बनाना चाहते और उन्हें उत्तराखंड शिक्षा बोर्ड से मान्यता दिलाई जाएगी। यानि शादाब शम्स का स्पष्ट कहना है कि वो गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का पंजीकरण, मदरसा बोर्ड में न करवा कर शिक्षा परिषद में करवाएंगे।
बहरहाल, दोनों बोर्ड के अध्यक्षों के बीच मतभेद इस विषय को लेकर अब खुल कर सामने आ गए हैं कि मदरसों को कहां से और और कौन सी मान्यता मिले। इस बारे में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी स्पष्ट कर चुके हैं कि जो भी “अवैध” है उसे बंद किया जाएगा। उन्होंने कहा है कि देवभूमि में अवैध मदरसे किसी भी सूरत में चलने नहीं दिए जाएंगे, जो मदरसे सील किए गए है उनके बच्चों को सरकारी स्कूलों में अथवा मान्यता प्राप्त मदरसों में दाखिला दिया जाएगा और इस बारे में जिला प्रशासन को निर्देशित किया जा चुका है। उन्होंने कहा है कि हर बच्चे को राष्ट्रीय पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाना है।
उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड में अब तक 177 मदरसे धामी सरकार ने बंद करवा दिए हैं जो कि बिना मान्यता के चल रहे हैं। अभी भी राज्य में 350 से अधिक और भी अवैध मदरसे है जिन्हें मदरसा बोर्ड से मान्यता नहीं है। धामी सरकार की कार्रवाई इन पर लगाम कस रही है।
कुछ मदरसा संचालक धामी सरकार की कार्रवाई को रोकने के लिए हाई कोर्ट भी गए हैं जहां से उन्हें भी स्पष्ट निर्देश मिला है कि बिना मान्यता के कोई मदरसा संचालित नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट में भी ये मामला गया हुआ है, जहां अन्य राज्यों के मदरसों की मान्यता मामलों के साथ ही उत्तराखंड का मामला सुना जाएगा।
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