भारत में वक्फ बोर्ड कानून के विरोध में हाल की घटनाएं जहां हैरानी पैदा करती हैं वहीं ये यह भी दिखाती हैं कि कैसे कुछ विपक्षी राजनीतिक दल मुस्लिमों और बांग्लादेशी घुसपैठियों को केन्द्र सरकार के विरुद्ध एक औजार की तरह इस्तेमाल करके अपना सेकुलर एजेंडा चला रहे हैं। प. बंगाल इस शरारत का जीता—जागता उदाहरण है। वक्फ कानून के विरोध में वहां बांग्लादेशी घुसपैठियों को उकसाकर जिस तरह मुर्शीदाबाद में हिन्दू विरोधी दंगे और आगजनी करवाई गई है, वह ममता बनर्जी की ओछी राजनीति का एक और नमूना ही कहा जा सकता है। इस घटना ने देश में निहित राजनीतिक स्वार्थों के लिए पैदा किए जा रहे सामाजिक और राजनीतिक तनाव की कलई खोली है। प. बंगाल में वक्फ कानून के खिलाफ उस विरोध प्रदर्शन के दौरान भड़काई गई हिंसा में तीन लोग मारे गए हैं, हिन्दुओं की करोड़ों रुपए की सपत्ति आग के हवाले की गई है। प. बंगाल की इन दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के संदर्भ में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विपक्ष पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है। उन्होंने दावा किया है कि वक्फ कानून गरीबों और दलितों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाया गया है। उधर ग्लोबल इमाम काउंसिल के मोहम्मद तौहीदी ने यूएई के वक्फ बोर्ड मॉडल को मुस्लिम देशों के लिए आदर्श बताया है।

तौहीदी ने कहा है कि यूएई में वक्फ बोर्ड न केवल मुसलमानों के लिए बल्कि अन्य मत—पंथों के उपासना स्थलों के भी हित में काम करता है। यह मॉडल पारदर्शिता, कानून के पालन और पांथिक सहिष्णुता जैसे मूल्यों को सर्वोपरि रखता है। ग्लोबल इमाम काउंसिल से संबद्ध इस मौलाना ने कहा कि यूएई का वक्फ बोर्ड समाज और मानवता की सेवा पर ध्यान केंद्रित करता है, जो इसे अन्य देशों के लिए एक रोल मॉडल बनाता है। तौहीदी ने भारतीय मुसलमानों को सलाह दी है कि वे यह सुनिश्चित करें कि वक्फ बोर्ड समाज की भलाई के लिए काम करे और यह बोर्ड सरकार की निगरानी में रहे।

भारत में वक्फ कानून को लेकर मचाए जा रहे उत्पात के सामने तौहीदी का यह ताजा बयान गौर करने लायक है। तौहीदी अपने विचारों को लेकर कट्टर इस्लामवादियों में विवादित रहे हैं, लेकिन वह महत्वपूर्ण मामलों पर वीडियो आदि साझा करके उदारवादी मार्ग की पैरवी करते रहे हैं। यूएई के वक्फ बोर्ड मॉडल की बात सामने रखकर उन्होंने एक प्रकार से मुस्लिम उम्मा के बीच वक्फ के नाम पर की जाती रहीं धांधलियों की ओर इशारा किया है।
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