मुहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली कट्टरपंथी इस्लामी सरकार लगातार हिन्दुओं और उनसे जुड़ी परंपराओं, प्रतीकों और संस्कृतियों को नष्ट करने की कोशिशों में लगी हुई है। सनातन परंपराओं को इस्लामी परंपराओं को अनुशार ढाला जा रहा है। इसी क्रम में बांग्लादेश यूनेस्को (UNESCO) से मान्यता प्राप्त जुलूस का नाम और कंटेंट को बदलने का फैसला किया है।
क्या-क्या बदला
यूनुस सरकार ये सारे बदलाव इसलिए कर रही है क्योंकि उसे लगता है कि ये हिन्दू संस्कृति को दिखाता है। इसलिए 14 अप्रैल को बंगाली नववर्ष 1432 मनाएगा। बंगाली नववर्ष के मौके पर निकाले जाने वाले जुलूस ‘मंगल शोभायात्रा’ के नाम को भी बदल दिया गया है। अब से इसे ‘वरशावरन आनंद शोभायात्रा’ कहा जाएगा। इसी प्रकार कट्टरपंथियों को मंगल शब्द से भी नफरत हो गई है।
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दमनकारी कदम को समावेशी नीति कह रही यूनुस सरकार
मुहम्मद यूनुस की कट्टरपंथी सरकार हिन्दू प्रतीकों, हिन्दू शब्दों, उसकी पहचान का क्रूरता के साथ सिस्टमैटिक तरीके से दमन कर रही है। अपने इस कदम को वह नए बांग्लादेश की समावेशी नीति करार देती है। जिस मंगल शोभायात्रा को यूनेस्को ने 2016 में अमूर्त विरासत घोषित किया था। उसे ही सरकार ने कुचल दिया। बंगाली नववर्ष पोहिला बोइशाख को भी कुचलने की कोशिश हो रही है। अपने इस कदम को जस्टिफाई करते हुए देश की अंतरिम सरकार के सांस्कृतिक सलाहकार मुस्तफा सरवर फारुकी का कहना है कि ये हिन्दू जन्माष्टमी के तौर पर हम पर थोपा गया है।
गौरतलब है कि 5 अगस्त 2024 को बांग्लादेश में शेख हसीना का तख्तापलट हो गया था। इसके बाद उन्हें देश छोड़कर भागना पड़ा था। इसके बाद कट्टरपंथी बीएनपी की अगुवाई में देश में अंतरिम सरकार बनी और फिर शुरू हुआ व्यवस्थागत गत तरीके से हिन्दुओं समेत दूसरे अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार। अगस्त से लेकर अब तक हजारों की संख्या में हिन्दुओं पर हमले, हिन्दू महिलाओं का बलात्कार और उनका इस्लामिक कन्वर्जन हुआ।
जब इस्कॉन संत चिन्मय कृष्ण दास ने इसके खिलाफ आवाज उठाई तो देशद्रोह के आरोप में उन्हें जेल में डाल दिया गया।
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