पश्चिम बंगाल

वक्फ कानून को ममता बनर्जी की ना पर सुधांशु त्रिवेदी का पलटवार, जानें क्या कहता है कानून

संविधान के अनुच्छेद 256 में ये निर्देशित है कि राज्य सरकारें केंद्रीय कानूनों को मानने के लिए बाध्य हैं।

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Kuldeep singh

देश में संशोधित वक्फ कानून-2025 लागू होने के बाद पहले ही जुम्मे के दौरान देश के कई हिस्सों में हिंसा भड़क उठी। जहां पश्चिम बंगाल में कई स्थानों पर प्रदर्शनकारियों ने जमकर हिंसा फैलाई और कानून व्यवस्था को चुनौती देने की कोशिश की। वहीं राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कहती हैं कि वो इस कानून को राज्य में लागू ही नहीं होने देंगी। इस पर भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि केंद्र के द्वारा पारित किए गए कानून को मानने से कोई भी राज्य इंकार नहीं कर सकता।

समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, पत्रकारों से बात करते हुए भाजपा सांसद ने स्पष्ट कहा कि भारत की संवैधानिक व्यवस्था में कोई भी राज्य विधानसभा केंद्र की संसद के द्वारा पारित कानून को लागू करने से इंकार नहीं कर सकता है। ठीक वैसे ही जैसे कि कोई नगर पालिका या जिला परिषद राज्य विधानसभा के द्वारा बनाए गए कानून को मानने से इंकार नहीं कर सकती है।

ममता बनर्जी बाबा साहब के संविधान को नहीं मानतीं

इसके साथ ही भाजपा नेता ने कहा कि अगर केंद्र सरकार के द्वारा पारित किए गए वक्फ संशोधन विधेयक-2025 को ममता बनर्जी मानने से इंकार करती हैं तो उनके अंदर बाबा साहब के संविधान के प्रति सम्मान नहीं है। क्योंकि इस कानून को सभी संवैधानिक मान्यताओं और प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद बनाया गया है। सुधांशु त्रिवेदी आगे कहते हैं कि इंडि गठबंधन के दलों के हाथों में संविधान खतरे में है।

अपराधियों की बंधक है ममता सरकार

भाजपा नेता कहते हैं कि मैं ममता बनर्जी की विवशता को समझ सकता हूं कि जिन अपराधिक तत्वों का साथ लेकर उन्होंने सत्ता का संचालन किया है। संभवत: अब उनकी सरकार ऐसे अपराधियों की बंधक हो गई है। ये उनकी मजबूरी ही है कि चाहकर भी वो इसके अलावा कुछ नहीं कर सकती हैं।

क्या कहता है कानून

गौरतलब है कि अगर ममता बनर्जी के द्वारा कही गई बातों के अर्थ को कानून पहलू से समझने की कोशिश करें तो वो केवल लोगों को बरगला रही हैं। कोई भी राज्य सरकार केंद्र की संसद के द्वारा सर्वसम्मति से पारित किए गए कानूनों को मानने से इंकार नहीं कर सकती। संविधान के अनुच्छेद 256 में ये निर्देशित है कि राज्य सरकारें केंद्रीय कानूनों को मानने के लिए बाध्य हैं। इसके अलावा केंद्र अगर चाहे तो राज्य को निर्देश दे सकती हैं कि वे इस प्रकार से कार्य करें कि केंद्र के कानूनों का पालन हो।

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