असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा और वक्फ कानून के विरोध में मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा की तस्वीर
देश में संशोधित वक्फ कानून-2025 लागू होने के बाद पहले ही जुम्मे के दौरान देश के कई हिस्सों में हिंसा भड़क उठी। जहां पश्चिम बंगाल में कई स्थानों पर प्रदर्शनकारियों ने जमकर हिंसा फैलाई और कानून व्यवस्था को चुनौती देने की कोशिश की। जबकि, उससे अधिक मुस्लिम जनसंख्या वाला राज्य असम शांत रहा। वहां जुमे के बाद दिन शांतिपूर्ण तरीके से गुजरा। राज्य में किसी भी तरह की अप्रिय घटना से निपटने के लिए असम सरकार ने तगड़ी सुरक्षा व्यवस्था की थी।
कहते हैं कि सत्ता अगर चाहे तो कुछ भी कर सकती है। इसका नजीर इस वक्त, पश्चिम बंगाल और असम पेश कर रहे हैं। जहां ममता बनर्जी की अगुवाई वाली पश्चिम बंगाल में वक्फ कानून के खिलाफ जुम्मे की नमाज के मुस्लिमों की उन्मादी भीड़ ने जमकर हिंसा की। मुर्शिदाबाद समेत राज्य के कई शहरों में हिंसा भड़क उठी। जमकर तोड़फोड़ की गई। पश्चिम बंगाल में मुसलमानों की संख्या कुल आबादी का करीब 30 फीसद है। जुम्मे की नमाज के बाद उन्मादी भीड़ पुलिस से भी भिड़ गई। पुलिस की जीप को आग लगा दी गई।
प्रदर्शनकारियों ने कई गाड़ियों में तोड़फोड़ की। साथ ही दावा ये भी किया जा रहा है दंगाइयों ने टीएमसी के ही सांसद खलीलुर रहमान के दफ्तर तक को नहीं छोड़ा। हालात ये हो गए हैं कि मुर्शिदाबाद में प्रशासन को इंटरनेट बंद कर धारा 144 लगानी पड़ गई।
वहीं असम की बात करें तो पूर्वोत्तर के राज्य असम, जहां मुस्लिम समुदाय के लोगों की जनसंख्या राज्य की कुल जनसंख्या का करीब 40 फीसदी है। वहां जुम्मे की नमाज के बाद भी हालात पूरी तरह से सामान्य रहे। लोग अपना प्रतिदिन का कार्य करते रहे। वक्फ कानून के खिलाफ कुछ एक जगहों पर प्रदर्शन अवश्य हुए, लेकिन उसमें 150 से भी कम लोग शामिल हुए। पुलिस ने जमीनी स्तर पर काफी तैयारियां कर रखी थीं।
जुम्मे की नमाज के बाद देश के अलग-अलग हिस्सों में वक्फ कानून के विरोध में प्रदर्शनों के बीच राज्य में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने पुलिस की तारीफ की। उन्होंने एक्स के जरिए कहा, “लगभग 40% मुस्लिम आबादी होने के बावजूद, असम में आज शांतिपूर्ण स्थिति बनी हुई है, सिवाय तीन स्थानों पर छिटपुट विरोध प्रदर्शनों के, जिनमें वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ़ 150 से ज़्यादा लोग शामिल नहीं हुए। शांति और व्यवस्था बनाए रखने में मदद करने वाले व्यापक जमीनी काम के लिए असम पुलिस को मेरी बधाई। असम भर में लोग – जाति, पंथ, या समुदाय और धर्म से परे, भावना में एकजुट हैं और खुशी और सद्भाव के साथ हमारे प्रिय बोहाग बिहू का स्वागत करने के लिए उत्सुकता से तैयारी कर रहे हैं।”
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