ईरान के इस्फहान शहर में स्थित यूरेनियम संवर्धन केंद्र की तस्वीर (फोटो साभार: ईरान इंटरनेशनल)
ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर पूरी दुनिया की नजर है। अमेरिका लगातार ईरान पर रणनीतिक तौर पर दबाव बनाने की कोशिशें कर रहा है, ताकि उसे परमाणु हथियार हासिल करने से रोका जा सके। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की युद्ध की धमकी और कूटनीति का असर ये हुआ हो रहा है कि दोनों ही देश एक बार फिर से बातचीत की टेबल पर आ रहे हैं। शनिवार को ओमान की राजधानी मस्कट में अमेरिका और ईरान के प्रतिनिधि परमाणु कार्यक्रम को लेकर वार्ता करेंगे।
ईरान इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका और ईरान के बीच प्रस्तावित परमाणु वार्ता की मध्यस्थता ओमान कर रहा है। इसकी पुष्टि खुद ईरान के रिवोल्युशनरी गार्ड (IRGC) से जुड़ी न्यूज एजेंसी तस्नीम ने की है। एजेंसी की ने कहा है कि शनिवार की सुबह दोनों देशों के प्रतिनिधि मंडल मस्कट पहुंचेंगे और दोपहर में वार्ता होगी। इसकी शुरुआत ओमान के विदेशमंत्री करेंगे।
हालांकि, इस वार्ता से पहले ही ईरान ने स्पष्ट कर दिया है कि पहला ये कि वो किसी भी तरह से अमेरिकी प्रतिनिधियों के धमकाने वाले अंदाज को बर्दाश्त नहीं करेगा। परमाणु कार्यक्रम से जुड़ी अत्यधिक मांगों को स्वीकार नहीं करेगा। ईरान ने शर्त रखी है कि इस वार्ता के दौरान उसके रक्षा उद्योगों से संबंधित कोई भी सवाल नहीं किया जाएगा। ईरान से अपनी शर्तों को रेड लाइन करार दिया है। इसके अलावा परमाणु विषय के अलावा किसी भी और मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं होगी।
इस बीच अमेरिका के वित्त मंत्रालय ईरान के तेल निर्यात से जुड़ी कंपनियों और 30 टैंकरों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसमें प्राइम टैंकर्स के चेयरमैन और भारतीय नागरिक जुगविंदर सिंह बरार की कंपनियों के अलावा सात अन्य कंपनियों और 30 टैंकर भी शामिल हैं। अमेरिका का कहना है कि ये सभी उसके द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को धता बताते हुए ईरान के सहयोगी के तौर पर काम कर रहे थे।
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