स्पोर्ट्स ब्रांड Nike के सभी उत्पाद बहुत महंगे होते हैं और वह स्पोर्ट्स की वस्तुओं में सबसे बेहतर माना जाता है। मगर वह इन दिनों एक विवाद में है। हालांकि इस ब्रांड और विवाद का नाता पुराना है, परंतु यह विवाद कुछ अलग है। कुछ हटकर है। यह विवाद दरअसल महिलाओं को लेकर है। यह विवाद मुस्लिम महिलाओं के उस शोषण को लेकर है, जो उनपर अनिवार्य हिजाब के रूप में कई मुस्लिम देशों में किया जा रहा है।
ईरान से लेकर अफगानिस्तान तक महिलाएं हिजाब और परदे की कैद में हैं। ऐसे में यदि Nike जैसा बड़ा ब्रांड हिजाब का प्रचार करता हुआ दिखे तो लोगों का गुस्सा होना और भड़कना स्वाभाविक भी है। यह विज्ञापन कनाडा में हिजाबी बालर्स नामक समूह की खिलाड़ियों को लेकर है। हिजाबी गर्ल्स एक समूह है जो कनाडा से संचालित होता है और यह उन मुस्लिम महिलाओं और लड़कियों को प्रोत्साहित करने के लिए है, जो अपनी मजहबी पहचान को बनाए रखते हुए खेल कूद में भाग ले रही हैं। उनमें कथित रूप से बेहतर कर रही हैं।
Nike ने इसे ही लेकर एक पोस्टर बनाया था, जिसमें लिखा था कि “डॉन्ट चेंज हू यू आर, चेंज द वर्ल्ड!” अर्थात अपने आपको मत बदलिए, दुनिया को बदलिए।
इस पंक्ति से ऐसा लग रहा है जैसे हिजाब का विरोध करने वाले खलनायक हैं और मुस्लिम आइडेंटिटी पर हमला करने वाले हैं। जबकि हिजाब पर प्रतिबंध की मांग मुस्लिम लड़कियां ही कर रही हैं। इस विज्ञापन को लेकर अब लोग प्रश्न कर रहे हैं।
जितना आपत्तिजनक यह पोस्टर है उतनी ही उसकी पंच लाइन भी है। लोग प्रश्न कर रहे हैं कि जब इस्लाम में महिलाओं को खेलकूद में भाग लेने की अनुमति ही नहीं हैं तो यह विज्ञापन?
Nike has recently launched a new product line that includes hijabs, aimed at catering to Muslim women athletes. In Islamic culture women are not permitted to compete in sports. Weird huh? pic.twitter.com/2dvZFSsOAc
— Israel News Pulse (@israelnewspulse) April 6, 2025
स्वीडन की नागरिक, जो अपने देश में अवैध आप्रवासियों की समस्या को लेकर लगातार आवाज उठाती रहती हैं, उन्होनें इस विज्ञापन को लेकर लिखा कि Nike का नया विज्ञापन। होना यह चाहिए कि जब आप कहीं जाते हैं तो आपको ही बदलना चाहिए, और सबसे पहले शोषण करने वाले हिजाब को उतारकर।
Nike’s new commercial.
Here’s the thing: if you come to a new country, you are the one who should change—starting by taking off the oppressive hijab. pic.twitter.com/VzZhwDNLym
— Evelina Hahne (@EvelinaHahne) April 10, 2025
हालांकि स्पोर्ट्स ब्रांड Nike ने ऐसा पहली बार किया हो, ऐसा नहीं है। Nike के स्पोर्ट्स हिजाब भी आते हैं। ईरान के निर्वासित नागरिक हेसम ऑरउजी ने लिखा कि, ईरान में इस्लामिक शासन के अंतर्गत जो महिलाएं हिजाब पहनने से इनकार करती हैं, उन्हें या तो मार दिया जाता है या फिर उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाता है। महसा अमीनी की तरह। यह विज्ञापन महिलाओं के अधिकारों का हनन करने वाले इस्लामिक कानूनों के अपराधों को छिपाता है, जो पश्चिमी मूल्यों के एकदम विपरीत हैं।
यजीदी जीनोसाइड सर्वाइवर ajat ने एक्स पर पोस्ट लिखा कि इस्लामिक शासन में महिलाएं हिजाब न पहनने के कारण मार दी जाती हैं और इधर Nike क्या कर रहा है?
पाकिस्तान के कुकर्मों को खुलकर लिखने वाली पत्रकार फ़्रांसएस्कोमारिनो ने भी एक्स पर अपनी आवाज उठाते हुए लिखा कि Nike, क्या अअपने कभी उन महिलाओं को सुना है जिन्हें हिजाब न पहनने के कारण मारा गया, उन पर अत्याचार किये गए और हत्या तक की गई? क्या आपको अयातोलाह और तालिबान पैसे दे रहे हैं? जहाँ Nike का यह विज्ञापन वर्ष 2019 का है, जिस पर आज फिर से विवाद छिड़ा हुआ है, तो वहीं हिजाबी बालर्स का प्रचार करने वाला एक और पोस्टर Nike कनाडा के इंस्टाग्राम पेज पर है।
यह वर्ष 2024, दिसंबर का है। जो Nike कोच समिट का है। यह हिजाबी बालर्स के पेज पर भी है।
प्रश्न यह भी है कि हिजाब का महिमामंडन क्यों इस सीमा तक हो रहा है कि उसमें मुस्लिम समाज की उन लड़कियों की पीड़ा ही दब जा रही है, जो मुस्लिम देशों में हिजाब न पहनने के कारण लड़कियों पर हो रहे अत्याचारों के कारण उपज रही है?
लोग Nike से सवाल पर रहे हैं, परंतु बाजारवाद का सबसे बड़ा नियम बिक्री ही है। जो जितना अधिक बिकेगा, हर प्रश्न से परे उसे बेचा ही जाएगा, फिर उसमें महिलाओं का शोषण सम्मिलित है तो होता रहे। जो मुस्लिम समुदाय यूरोप में बसा है, वह दुर्भाग्य से अपने इस्लामी मुल्कों में हो रहे कथित अत्याचारों या खराब हालातों से बचकर आया होता है। मगर जैसे ही वह यूरोप जैसे स्थानों पर जाता है, वह अपनी उसी पहचान के प्रति अतिरिक्त सजग हो उठता है, जिस पहचान वाले मुल्क को छोड़कर वह आया है और वह अपनी मजहबी पहचान के प्रति इस सीमा तक कट्टर हो जाते हैं, कि हिजाब और इस्लामिक पोशाकें उनका जुनून बन जाती हैं।
और इस जुनून को Nike जैसे ब्रांड भुनाते हैं, वे इस पहचान को और भी ग्लोरीफाई करते हुए उसे ग्लैमराइज़ करते हैं।
बहरहाल लोग Nike से प्रश्न कर रहे हैं कि क्या आपने कभी महिला खिलाड़ियों के लिए आवाज उठाई, जो इस्लामिस्ट शासन में कट्टरपंथियों के कारण खेल नहीं पा रही हैं? हालिया मामला तो बांग्लादेश का ही है, जहां पर कट्टरपंथी मुस्लिमों की धमकियों के चलते लगातार फुटबॉल मैच रद्द होते जा रहे हैं।
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