केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के तीन दिन के कश्मीर दौरे के दौरान घाटी में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से जुड़े तीन प्रमुख संगठन अब उससे अलग हो गए हैं। इसे लेकर लखनऊ के शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में मौलाना कल्बे जवाद ने कहा, “यह बहुत ही अच्छी बात है, हम इसका स्वागत करते हैं। हमने हमेशा कहा है कि कश्मीर हमारे दिल का टुकड़ा है। हम भारतीय हैं और अपने देश के प्रति वफादार हैं। भारत हमारा देश है।”
उन्होंने अलगाववादी सोच पर भी निशाना साधते हुए कहा, “जो लोग कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा बनाना चाहते हैं, वे बिल्कुल गलत हैं। हमने हमेशा इस बात का समर्थन किया है कि कश्मीर भारत का हिस्सा है और हमेशा रहेगा। हम तो यह भी चाहते हैं कि पाकिस्तान भी एक दिन भारत का हिस्सा बने क्योंकि वह भी हमारे ही शरीर का अंग है।
कश्मीर घाटी के तीन प्रमुख अलगाववादी नेता, हकीम अब्दुल रशीद, मोहम्मद यूसुफ नकाश और बशीर अहमद अंद्राबी ने अब अलगाववाद को छोड़ दिया है और हुर्रियत कांफ्रेंस के विभिन्न गुटों से खुद को अलग कर लिया है। हकीम अब्दुल रशीद जम्मू-कश्मीर मुस्लिम डेमोक्रेटिक लीग के अध्यक्ष थे, मोहम्मद यूसुफ नकाश जम्मू-कश्मीर इस्लामिक राजनीतिक पार्टी के प्रमुख थे, और बशीर अहमद अंद्राबी कश्मीर फ्रीडम फ्रंट के अध्यक्ष थे।
इन नेताओं ने अपने बयानों में भारत के संविधान के प्रति अपनी निष्ठा जताई और अलगाववादी विचारधारा से खुद को पूरी तरह से अलग कर लिया। इससे पहले भारत विरोधी समूह के 23 में से 11 सदस्य भी इस समूह से अलग हो चुके थे। उन्होंने कहा कि जो संगठन अब हुर्रियत को छोड़कर मुख्यधारा में आ रहे हैं, उनका हम दिल से स्वागत करते हैं और उनके इस साहसी कदम की सराहना करते हैं।
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