श्री महावीर ने अहिंसा को मुक्ति का केंद्र माना है। प्रेम और अहिंसा का उनका दिव्य संदेश विश्व की संत्रस्त मानवता को शांति देता रहा है, लेकिन आज जब देश और विदेश की सीमाएं टूट रही हैं और मनुष्य ने समय और दूरी पर विजय प्राप्त कर ली है, उसकी समस्या और देश की सीमाएं बहुत वृहद् रूप ले चुकी हैं। संसार प्रतिपल संकटापन्न माहौल से घिरा हुआ है, क्योंकि भारत जैसे देशों की कमी है, और कतिपय देश युद्ध और हिंसा में ही मानव-जाति का कल्याण देखते हैं। लेकिन महावीर का मार्ग अपनाकार मानव जाति एक दिव्य शांति को प्राप्त करेगी, जो अहिंसा का सम्बल बनेगी, और अहिंसा, संतप्त संसार को अपने शासन में लाएगी। यह शासन आत्मशासन होगा और ऐसे शासन में मनुष्य अपने लिए नहीं, दूसरों के लिए जिएगा।
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