चूहा
यूके के सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले शहर और दूसरे सबसे बड़े शहर बर्मिंघम में इन दिनों कुछ अलग समस्याएं चल रही हैं। वहाँ पर हर जगह कूड़े के ढेर लगे हुए हैं। कूड़ेदान से बाहर पूरे शहर का कूड़ा फैला हुआ है और पूरे शहर में काली थैलियों का आतंक है। एक और बड़ा आतंक वहां पर है। यह इतना बड़ा है कि लोग अब घरों में भी रहने में असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
यह समस्या है चूहों की। जब हम चूहों की बात करते हैं तो आंखों के सामने नन्हे जीव उभरते हैं, जिनके पीछे बिल्ली हमेशा पड़ी रहती है। बिल्ली और कुत्ते मिलकर उनका शिकार करते हैं। मगर बर्मिंघम में इन दिनों चूहे वे नहीं हैं, जो बिल्लियों या कुत्तों का शिकार हों, बल्कि वे तो बिल्ली के आकार के चूहे हैं।
बर्मिंघम में जहां कूड़े के ढेर हैं और लोग कूड़े की बदबू के कारण बाहर नहीं जा पा रहे हैं तो वहीं वे लोग घरों में इसलिए नहीं रह पा रहे हैं क्योंकि घरों के आसपास बिल्ली के जैसे आकार के चूहे कूद रहे हैं।
डेली स्टार ने कई ऐसे नागरिकों की पीड़ा और कहानी को लिखा है। सुनने में ये कहानियां अजीब लग सकती हैं कि कैसे चूहे यह सब कर सकते हैं, मगर सच्चाई तो सच्चाई ही है। लोग परेशान हैं। एक नागरिक पौला ने बताया कि चूहे हर जगह हैं। किसी की गाड़ी खराब हो गई है, तो किसी के कुत्तों को वे काट गए हैं। किसी के गिनीपिग्स को मार चुके हैं।
लोगों का कहना है कि उन्होनें काउंसिल में शिकायत की है, मगर पौला का कहना है कि एक काउन्सलर ने कहा कि इसे नियंत्रित करने में बहुत ज्यादा लागत आएगी।
डेलीमेल के अनुसार शहर में कई समस्याएं हैं। दरअसल बर्मिंघम में इन दिनों कूड़ा उठाने वाले कर्मियों की अनिश्चित कालीन हड़ताल चल रही है क्योंकि लागत कम करने के लिए कुछ नौकरियों को हटाने की बात की गई है। इसे लेकर कूड़ा उठाने वाले लोग अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं।
बर्मिंघम के कुछ सांसद इस गंभीर समस्या पर ध्यान न देकर कुछ और ही मामलों में उलझे हैं। जैसे कि हॉल ग्रीन के लेबर सांसद ताहिर अली इन दिनों अपने देश से हजारों किलोमीटर दूर भारत के कश्मीर में एक नया हवाई अड्डा बनाना चाहते हैं, क्योंकि उनके निर्वाचन क्षेत्र के कुछ लोग पाकिस्तान में सबसे नजदीक हवाई अड्डे पर तीन घंटे की दूरी तय करके जाते हैं।
डेलीमेल के लिए रॉबर्ट हार्डमैन लिखते हैं कि यह सच है कि शहर दिवालिया नहीं हुआ है, हालांकि भव्य पुराना टाउन हॉल, जो कभी ब्रिटिश साम्राज्य का केंद्र हुआ करता था, लेबर द्वारा संचालित परिषद की तीन बड़ी गलतियों के कारण जर्जर हो चुका है।
21 मार्च को टेलीग्राफ में राकिब एहसान ने लिखा था कि बर्मिंघम बहुत ही तेजी से एक तीसरी दुनिया के देश मे बदलता जा रहा है। सितंबर 2023 में बर्मिंघम में लेबर नियंत्रित सिटी काउंसिल ने धारा 144 का नोटिस देते हुए खुद को दीवालिया घोषित कर दिया था।
इस लेख में राकिब एहसान यह भी लिखते हैं कि बर्मिंघम केवल स्थानीय काउंसिल के ही गलत निर्णयों का शिकार नहीं है। बल्कि वेस्ट मिडलैंड पुलिस के कारण भी यह बहुत बड़ी समस्या में है। दरअसल वर्ष 2015 में यह पता चला था कि वेस्ट मिडलैंड पुलिस अधिकारियों ने बर्मिंघम के ग्रूमिंग गैंग्स की एक रिपोर्ट को दबा दिया था, और वह भी इस डर के कारण कि कहीं 2010 के आम चुनावों में यह नस्लीय मुद्दा न बन जाए। कुल 75 लोगों को चिह्नित किया गया था और सभी का इतिहास यौन हिंसा का था और वे पाकिस्तानी मूल के भी थे।
बर्मिंघम को कभी विश्व के सर्वश्रेष्ठ शासित शहर के रूप में जाना जाता था, मगर इन दिनों यहां पर कूड़े के पहाड़ हैं, एक दीवालिया काउंसिल है, जिसके पास सफाई कर्मियों को देने के लिए पैसे नहीं हैं और कुछ भूमिकाएं वह हटाना चाहती है, इसलिए सफाई कर्मी हड़ताल पर हैं। द सन में एक नागरिक और कैब ड्राइवर आबिद हुसैन का कहना है कि “कचरा बढ़ रहा है और चूहे बाहर आ रहे हैं। यह भयानक है।“
सफाई कर्मियों की यह हड़ताल इस वर्ष जनवरी से ही चल रही है। कूड़ा जनवरी से उठा नहीं है। निराश्रित स्टीवन ओएन्स, जो कि सिटी सेंटर के हॉस्टलस में रहते हैं, उन्होंने बताया कि वे सड़क पर जब चल रहे थे, तो उन्होंने बिल्ली के आकार के चूहे देखे और यह बहुत डरावना था।“
द सन से बात करते हुए आईटी कर्मी लिएन ने कहा कि पूरे शहर में घूमते चूहों ने उन्हें डरा दिया है। लोग कह रहे हैं कि ये चूहे कचरे के ढेर के पास घूमते हैं और यह सब कुछ बहुत डरावना है।
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