अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सत्ता संभालने के बाद, सबसे पहले जो काम किए हैं, उनमें विभिन्न देशों पर टैरिफ लगाना सबसे आगे रहा है। आरम्भ में ट्रंप के इस आदेश का उद्देश्य कनाडा, मैक्सिको और चीन को काबू करना दिख रहा था, लेकिन धीरे धीरे अन्य देशों के भी टैरिफ की जद में आते जाने के साथ न सिर्फ अमेरिकी प्रशासन की टैरिफ नीति की व्यापक आलोचना हो रही है बल्कि कई देशों ने तो इस पर आपत्ति की है जबकि कुछ अन्य ने ‘जैसे को तैसा’ की नीति अपनाने की धमकी जैसी दे डाली है। लेकिन अब यह साफ हो जा रहा है कि ट्रंप की टैरिफ नीतियां वैश्विक और अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाल रही हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इन नीतियों से अमेरिका में मंदी की संभावना बढ़ गई है।
उल्लेखनीय है कि ट्रंप प्रशासन ने पिछले दिनों विभिन्न देशों पर जो व्यापक टैरिफ लगाए हैं, उनमें कुछ देशों पर आयात शुल्क 10 प्रतिशत रखा गया है तो कई अन्य देशों पर इससे भी अधिक शुल्क लगाया गया है। राष्ट्रपति ट्रंप की टैरिफ नीतियों ने अमेरिकी शेयर बाजारों में भारी उथल-पुथल मचाई हुई है। विशेषज्ञ मानते हैं कि इन नीतियों से मंदी की संभावना बढ़ गई है। हालांकि ट्रंप के अनुसार, इन नीतियों का उद्देश्य अमेरिकी उद्योगों को बढ़ावा देना और व्यापार घाटे को कम करना है। लेकिन इससे वैश्विक शेयर बाजारों में भारी गिरावट देखी गई है। उदाहरण के लिए, एस एंड पी 500 में 4.8 प्रतिशत की गिरावट आई है, जबकि नैस्डैक और डॉव जोन्स ने क्रमशः 6 और 4 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर टैरिफ को लेकर मची अफरातफरी का असर यह हुआ है कि लगभग 50 से अधिक देशों ने अमेरिका के साथ इस विषय पर वार्ता शुरू करने की इच्छा जताई है। इनमें से कई देश टैरिफ के प्रभाव को कम करने के लिए समझौते की उम्मीद लगा रहे हैं। चीन, यूरोपीय संघ और अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं ने इन टैरिफों का विरोध किया है और जवाबी कदम उठाने की धमकी दी है।

अर्थ विशेषज्ञों का कहना है कि इन टैरिफों से अमेरिकी उपभोक्ताओं पर भी असर पड़ेगा। आयातित वस्तुओं की कीमतें बढ़ने से मुद्रास्फीति में वृद्धि हो सकती है, जिससे उपभोक्ता खर्च में कमी आएगी। इसके अलावा, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान और व्यापारिक संबंधों में तनाव बढ़ने की संभावना है। ऐसे में सवाल है कि ट्रंप प्रशासन का का यह दावा कि ये नीतियां दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता और समृद्धि के लिए आवश्यक हैं, क्या महज एक दिवास्वप्न है? ट्रंप प्रशासन का मानना है कि इन टैरिफों से अमेरिका को वैश्विक व्यापार में एक मजबूत स्थिति मिलेगी। लेकिन विशेषज्ञ कुछ और ही तस्वीर देख रहे हैं!
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