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भाजपा स्थापना दिवस: लोकमंगल के संकल्प की यात्रा

भाजपा ने भारत की राजनीति में जो रास्ता चुना था, उस पर चलकर इसने सारी दुनिया को चकित किया है। पार्टी ने आज देश को भ्रष्टाचार, परिवारवाद, अपराधीकरण, जातिवाद, तुष्टिकरण, आतंकवाद जैसे घावों से मुक्ति दिलाई है।

by विष्णु दत्त शर्मा
Apr 6, 2025, 02:01 pm IST
in भारत
भाजपा कार्यकर्ता (फाइल फोटो)

भाजपा कार्यकर्ता (फाइल फोटो)

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विष्णु दत्त शर्मा

स्वाधीनता के बाद 1951 में जब पं. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, बलराज मधोक और दीनदयाल उपाध्याय ने जनसंघ बनाया था तब विरोधी उनकी हँसी उड़ाते थे कि ये क्या राजनीति करेंगे और जब 1980 में भाजपा की स्थापना हुई तो उनके ताने बढ़ते गये। उस दौर में अटल जी ने कहा था- अंधेरा छटेगा, सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा। आज भाजपा सारी चुनौतियों को ध्वस्त करके भारतीय राजनीति की धुरी बन चुकी है, केंद्र सहित डेढ़ दर्जन राज्यों में सरकार है और सबसे पुरानी पार्टी का दावा करने वाले पारिवारिक गिरोह न केवल सत्ता को तरस रहे हैं बल्कि अपनी तथाकथित पारंपरिक सीटें भी गँवा बैठे हैं।

भाजपा ने भारत की राजनीति में जो रास्ता चुना था, उस पर चलकर इसने सारी दुनिया को चकित किया है। पार्टी ने आज देश को भ्रष्टाचार, परिवारवाद, अपराधीकरण, जातिवाद, तुष्टिकरण, आतंकवाद जैसे घावों से मुक्ति दिलाई है। साथ ही उन सभी मुद्दों को हल करके राजनीति में नया अध्याय लिख चुकी है, जिनका पार्टी ने अपनी स्थापना के समय संकल्प लिया था। कश्मीर में धारा 370 की विदाई या श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण से लेकर वक्फ बोर्ड कानून में बदलाव तक के सभी संकल्प भाजपा ने पूरे किये हैं। अपनी कथनी और करनी से आज यह सर्वाधिक विश्वसनीय पार्टी बनी है तथा जिसको करोड़ों लोगों ने अपनाकर विश्व का सर्वोच्च दल बनाया है।

आज की पीढ़ी को यह जानना चाहिए कि 1980 के दशक का कालखंड भारतीय राजनीति का टर्निंग प्वाइंट था, जब भारतीय जनता पार्टी की स्थापना हुई। देश के राष्ट्रवादी समूहों ने एक सपना देखा था, जिसमें भारतीय गौरव की पुनर्स्थापना, भारत के आध्यात्मिक उत्कर्ष, सामाजिक न्याय और राष्ट्रीय एकता के विचार-बीज थे। आज वे बीज फलदार वृक्ष हो चुके हैं। 45 साल में वे सारे सपने साकार हो चुके हैं। राजनीतिक क्षेत्र में यह आश्चर्य का विषय हो गया है कि कैसे एक पार्टी 2 सीटों से अपनी यात्रा शुरू करते हुए सबसे बड़े लोकतंत्र की सबसे बड़ी पार्टी बनकर आज राजनीति के प्रतिमान बदल रही है। पार्टी विद डिफरेंस के नारे को मूर्त रूप देकर कार्यकर्ताओं ने सारी दुनिया को सियासत का अनूठा स्वरूप दिखाया है। हालांकि भाजपा का गठन 6 अप्रैल, 1980 को हुआ, परन्तु इसका अतीत भारतीय जनसंघ से जुड़ा है।

स्वतंत्रता प्राप्ति तथा देश विभाजन के बाद बढ़ते अल्पसंख्यक तुष्टिकरण, लाइसेंस-परमिट-कोटा राज, राष्ट्रीय असुरक्षा, राष्ट्रीय मसलों जैसे कश्मीर आदि पर घुटनाटेक नीति, अंतर्राष्ट्रीय मामलों में भारतीय हितों की अनदेखी आदि अनेक मुद्दों के गर्भ से जनसंघ का जन्म हुआ था। आपातकाल के बाद भाजपा की स्थापना सुदृढ़, सशक्त, समृद्धएवं स्वावलम्बी भारत के निर्माण हेतु की गई थी, जिसमें पार्टी ने एक ऐसे राष्ट्र की कल्पना की जो आधुनिक दृष्टिकोण से युक्त एक प्रगतिशील एवं प्रबुद्ध समाज का प्रतिनिधित्व करता हो तथा भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति के मूल्यों से प्रेरणा लेकर‘विश्व गुरू’ के रूप में विश्व पटल पर स्थापित हो। साथ ही संविधान सम्मत सभी नागरिकों को राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक न्याय, समान अवसर सुनिश्चित हो। पं. दीनदयाल उपाध्याय द्वारा प्रतिपादित ‘एकात्म-मानवदर्शन’ को अपना वैचारिक दर्शन मानते हुए भाजपा ने अंत्योदय, सुशासन, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद, विकास एवं सुरक्षा के संकल्प पर चलते हुए 45 सालकी अनुपम यात्रा पूरी की है। इस यात्रा में दीनदयाल जी के अंत्योदय से लेकर मोदी जी के सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास जैसा अद्वितीय संकल्प पूर्ण हुए हैं।

भाजपा के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के अन्तर्गत गरीबी मिटाना केवल नारा नहीं, उसका संकल्प था। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण कोई भाषण नहीं, प्रतिबद्धता थी। कश्मीर में 370 की समाप्ति चुनावी जुमला नहीं, राष्ट्रीय एकात्मताका साक्षात संकल्प था। अन्त्योदय स्लोगन नहीं, यह गरीबों का जीवन स्तर उठाने का प्रण था, जिसे पार्टी का हर कार्यकर्ता 1980 से लेकर अब तक पूर्ण करने में सक्रिय है। अटल जी की सरकार द्वारा विपरीत परिस्थितियों में परमाणु परीक्षण हो, कारगिल विजय हो या नरेद्र मोदी जी द्वारा कश्मीर में 370 की समाप्ति हो, श्रीराम मंदिर निर्माण हो या वक्फ बोर्ड कानून में बदलाव हो, ये भाजपा की राजनीति में वे मील पत्थर हैं, जो संकल्प से सिद्धि का मंत्र बनकर पीढियों को प्रेरित करते रहेंगे।

आज स्थापना दिवस के प्रसंग में भाजपा के उत्कर्ष में अमूल्य योगदान देने वाले नेतृत्व की चर्चा जरूरी है। अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर नरेंद्र मोदी तक पार्टी नेताओं ने संकल्प और साहस का नया इतिहास रचा है। भारत को परमाणु शक्ति बनाने से लेकर चंद्रयान-मंगलयान की यात्रा तक की उपलब्धि चुनावी राजनीति से अलग एक अदम्य साहस और देशभक्त नेतृत्व का प्रमाण है। 2014 से लेकर 2025 तक गरीबों के मसीहा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश ने अपने सभी संकल्पों को एक-एक करके पूर्ण करते हुए भारत को सशक्तबनाया है।आज भारत के लगभग सभी तीर्थ केंद्र विकास का नया प्रतिमान गढ़ रहे हैं। निरंतर उपेक्षा का दंश झेल रहे हमारे प्राचीन आध्यात्मिक केंद्रों का गौरव भी पुनर्स्थापित हुआ है।

यही नहीं, भाजपा ने अपने वैचारिक आचरण से देश की राजनीतिक संस्कृति को भी बदला है।एक ओर जहां परिवारवादी, तुष्टिकरण और जातिवादी राजनीति का दौर समाप्त हो गया, वहीं अब धर्म-संस्कृति की बात करना सांप्रदायिक होना नहीं है। राष्ट्रवाद की चर्चा अब संकुचित मानसिकता का परिचायक नहीं है। सरकार की ओर से देवालयों का विकास करना, अब ध्रुवीकरण नहीं है। भारतीयता की बात करना और मातृभाषा में काम करना अब पिछड़ापन नहीं है। हिन्दुत्व का विचार अब सर्वग्राही बन गया है। अपनी प्रखर व प्रतिबद्ध कार्यशैली से भाजपा ने देश के राजनीतिक विमर्श को परिवर्तित करने में ऐतिहासिक सफलता पायी है। इस पड़ाव पर भाजपा अपनी पंचनिष्ठाओं की नींव पर न केवल गर्व से स्वयं खड़ी है बल्कि उसके सहयोगी दल भी उसके साथ कंधा मिलाकर खड़े हैं। अभी-अभी वक्फ बोर्ड कानून संशोधन मामले में सारी दुनिया ने देखा है।

राज्य भाजपा इकाई का अध्यक्ष होने के नाते अपने अनुभव से कह सकता हूं कि विजन, संगठन, नेतृत्व और कार्यकर्ता- इन चारों अंगों के कारण भाजपा कैडर आधारित पार्टी बनी है। अटलजी, लालकृष्ण आडवाणी, नरेन्द्र मोदी, अमित शाह और जय प्रकाश नड्डा तक पार्टी का नेतृत्व करने वाले अनेक लोग इसी कैडर की गंगोत्री से निकले हैं। आज मोदी के चमत्कारिक नेतृत्व ने भाजपा के विजन और संगठन का अतुल्य विस्तार किया है तो पार्टी की विकास- यात्रा में गृह मंत्री अमित शाह का योगदान भी स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो चुका है। राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर उनके कुशल नेतृत्व में पार्टी ने असंभव को संभव किया है और आज पूर्वोत्तर भारत में भी भाजपा की सरकारें हैं, तो उसके पीछे अमित शाह का परिश्रम और संकल्प ही है। उनके नेतृत्व में पार्टी को विश्व का सबसे बड़ा दल बनने का गौरव भी मिला है। इस प्रसंग में यह भी कहना चाहिए कि गृह मंत्री अमित शाह ने न केवल पार्टी को शिखर पर पहुंचाया है, अपितु कश्मीर को 370 से मुक्त कराकर, नागरिकता कानून व वक्फ कानून में संशोधन कराकर देश की राष्ट्रीय अखंडता का आदर्श प्रतिमान गढ़ा है।

लगातार सत्ता में रहने के बावजूद विगत मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में कार्यकर्ताओं ने नरेंद्र मोदी और अमित शाह के चमत्कारिक नेतृत्व में पार्टी को प्रचंड बहुमत दिलाया। हम यहां लोकसभा की सभी सीटें जीते हैं और राज्य का हर बूथ मजबूत बनकर सारा संगठन नयी ऊर्जा से ओत प्रोत है। इसलिए 45 वें स्थापना दिवस पर हर बूथ पर कार्यकर्ता सम्मेलन और गांव चलो बस्ती चलो अभियान चलाया जा रहा है। हमारे दोनों नेताओं ने यह सिद्ध किया है कि यदि राजनीति की ऊर्जा को ऊर्ध्वगामी बनाया जाए और मूल्यों एवं आदर्श के साथलोकमंगल की भावना से कार्य किया जाए तो एक समर्थ समाज और सशक्त देश बनाया जा सकता है।

(लेखक-भाजपा मध्यप्रदेश के अध्यक्ष एवं खजुराहो लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं।)

Topics: जनसंघ:भाजपा 46 सालबलराज मधोकभाजपा स्थापना दिवसभारतीय जनता पार्टीअमित शाहअटल बिहारी वाजपेयीनरेंद्र मोदीश्यामा प्रसाद मुखर्जीदीनदयाल उपाध्याय
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