मुरादाबाद, (हि.स.)। संभल हिंसा मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। अपर शासकीय अधिवक्ता हरि ओम प्रकाश सैनी ने बताया कि बीते साल 24 नवंबर को संभल की विवादित शाही जामा मस्जिद में हुई हिंसा मामले में मस्जिद के सदर जफर अली को प्रशासन द्वारा 23 नवंबर को बता दिया गया था कि 24 नवंबर को सर्वे होना है यह बात गोपनीय थी लेकिन इन्होंने इसकी गोपनीयता खत्म कर यह बात चहुंओर फैला दी थी ।
एडीजीसी हरि ओम प्रकाश सैनी ने शनिवार को बताया कि शाही जामा मस्जिद के सदर जफर अली ने 23 नवंबर की रात्रि में संदिग्ध लोगों को फोन किया व मेसेज भी किए। रात 12 बजे कमेटी के कैशियर सुहैल खान के घर पर सदस्यों की मीटिंग की। रात 12.32 पर सांसद जिया उर रहमान बर्क से व्हाट्सएप पर बातचीत हुई थी, उनसे चार बार बात हुई।
जफर अली ने पूछताछ में बताया कि सांसद जिया उर रहमान बर्क ने उनसे कहा कि सर्वे किसी भी हालत में नहीं होना चाहिए लोगों को इकट्ठा करो। जामा मस्जिद हमारी है और हमारी रहेगी, यदि सर्वे हो गया तो हमारी कौम हम पर थूकेगी। जिसके चलते जफर अली ने 24 नवंबर को भीड़ इकट्ठी कराई जिसकी वजह से दंगा हुआ पुलिस पर पथराव हुआ फायरिंग हुई पुलिस पर जान से मारने की नीयत से हमला किया गया।
अधिवक्ता ने बताया कि एक नई बात यह भी सामने आई कि जफर अली पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करने का दबाव था कि जिसके चलते उन्होंने पुलिस पर यह आरोप लगाया कि पुलिस के अवैध तमंचों से लोगों पर गोली चलाई जिसमे लोगों की मौत हुई। जब सदर अन्दर थे तो उन्होंने यह सब कैसे देख लिया उन्होंने झूठे तथ्य गड़े जिसमे मृत्यु दंड तक का अपराध है। इस पूरे मामले में जिया उर रहमान बर्क और जफर अली मुख्य भूमिका में थे। यह दोनों ही सूत्रधार हैं।
केस डायरी और विवेचना में जिया उर रहमान बर्क और जफर अली दोनों की बातचीत संदिग्ध हैं। दोनों की कॉल डिटेल मोबाइल कंपनी से मंगाई थी, वो सलंग्न है। दोनों की प्रेस कॉन्फ्रेंस की सीडी भी सलंग्न है। जिया उर रहमान बर्क ने अपनी कॉन्फ्रेंस में अपने मंसूबे जता दिए थे और उन्होंने कहा था कि यह मस्जिद हमारी है और हमारी रहेगी। यह कह कर लोगों को भड़काया और सदर को भीड़ इकट्ठी करने के लिए निर्देशित किया।
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