अमेरिकी कांग्रेस में पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जनरल असीम मुनीर पर प्रतिबंध लगाने की मांग उठी है। यह मांग मानवाधिकार उल्लंघन और लोकतंत्र के दमन के आरोपों के तहत की गई है। इस मुद्दे ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया है और पाकिस्तान-अमेरिका संबंधों में तनाव को और बढ़ा दिया alहै।
अमेरिकी कांग्रेस में रिपब्लिकन सांसद जो विल्सन और डेमोक्रेटिक सांसद जिमी पेनेटा ने “पाकिस्तान डेमोक्रेसी एक्ट” नामक विधेयक पेश किया है। इस विधेयक में पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष पर राजनीतिक विरोधियों के उत्पीड़न और मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लगाए गए हैं। दिलचस्प बात है कि इसमें पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की रिहाई की भी मांग की गई है, जो भ्रष्टाचार और हिंसा भड़काने के आरोपों में जेल में कैद हैं।

यहां बता दें कि अधिनियम ‘ग्लोबल मैग्निट्स्की’ के तहत, मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपी व्यक्तियों को वीजा और प्रवेश देने से मना किया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि ग्लोबल मैग्निट्स्की एक्ट 2016 अमेरिकी सरकार को दुनिया भर में उन विदेशी सरकारी अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार देता है जो मानवाधिकार अपराधी माने जाते हैं। ऐसे प्रतिबंधित लोगों की संपत्ति फ्रीज की जाती है, उनका अमेरिका में प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया जाता है।
रिपोर्ट या विधेयक के अनुसार, अगर 80 दिनों की समय सीमा में पाकिस्तान मानवाधिकारों की स्थिति में सुधार करने में विफल रहता है, तो मुनीर पर प्रतिबंध लागू किए जा सकते हैं। इसके अलावा रिपोर्ट में राजनीतिक बंदियों की रिहाई की भी बात करती है। विधेयक कहता है कि पाकिस्तान में गलत तरीके से हिरासत में लिए गए सभी राजनीतिक बंदियों को रिहा किया जाए।

स्वाभाविक रूप से इस रिपोर्ट पर पाकिस्तान सरकार की ओर से तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की गई है। पाकिस्तान ने इस विधेयक को ‘एकतरफा कार्रवाई’ और ‘व्यक्तिगत राय’ करार दिया है। पाकिस्तान के विदेश विभाग ने इस रिपोर्ट को अमेरिका-पाकिस्तान द्विपक्षीय संबंधों को अनदेखा करने वाली बताया है। इतना ही नहीं, पाकिस्तान ने तो अमेरिका द्वारा लगाए गए अन्य प्रतिबंधों की भी लगे हाथ निंदा की है।
इसमें दो राय नहीं है कि पाकिस्तान में मानवाधिकार उल्लंघन के मामले एक लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय मंचों पर चिंता का विषय रहे हैं। इसमें पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाना शामिल है। हाल ही में, पाकिस्तान को ‘सिविकस मॉनिटर’ की 2025 मानवाधिकार निगरानी सूची में शामिल किया गया है। दरअसल एनजीओ ‘सिविकस’ का उद्देश्य आम लोगों की आवाज़ और राय को बढ़ावा देना है। यह मानता है कि प्रभावी और टिकाऊ नागरिक भागीदारी के लिए, नागरिकों को स्वतंत्र रूप से संगठित होने का अधिकार होना चाहिए और समाज के सभी क्षेत्रों में शामिल होने में सक्षम होना चाहिए।
ताजा अमेरिकी रिपोर्ट पाकिस्तान-अमेरिका संबंधों को और तल्ख कर सकती है। कूटनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि भले ही यह विधेयक कानून न बने, लेकिन यह पाकिस्तान सरकार और उसके सैन्य प्रतिष्ठान पर दबाव डालने का एक तरीका हो सकता है। यह विधेयक पाकिस्तान में लोकतंत्र और मानवाधिकारों की स्थिति में सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।
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