प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नागपुर में आज माधव नेत्रालय का शिलान्यास किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि ये राष्ट्र यज्ञ का पावन अनुष्ठान है। चैत्रशुक्ल प्रतिपदा का ये दिन विशिष्ट है। आज से नवरात्रि का पर्व शुरू हो रहा है। आज हमारे प्रेरणापुञ्ज डॉक्टर साहब की जयंती का भी अवसर है। इसी साल आरएसएस के 100 वर्ष भी पूरे हो रहे हैं। इस मौके पर पीएम मोदी ने बताया कि देश स्वास्थ्य के क्षेत्र में निरंतर प्रगति कर रहा है। मेडिकल कॉलेजों की सीटों में दोगुनी वृद्धि हुई है और एम्स की संख्या तीन गुना बढ़ गई है।
अगले महीने संविधान निर्माता बाबा साहब अंबेडकर की जयंती भी है। आज मैंने दीक्षाभूमि में बाबा साहब को नमन किया है। माधव नेत्रालय को लेकर बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आध्यात्म, ज्ञान गौरव और गुरुता का अद्भुद विद्यालय है। मानवतारत यह सेवा मंदिर कण-कण में देवालय है। माधव नेत्रालय एक ऐसा संस्थान है, जो अनेक दशकों से गुरूजी के आदर्शों पर लाखों लोगों की सेवा कर रहा है। लोगों के जीवन में रोशनी लौटी है। उसके नए परिसर का शिलान्यास हुआ है। इससे सेवाकार्यों को गति मिलेगी। हजारों लोगों के जीवन में प्रकाश फैलेगा।
इसके साथ ही पीएम मोदी ने लोगों को शुभकामनाएं । पीएम मोदी ने कहा कि लालकिले से मैंने सबके प्रयास की बात की थी। आज माधव नेत्रालय उन प्रयासों को बढ़ा रहा है। देश के सभी नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिले। इस दिशा में माधव नेत्रालय प्रयास कर रहा है। कोई भी देशवासी जीवन जीने के गरिमा से वंचित न रहे, अपने जीवन देश के लिए दे चुके बुजुर्गों को इलाज की चिंता न हो यही सरकार की नीति है। आयुष्मान भारत के कारण करोड़ों लोगों को मुफ्त इलाज मिल रहा है।
हजारों जनऔषधि केंद्र गरीबों को सस्ती दवाएं उपलब्ध करा रहे हैं। इन दिनों देश में गरीब एक हजार डायलिसिस सेंटर, जो मुफ्त में सेवा का यज्ञ चला रहे हैं। इससे हजारों करोड़ रुपए लोगों के बचे हैं। बीते 10 साल में गांवों में लाखों आयुष्मान आरोग्य मंदिर बने हैं। इससे देशवासियों को मुफ्त में टेलीकंसल्टेशन से अच्छा इलाज मिल रहा है।
एम्स की संख्या तीन गुना बढ़ी
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने न केवल मेडिकल कॉलेजों की संख्या में दोगुनी वृद्धि की है, बल्कि देश में हमने ऑपरेशनल एम्स की संख्या को भी तीन गुना बढ़ा दिया है। देश में मेडिकल सीटों की संख्या भी दोगुनी हो गई हैं। कोशिश है कि आने वाले वक्त में ज्यादा से ज्यादा अच्छे डॉक्टर उपलब्ध हों।
अपनी मातृभाषा में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्र
इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने बताया कि चिकित्सा के क्षेत्र में बहुत महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए हमने छात्रों के लिए अपनी मातृभाषा में डॉक्टर बनने की सुविधा हमने उपलब्ध कराई है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान से जुड़े इन प्रयासों के साथ ही देश अपने पारंपरिक विज्ञान को भी आगे बढ़ा रहा है। हमारे योग और आयुर्वेद को भी आज पूरे विश्व में नई पहचान मिली है। भारत का सम्मान बढ़ा है।
पीएम मोदी कहते हैं कि किसी भी राष्ट्र का अस्तित्व पीढ़ी दर पीढ़ी उसकी संस्कृति के विस्तार और उस राष्ट्र की चेतना के विस्तार पर निर्भर करता है। अपने देश के इतिहास को देखें तो सैकड़ों वर्षों की गुलामी, इतने आक्रमण हुए लेकिन भारत की चेतना कभी समाप्त नहीं की जा सकी। उसकी लौ जलती रही।
ये संभव इसलिए हो सका, क्योंकि कठिन से कठिन दौर में भी इस चेतना को जागृत रखने के लिए नए-नए सामाजिक आंदोलन होते रहे हैं। भक्ति आंदोलन एक उदाहरण है, मध्य काल के उस कठिन कालखंड में हमारे संतों ने भक्ति के विचारों के जरिए राष्ट्रीय चेतना को नई ऊर्जा दी। गुरुनानक देव, कबीरदास, तुलसीदास, सूरदास और महाराष्ट्र की बात करें तो यहां संत तुकाराम, संत एकनाथ, संत नामदेव, संत ज्ञानेश्वर आदि ने अपने मौलिक विचारों से राष्ट्रीय चेतना में प्राण फूंकने का काम किया है।
इन सभी आंदोलनों ने समाज के भेदभाव को मिटाकर उसे एकता के सूत्र में पिरोया। स्वामी विवेकानंद ने निराशा में डूब रहे समाज को झकझोरा। इसके अलावा गुलामी के आखिर दशकों में डॉक्टर साहब जैसे महान व्यक्तित्वों ने इसे नई ऊर्जा देने का काम किया। आज राष्ट्रीय चेतना के संरक्षण और संवर्धन के लिए जो विचारों का बीज 100 वर्ष पहले बोया गया, वो एक महान वटवृक्ष के रूप में दुनिया के समक्ष है। सिद्धांत और आदर्श इसे ऊंचाई देते हैं। लाखों करोड़ों स्वयं सेवक इसकी टहनी हैं।
ये कोई साधारण वट वृक्ष नहीं है। बल्कि, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ भारत की अमर संस्कृति का अक्षयवट है। ये अक्षय वट आज भारतीय संस्कृति को, हमारी राष्ट्रीय चेतना को निरंतर ऊर्जावान बना रहा है। आज जब हम माधव नेत्रालय की बात कर रहे हैं तो दृष्टि की बात स्वाभाविक है। जीवन में दृष्टि ही दिशा देती है। वेदों में भी कामना की गई है। पश्यम सरल: शतम। हमारे पास बाह्य और अंत: दृष्टि भी होनी चाहिए। विदर्भ के महान संत श्री गुलाबराव को प्रज्ञा चक्षु कहा जाता था।
संघ बना सेवा का पर्याय
बहुत ही कम आयु में उन्हें आंखों से दिखाई देना बंद हो गया था, लेकिन फिर भी उन्होंने कई पुस्तकें लिखी। उनके पास एक दृष्टि थी, जो कि बोध से आती है। हमारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी एक ऐसा संस्कार यज्ञ है, जो कि अंत: और बाह्य दोनों ही दृष्टि के लिए काम कर रहा है। बाह्य दृष्टि के तौर पर माधव नेत्रालय है। लेकिन अंत: दृष्टि ने संघ को सेवा का पर्याय बना दिया।
पीएम मोदी कहते हैं कि हमारे यहां कहा गया है कि परोपकाराय फलन्ति वृक्ष:, परोपकाराय वहन्ति नद्यः:, परोपकाराय दुहन्ति गावः परोपकारार्थमिदं शरीरं। हमारा शरीर सेवा के लिए ही है। जब ये सेवा संस्कारों में आ जाती है तो ये साधना बन जाती है और ये साधना हर एक स्वयंसेवक के जीवन की प्राणवायु होती है। ये सेवा संस्कार औऱ साधना हर स्वयंसेवक को तप के लिए प्रेरित कर रही है। ये साधना स्वयंसेवक को निरंतर गतिमान रखती है। उसे कभी भी थकने नहीं देती है, रुकने नहीं देती।
पीएम मोदी ने आचार्य गोलवलकर जी का जिक्र करते हुए कहा कि वह कहा करते थे कि जीवन की अवधि नहीं, उसकी उपयोगिता का महत्व होता है। हम देव से देश और राम से राष्ट्र के जीवन मंत्र लेकर करके चले हैं। हम देखते हैं, बड़ा छोटा कैसा भी काम हो, सीमाई गांव हो, पहाड़ी हो या वन क्षेत्र हो संघ के स्वयंसेवक निस्वार्थ भाव से काम करते रहते हैं। वनवासी कल्याण संघ इसे अपना ध्येय बनाकर जुटा है। कहीं कोई एकल विद्यालय के जरिए वनवासी बच्चों को पढ़ा रहा है, कहीं कोई सांस्कृतिक जागरण कर रहा है तो कोई सेवा भारती से जुड़कर वंचितों और गरीबों की सेवा कर रहा है।
महाकुंभ का जिक्र
महाकुंभ का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि प्रयागराज में हमने महाकुंभ में देखा है कि नेत्र कुंभ में कैसे स्वयंसेवकों ने लाखों लोगों की मदद की। मतलब ये कि जहां सेवा कार्य वहीं स्वयंसेवक हैं। कहीं कोई आपदा, बाढ़ की तबाही या भूकंप की विभीषिका हो। स्वयंसेवक एक अनुशासित सिपाही की तरह ही मौके पर तुरंत पहुंचते हैं। कोई अपनी परेशानी और पीड़ा नहीं देखता। बस सेवा भावना से कार्य में लग जाते हैं। हमारे तो हृदय में बसा है, ‘सेवा है यज्ञकुंड समिधा हम जलें, ध्येय महासागर में सरित रूप हम मिले।’
प्रधानमंत्री बताते हैं कि एक बार एक इंटरव्यू में गुरुजी से संघ को सर्वव्यापी कहे जाने को लेकर प्रश्न किया गया था। उस पर उन्होंने संघ को प्रकाश बताया था। हमें गुरूजी के वचनों के अनुसार प्रकाश बनकर अंधेरा दूर करना है। हमें बाधाएं दूर करके रास्ता बनाना है और इसी ध्येय के साथ हर कोई कम या अधिक मात्रा में जीने का प्रयास करता रहा। मैं नहीं आप, अहं नहीं वयम्। जब राष्ट्र प्रथम की भावना सर्वोपरि होती है और नीतियों व निर्णयों में देश के लोगों का हित ही सबसे बड़ा होता है तो सर्वत्र उसका प्रभाव और प्रकाश दिखता है।
विकसित भारत के लिए आवश्यक है कि हम उन बेडियों को तोड़ें, जिनमें देश उलझा हुआ था। आज भारत गुलामी की मानसिकता को छोड़कर आगे बढ़ रहा है। अब इस मानसिकता की जगह राष्ट्रीय गौरव के नए अध्याय लिखे जा रहे हैं। अंग्रेजी कानूनों को बदल दिया गया है। पीएम मोदी ने कहा कि गुलामी की मानसिकता से बनी आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता ने ले ली है। लोकतंत्र के प्रांगण में राजपथ नहीं कर्तव्यपथ है। नौसेना के ध्वज से गुलामी के प्रतीकों को हटाकर उसकी जगह क्षत्रपति शिवाजी महाराज का प्रतीक लहरा रहा है।
अंडमान का भी जिक्र
पीएम मोदी ने अंडमान निकोबार का जिक्र करते हुए वीर सावरकर और नेताजी सुभाष चंद्र बोस को याद किया और कहा कि अब से उन द्वीपों के नाम भी आजादी के नायकों की याद में रखे गए हैं। वसुधैव कुटुंकम का मंत्र विश्व के कोने कोने में पहुंचा। इसीलिए कोविड के दौरान भारत ने विश्व को वैक्सीन उपलब्ध कराई। दुनिया में कहीं भी प्राकृतिक आपदा आई हो भारत पूरे मन से सेवा के लिए खड़ा होता है।
म्यांमार भूकंप का पीएम मोदी ने किया जिक्र
इसके साथ ही पीएम मोदी ने म्यांमार में भूकंप से मची तबाही का जिक्र करते हुए कहा कि भारत ऑपरेशन ब्रम्हा के तहत मदद के लिए सबसे पहले पहुंच गया है। तुर्की, नेपाल और मालदीव में भी भारत ने मदद करने में जरा भी देर नहीं की। युद्ध के हालातों में हम दूसरे देशों से नागरिकों को सुरक्षित निकाल करके लाते हैं। दुनिया भारत की प्रगति देख रही है। विश्वबंधुत्व की भावना हमारे संस्कारों का परिणाम है। आज भारत का युवा आत्मविश्वास से भरा हुआ है।
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