जयपुर, (हि.स.)। पॉक्सो मामलों की विशेष अदालत क्रम- 2 महानगर प्रथम ने नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में आरोपित दिपांशु और कैफे संचालक बाबूलाल की जमानत अर्जियों को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही अदालत ने केबिन मुहैया कराने वाले कैफे की तुलना वेश्यालय से करते हुए इन्हें बंद करने का निर्देश दिया है । पीठासीन अधिकारी तिरुपति कुमार गुप्ता ने महेश नगर थाना पुलिस को कहा है कि वे ऐसे कैफेज के बारे में संबंधित कार्यपालक मजिस्ट्रेट को सूचना देंगे और मजिस्ट्रेट पीटा एक्ट की धारा 18 के तहत इन्हें बंद करे।
अदालत ने कहा कि कैफे जब केवल चाय-कॉपी और नाश्ते के लिए होते हैं, कैफे मालिक ऐसे केबिनों के पांच सौ रुपये तक चार्ज करते हैं। केबिन का चार्ज इस दृष्टि से लिया जाता है कि वहां युवक-युवतियां संबंध बना सके। अदालत ने कहा कि ऐसे कैफे में किशोरों की भीड़ बढ़ती जा रही है। किशोरों में हार्मोंस परिवर्तन के कारण इच्छाएं जन्म लेती हैं और ये कैफे उन अवांछित गतिविधियों के लिए स्थान उपलब्ध कराते हैं। कोई भी कैफे चाय-कॉफी इत्यादि के लिए होता है, लेकिन इस मामले में कैफे संचालकों ने बेड और बंद कैबिन उपलब्ध कराए हैं।
दिपांशु की ओर से जमानत अर्जी में कहा गया कि वह पीड़िता का हमउम्र दोस्त मात्र है। उसके अन्य दोस्त के कहने पर उसे झूठा फंसाया गया है। वहीं बाबूलाल की ओर से कहा गया कि उसने कोई अपराध नहीं किया है। उसे कैफे मालिक बताया गया है, लेकिन एफआईआर में उस पर दुष्कर्म का आरोप नहीं है। पुलिस ने प्रकरण में उसे फंसाया है। दूसरी ओर सरकारी वकील राकेश महर्षि ने कहा कि आरोपित दिपांशु ने पीड़िता के साथ कई महीनों तक संबंध बनाए। वह पहले पीड़िता को बाबूलाल के कैफे ले जाकर संबंध बनाता था। वहीं बाद में एक अन्य कैफे में ले जाने लगा। ऐसे में आरोपिताें को जमानत का लाभ नहीं दिया जाए। मामले में पीड़िता की ओर से महेश नगर थाने में दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया गया था।
टिप्पणियाँ