नैनीताल उच्च न्यायालय उत्तराखंड में पिरान कलियर संपति के रखरखाव का मामला पहुंच गया है। एक जनहित याचिका में सुनवाई के दौरान उत्तराखंड शासन के अल्पसंख्यक मामलों के सचिव को पेश होना पड़ा है।
नैनीताल हाई कोर्ट ने पिरान कलियर दरगाह हरिद्वार में यात्री विश्राम गृह समेत अन्य सुविधाओं की गुणवत्ता में हुई गड़बड़ी के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की मामले की सुनवाई पर पूर्व के आदेश के अनुक्रम में सचिव अल्पसंख्यक आयोग, धीरज गर्ब्याल कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश होना पड़ा।
उन्होंने कोर्ट से प्रार्थना करते हुए मामले की रिपोर्ट पेश करने के लिए और अधिक समय दिए जाने की मांग की, जिस पर कोर्ट ने पूर्व के आदेश में दिए गए दिशा निर्देशों का अनुपालन करते हुए तीन सप्ताह के भीतर रिपोर्ट पेश करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद की जाएगी।
जानकारी के मुताबिक, हाई कोर्ट ने वर्ष 2017 में इस मामले की जांच कर रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने को कहा था। लेकिन, अभी तक रिपोर्ट पेश नहीं की गई। पूर्व में हुई सुनवाई पर कोर्ट ने सचिव अल्पसंख्यक आयोग को कोर्ट में वीसी के माध्यम से पेश होने को कहा था।
हरिद्वार निवासी मोहम्मद अली ने 2014 में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि वक्फ बोर्ड ने पिरान क्लियर में यात्री विश्राम गृह समेत अन्य सुविधाओं को बनाने के लिए 2 करोड़ रुपये यूपी पेयजल निगम को दिए थे। परंतु निर्माण कार्य शर्तों के अनुसार नहीं हुआ। निर्माण कार्यों में घोर लापरवाही करने के साथ जारी बजट का दुरुप्रयोग किया गया। इसलिए इस मामले की जांच कराई जाए।
वर्ष 2017 में कोर्ट ने इस मामले की जांच कर रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए थे। लेकिन, आज की तिथि तक न मामले की जांच हुई और न ही कोर्ट में रिपोर्ट पेश की गई। जबकि दरगाह के सभी प्रशासनिक कार्य जिलाधिकारी के तत्वाधान में होते हैं। कोर्ट द्वारा इस मामले में शासन और प्रशासन स्तर पर गंभीरता बरतने की हिदायत के बाद अब इस जनहित याचिका पर आगे कार्रवाई की उम्मीद जागी है।
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