गत 22 और 23 मार्च को इंदौर में ‘किलकारी’ नाम से राष्ट्रीय बाल साहित्य संगोष्ठी का आयोजन हुआ। मासिक पत्रिका ‘देवपुत्र’ के पूर्व संपादक स्व. कृष्ण कुमार अष्ठाना की स्मृति में हुई इस संगोष्ठी का उद्देश्य था- बच्चों के लिए साहित्य के महत्व को बढ़ावा देना और इसमें नवाचार लाना। संगोष्ठी में बाल साहित्य के हर पहलू को समेटते हुए इसे आधुनिक समय की चुनौतियों और संभावनाओं से जोड़ा गया।
‘बाल साहित्य में संस्कृति विमर्श’ विषय पर शिव मोहन यादव, रजनीकांत शुक्ल, शीला मिश्र, सत्यनारायण सत्य और घनश्याम मैथिल ‘अमृत’ ने अपने विचार रखे।
वहीं ‘भारत का भविष्य गढ़ता बाल साहित्य’ सत्र को शशि पुरवार और डॉ. प्रीति प्रवीण खरे ने संबोधित किया, तो ‘बाल साहित्य की भाषा’ सत्र में वर्षा कोस्टा, कीर्ति श्रीवास्तव, रोचिका शर्मा, इंदिरा त्रिवेदी और नीना सिंह सोलंकी ने विचार रखे। ‘बाल साहित्य गढ़ता बचपन’ सत्र को ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ ने संबोधित किया।
गोष्ठी में बाल उपन्यास ‘दोस्ती का सफर’ सहित अन्य पुस्तकों का विमोचन भी हुआ। संगोष्ठी ने न केवल साहित्यिक रूप से समृद्ध चर्चा के लिए एक मंच प्रदान किया, बल्कि बच्चों के विकास में बाल साहित्य के महत्व को रेखांकित किया।
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