नई दिल्ली (हि.स.) । केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि देश में नक्सली हिंसा में 81 प्रतिशत की कमी आई है, जबकि नागरिकों और सुरक्षा बलों की मौतों की संख्या में 85 प्रतिशत की कमी आई है।
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) की समस्या से समग्र रूप से निपटने के लिए भारत सरकार (जीओआई) ने 2015 में ‘एलडब्ल्यूई से निपटने के लिए राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना’ को मंजूरी दी थी। नीति में सुरक्षा संबंधी उपायों, विकासपरक हस्तक्षेप, स्थानीय समुदायों के अधिकारों एवं हकों को सुनिश्चित करने आदि से जुड़ी एक बहुआयामी रणनीति की परिकल्पना की गई है। नीति के दृढ़ कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप वामपंथी हिंसा और इसके भौगोलिक विस्तार में लगातार कमी आई है। वामपंथी उग्रवादियों (एलडब्ल्यूई) द्वारा हिंसा की घटनाएं जो 2010 में अपने उच्चतम स्तर 1936 पर पहुंच गई थीं, जो 2024 में घटकर 374 रह गई हैं, यानी 81 प्रतिशत की कमी हुई है। इस अवधि के दौरान कुल मौतों (नागरिक व सुरक्षा बल) की संख्या में भी 85 प्रतिशत की कमी आई है यानी 2010 में 1005 मौतें हुई थीं, जो 2024 में 150 रह गई हैं।
उन्होंने बताया कि पिछले 6 वर्षों के दौरान वामपंथी उग्रवादियों द्वारा की गई हिंसा की घटनाएं जो 2019 में 501 थीं, 2024 में घटकर 374 रह गई हैं, यानी 25 प्रतिशत की कमी। इस अवधि के दौरान कुल मौतों (नागरिक व सुरक्षा बल) की संख्या में भी 26 प्रतिशत की कमी आई है, यानी 2019 में 202 मौतें हुई थीं, जो 2024 में 150 रह गई हैं।
राय ने बताया कि वर्ष 2022 और 2023 में हिंसा में वृद्धि सुरक्षा बलों द्वारा माओवादियों के गढ़ में प्रवेश कर वामपंथी उग्रवाद विरोधी अभियानों में तीव्रता लाने के कारण हुई। उन्होंने बताया कि वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों की संख्या में तेजी से गिरावट हुई है। वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों की संख्या अप्रैल 2018 तक 126 से घटकर 90 रह गई, जुलाई 2021 तक यह संख्या 70 हो गई और फिर अप्रैल 2024 तक यह संख्या 38 रह गई।
गृह राज्य मंत्री ने बताया कि सुरक्षा के क्षेत्र में भारत सरकार (जीओआई) केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बटालियन, राज्य पुलिस बलों के आधुनिकीकरण के लिए प्रशिक्षण और धन, उपकरण और हथियार, खुफिया जानकारी साझा करने, फोर्टिफाइड पुलिस स्टेशनों के निर्माण आदि के माध्यम से क्षमता निर्माण के लिए वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों की सहायता करती है।
उन्होंने बताया कि सुरक्षा संबंधी व्यय (एसआरई) योजना के अंतर्गत सुरक्षा बलों के ऑपरेशन एवं प्रशिक्षण आवश्यकताओं से संबंधित आवर्ती व्यय, आत्मसमर्पण करने वाले वामपंथी उग्रवादियों के पुनर्वास के लिए राज्यों द्वारा किए जाने वाले व्यय, सामुदायिक पुलिस व्यवस्था, ग्राम रक्षा समितियों और प्रचार सामग्री आदि के लिए सहायता प्रदान की जाती है। इस योजना के अंतर्गत 2014-15 से 2024-25 के दौरान 3260.37 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।
राय ने बताया कि विशेष अवसंरचना योजना (एसआईएस) के तहत विशेष खुफिया शाखाओं (एसआईबी), विशेष बलों, जिला पुलिस तथा फोर्टिफाइड पुलिस स्टेशनों (एफपीएस) को मजबूत करने के लिए धनराशि उपलब्ध कराई जाती है। एसआईएस के अंतर्गत 1741 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं। इस योजना के अंतर्गत 226 एफपीएस का निर्माण किया गया है, जबकि पहले 400 एफपीएस का निर्माण किया जा चुका है। इसके अलावा, वामपंथी उग्रवाद प्रबंधन के लिए केंद्रीय एजेंसियों को सहायता (एसीएएलडब्ल्यूईएम) योजना के तहत वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा शिविरों में महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को सुधारने और हेलीकॉप्टरों के लिए 2014-15 से 2024-25 की अवधि के दौरान केंद्रीय एजेंसियों को 1120.32 करोड़ रुपये दिए गए हैं।
उन्होंने बताया कि विकास के मोर्चे पर प्रमुख योजनाओं के अलावा, भारत सरकार ने वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों में कई विशिष्ट पहल की हैं, जिनमें सड़क नेटवर्क के विस्तार, दूरसंचार संपर्क में सुधार, कौशल विकास और वित्तीय समावेशन पर विशेष जोर दिया गया है। सड़क संपर्क के विस्तार के लिए 14,618 किलोमीटर सड़कें बनाई गई हैं। वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में दूरसंचार संपर्क सुधारने के लिए 7,768 टावर लगाए गए हैं। कौशल विकास के संबंध में 46 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) और 49 कौशल विकास केंद्र (एसडीसी) चालू किए गए हैं। जनजातीय क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए 178 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) चालू किए गए हैं। वित्तीय समावेशन के लिए डाक विभाग ने वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों में बैंकिंग सेवाओं के साथ 5731 डाकघर खोले हैं। 1007 बैंक शाखाएं और 937 एटीएम खोले गए हैं और वामपंथी उग्रवाद से सर्वाधिक प्रभावित जिलों में 37,850 बैंकिंग पत्राचार चालू किए गए हैं। विकास को और गति देने के लिए विशेष केंद्रीय सहायता (एससीए) के तहत सार्वजनिक बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण कमी को पूरा करने के लिए धन उपलब्ध कराया जाता है। 2017 में योजना की शुरुआत से अब तक 3563 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं।
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