गत 19 मार्च को पूरी दुनिया के लोगों ने एक इतिहास बनते देखा। यह इतिहास है मानवीय बुद्धि का, मानव की इच्छाशक्ति, तकनीकी कौशल का, विज्ञान का…। जी हां, इसी बुद्धि और इच्छाशक्ति के कारण नौ महीने से अंतरिक्ष में फंसे दो अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री, सुनीता विलिम्यस और बुच विल्मोर सकुशल धरती पर लौट आए। तड़के 3.27 बजे उनका स्पेसएक्स कैप्सूल (यान) फ्लोरिडा की खाड़ी में पैराशूट के जरिए सुरक्षित उतरा। इसे अंतरिक्ष की दुनिया में एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। लेकिन बाकी दुनिया के लिए यह किसी चमत्कार से कम नहीं है।
जब लोग पढ़ते-सुनते थे कि सुनीता और विल्मोर की वापसी लटकती जा रही है, तब उनके मन में तरह-तरह के सवाल पैदा होते थे। लेकिन यान जब फ्लोरिडा की समुद्री सतह पर सुनीता और उनके अन्य तीन साथियों को लेकर उतरा तो दुनिया का शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा, जो हर्षित न हुआ हो। भारत के लोगों के लिए तो यह हर्ष और बड़ा है। भले ही सुनीता अमेरिकी नागरिक हैं, लेकिन उनकी जड़ तो भारत में ही है। भारत की इस बेटी ने दुनिया को चकित कर दिया है। उनका साहस, उनका ज्ञान और उनकी बुद्धिमत्ता के सामने हर कोई नतमस्तक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुनीता के धैर्य की प्रशंसा करते हुए एक्स पर लिखा, ‘‘धरती ने आपको ‘मिस’ किया। आपका यह अनुभव धैर्य, साहस और असीम मानवीय भावना की परीक्षा रहा है। सुनीता विलियम्स और क्रू 9 के अंतरिक्ष यात्रियों ने एक बार फिर हमें दिखाया है कि दृढ़ता का सही अर्थ क्या है। विशाल अनिश्चितता के सामने उनका अटूट दृढ़ संकल्प हमेशा लाखों लोगों को प्रेरित करेगा।’’

प्रधानमंत्री ने सुनीता विलियम्स के बारे में कहा, ‘‘वे एक पथप्रदर्शक और एक ‘आइकन’ हैं। उन्होंने अपने पूरे कॅरियर में इस भावना का उदाहरण दिया है। हम उन सभी पर अविश्वसनीय रूप से गर्व करते हैं, जिन्होंने उनकी सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए अथक परिश्रम किया। उन्होंने दिखाया है कि जब सटीकता जुनून से मिलती है और तकनीक दृढ़ता से मिलती है तो क्या होता है।’’
बता दें कि 5 जून, 2024 को नासा ने बोइंग क्रू फ्लाइट टेस्ट मिशन शुरू किया था। इसके अंतर्गत नासा ने अपने दो अंतरिक्ष यात्रियों सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर को आठ दिन की यात्रा पर भेजा। ये दोनों स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान के जरिए मिशन पर गए थे। यह अंतरिक्ष यात्रियों के साथ अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आई.एस.एस.) के लिए स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान की पहली उड़ान थी। यह मिशन नासा के व्यावसायिक क्रू कार्यक्रम का भाग है। वास्तव में नासा का लक्ष्य है अमेरिका के निजी उद्योग के साथ साझेदारी में आई.ए.एस. तक सुरक्षित, विश्वसनीय और कम लागत के मानव मिशन भेजजा। इसी उद्देश्य से सुनीता और विल्मोर को भेजा गया था, लेकिन तकनीकी गड़बड़ी के कारण समय पर उनकी वापसी नहीं हो पाई।
सुनीता विलियम्स अब तक तीन बार (2004, 2013 और 2024) अंतरिक्ष मिशन पर जा चुकी हैं। आई.एस.एस. पर उन्होंने 608 घंटे बिताए हैं। यह दूसरी सबसे बड़ी अवधि है। सुनीता से आगे केवल पेगी व्हिटमोर हैं, जिन्होंने आई.एस.एस. पर 675 दिन बिताए हैं। इस बार आई.एस.एस. पर सुनीता विलियम्स सबसे लंबे समय यानी 286 दिन तक रहीं। उनकी यह उपलब्धि नासा की रिकॉर्ड बुक में भी दर्ज हुई है। सुनीता की इस उपलब्धि से हर भारतीय गद्गद है।
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