कुणाल कामरा
कथित कॉमेडियन कुणाल कामरा की कथित कॉमेडी के पक्ष में एक बड़ा वर्ग आ गया है। कहा जा रहा है कि अभिव्यक्ति की आजादी शिवसेना (शिंदे) गुट और भाजपा के लोग छीन रहे हैं। कहा जा रहा है कि उन्हें कॉमेडी नहीं करने दी जा रही है आदि आदि! मगर यह वही वर्ग है, जो लगातार उस आजादी के दमन पर मौन रहता है, जो कांग्रेस या शिवसेना (उद्धव गुट), शरद पवार, तृणमूल कांग्रेस, डीएमके, आम आदमी पार्टी आदि के नेता लगातार करते रहते हैं।
कुणाल कामरा को लेकर जो लोग आज अभिव्यक्ति की आजादी की बात कर रहे हैं, उन लोगों की चुप्पी कई मामलों पर दिखी या फिर कहें उनकी सहमति कई मामलों पर दिखी। बात महाराष्ट्र में हुई है तो कुछ चर्चित मामले महाविकास अघाड़ी की सरकार के समय के ही लेते हैं।
1- महाराष्ट्र में एक अभिनेत्री हैं, केतकी चितले। उन्हें वर्ष 2022 में गिरफ्तार कर लिया गया था। उन्होंने एक ऐसी कविता को सोशल मीडिया पर साझा कर दिया था, जिसमें कथित रूप से एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार का मजाक था। केतकी पर दर्जनों एफआईआर दर्ज हुई थीं और केतकी को एक-दो नहीं बल्कि पूरे 41 दिनों तक पुलिस हिरासत में रहना पड़ा था और वह भी केवल और केवल एक फ़ेसबुक पोस्ट के कारण।
2- महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी की सरकार थी। रिपब्लिक चैनल के अर्नब गोस्वामी के पुराने मामले को खोले जाने का बहाना करके उन्हें उनके घर से जबरन उठाया गया। मगर यह सभी को पता था कि अर्नब गोस्वामी ने कथित रूप से सोनिया गांधी पर टिप्पणी की थी और यह उस समय की महाविकास अघाड़ी की सरकार को पसंद नहीं आया था। अर्नब गोस्वामी को पुराने मामलों की आड़ में हिरासत में लिया गया था और इतना ही नहीं रिपब्लिक के सभी कर्मचारियों पर एफआईआर दर्ज कराई गई थी।
3- अभिनेत्री कंगना रनौत के बंगले के एक हिस्से को जब बीएमसी ने तोड़ा था तो कुणाल कामरा ने इस कार्यवाही का समर्थन किया था और साथ ही शिवसेना (उद्धव) गुट के नेता संजय राऊत के साथ बैठकर बुलडोजर लेकर कंगना का मजाक भी उड़ाया था। \
4- कुणाल ने पत्रकार अर्नब गोस्वामी का भी अपमान किया था और उसने इंडिगो एयरलाइंस में अर्नब का अपमान करते हुए कहा था कि “मैं कायर अर्नब से उसकी पत्रकारिता के बारे में पूछ रहा हूं, और वह ठीक वही कर रहा है जिसकी मुझे उससे उम्मीद थी.” जैसे-जैसे विवाद बढ़ता गया, इंडिगो, स्पाइसजेट, गोएयर और एयर इंडिया ने कामरा पर प्रतिबंध लगा दिया।
5- महाराष्ट्र में जब महाविकास अघाड़ी की सरकार थी तो उस समय एक सेवानिवृत्त नौसैनिक मदन शर्मा पर इसलिए उद्धव गुट के शिवसैनिकों ने हमला कर दिया था, क्योंकि उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर एक कार्टून साझा कर दिया था और उसके बाद संजय राऊत ने यहां तक कहा था कि उनसे पूछकर तो हमला किया नहीं था।
कुछ मामले गैर-भाजपा शासित राज्यों के, जहां पर अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोंटा गया
1- जब महाराष्ट्र से लेकर पूरे देश में गैर-एनडीए दलों के नेता कुणाल कामरा को लेकर अभिव्यक्ति की आजादी की बात कर रहे हैं, तो उसी समय तमिलनाडु में चेन्नई में यूट्यूबर सावुक्कू शंकर के घर पर हमला हुआ है। उनके घर पर सीवर का पानी भर दिया गया है और उन्हें जान से मारने की भी धमकी मिली है। शंकर का दोष इतना है कि उन्होनें सीवर ट्रकों की खरीद में हुए भ्रष्टाचार को लेकर एक बड़ा खुलासा किया था. इसी के बाद से वे निशाने पर थे।
2- बात जब तमिलनाडु की हो तो मनीष कश्यप की बात न हो, ऐसा हो नहीं सकता है। मनीष कश्यप ने तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों के साथ हो रहे अन्याय को दिखाया था तो उन पर तमिलनाडु सरकार ने एनएसए अर्थात राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लगा दिया था।
3- इसके बाद आम आदमी पार्टी की यदि बात करें तो लोगों को याद होगा कि पूर्व मुख्यमंत्री केजरीवाल के शीशमहल के विषय में खुलासा करने पर किस तरह से टाइम्स नाऊ नवभारत के पत्रकारों को पंजाब में गिरफ्तार किया गया था। एक महिला पत्रकार पर एससी/एसटी एक्ट तक लगा दिया गया था।
4- कैपिटल टीवी के खिलाफ भी केवल इसलिए पंजाब में केस दर्ज कर दिया गया था क्योंकि उन्होंने आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा पर एक वीडियो दिखा दिया था। केस में शिकायत थी कि उनका वीडियो दो समुदायों के बीच टकराव बढ़ा सकता है, जबकि वीडियो में कंटेन्ट यह था कि पंजाब के राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा आंखों के इलाज के लिए इंग्लैंड गए हैं और वे पंजाब के युवाओं को सफेद नशे की ओर धकेल रहे हैं। इसे लेकर कैपिटल टीवी के पत्रकारों के साथ ही उनके एडिटर इन चीफ को भी गिरफ्तार करने की योजना थी। हालांकि केस कोर्ट से खारिज हो गया था।
5- यूट्यूबर रचित कौशिक का मामला तो लोग भूले ही नहीं होंगे, जब उन्हें नो कन्वर्शन नामक खाते की एक पोस्ट साझा करने के आरोप में शादी समारोह के रास्ते से ही पंजाब पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। जबकि रचित कौशिक ने कहा था कि उन्हें इसलिए गिरफ्तार किया गया था क्योंकि उन्होंने अपने चैनलों पर अरविंद केजरीवाल, उनके परिवार और पंजाब सरकार के संबंध में कुछ तथ्य प्रस्तुत किए।’
6- तृणमूल कांग्रेस की नेता और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर एक कटाक्ष करने वाला कार्टून साझा करने को लेकर जादवपुर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अंबिकेश महापात्रा को गिरफ्तार कर लिया गया था और उन्हें पूरे ग्यारह वर्ष उपरांत पिछले वर्ष दोषमुक्त करार दिया गया। उन्हें वर्ष 2012 में गिरफ्तार किया गया था।
7- और सबसे ताजा मामला है तेलंगाना में दो महिला यूट्यूबर्स की गिरफ़्तारी का। तेलंगाना में दो महिला यूट्यूबर्स को 14 मार्च 2025 को इसलिए तड़के ही हिरासत में ले लिया गया क्योंकि उन्होनें एक ऐसा वीडियो साझा किया था जिसमें खुद को किसान बताने वाला एक व्यक्ति मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग कर रहा है। उन्होंने विधानसभा में भी धमकी देते हुए कहा कि अभद्रता करने पर वे छोड़ेंगे नहीं। यह भी कहा था कि यूट्यूब चैनल शुरू करके किसी को भी पत्रकार नहीं माना जा सकता है और मान्यता प्राप्त पत्रकारों की लिस्ट तैयार करने का निर्देश दिया है।
ये ऐसे मामले हैं, जो मुख्य हैं। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात करने वाले लोग यदि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात करते हैं तो वह सभी के लिए होनी चाहिए। केवल अपने-अपने खेमे के लोगों के लिए नहीं।
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