अहमदाबाद (हि.स.) | गुजरात विश्वविद्यालय द्वारा आम आदमी पार्टी के संयोजक व दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एवं राज्यसभा सदस्य संजय सिंह के खिलाफ दायर मानहािानि के मामले में बड़ा फैसला दिया है। अहमदाबाद के सत्र न्यायालय में दोनों नेताओं पर दस-दस हजार जुर्माने के साथ सत्र अदालत ने पुनरीक्षण याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार कर ली है। इससे पूर्व मेट्रो कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया था। तय समय सीमा बीत जाने के बाद दोनों नेताओं ने अधिवक्ता के माध्यम से मंगलवार को सत्र न्यायालय पहुंचे और याचिका दाखिल की थी।
आप नेता अरविंद केजरीवाल और संजय सिंह ने गुजरात विश्वविद्यालय द्वारा जारी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की डिग्री पर सवाल उठाए थे। इसके बाद वर्ष 2023 में गुजरात विश्वविद्यालय प्रशासन ने आम आदमी पार्टी के दोनों नेताओं के खिलाफ अहमदाबाद मेट्रो कोर्ट में मानहानि का मुकदमा दायर किया था। आरोप लगाया गया था कि दोनों ने प्रधानमंत्री की डिग्री पर सवाल उठाकर गुजरात विश्वविद्यालय को बदनाम किया है। सुनवाई के बाद मेट्रो कोर्ट में दोनों के खिलाफ आरोप तय हो चुके हैं। इसके खिलाफ वर्ष 2023 में ही आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने मेट्रो कोर्ट में याचिका दायर कर अपने और संजय सिंह के लिए अलग-अलग सुनवाई की मांग की थी। मेट्रो कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी।
अरविंद केजरीवाल ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि वह ईडी के एक मामले का सामना कर रहे हैं। वे जेल में भी रहे। पहले लोकसभा चुनाव और फिर दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रचार करने का समय दिया गया। उन्हें हरियाणा और जम्मू-कश्मीर चुनावों में प्रचार करने जाना पड़ा। वह मधुमेह और रक्तचाप से भी पीड़ित हैं। इसलिए 308 दिन बाद पुनरीक्षण याचिका दायर की गई है। इसके लिए माफ कर दिया जाए।
दूसरी ओर संजय सिंह ने भी दलील दी कि उनका आवेदन 346 दिन देरी से दायर किया गया है। उन्होंने कुछ समय जेल में भी बिताया। वह राज्यसभा सदस्य हैं। इसलिए वह संसद सत्र में उपस्थित रहे। इस तरह तमाम दायित्वों के चलते पर्याप्त समय नहीं मिला। आवेदन में देरी को नजरअंदाज करते हुए पुनरीक्षण आवेदन स्वीकार किया जाए।
उधर अदालत में गुजरात विश्वविद्यालय की ओर से अधिवक्ता अमित नायर ने आप नेताओं की याचिकाओं का जमकर विरोध किया। कहा कि मेट्रो कोर्ट के आदेश को चुनौती देने के लिए दोनों के पास पर्याप्त समय था, लेकिन उन्होंने अपना समय बर्बाद कर दिया। दोनों ही विश्वविद्यालय के मानहानि मामले की सुनवाई में देरी करने की कोशिश कर रहे हैं।
दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं को सुनने के बाद सत्र न्यायालय ने याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार कर ली। अदालत ने कहा कि यह बात यही है कि देरी से याचिका दाखिल की गई है। लेकिन बहुत अधिक तकनीकी होकर किसी के साथ अनुचित व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए। न्याय हित में देरी से आवेदन का समय माफ करते हुए अदालत ने अरविंद केजरीवाद व संजय सिंह पर 10-10 हजार रुपये विश्वविद्यालय को अदा करने के साथ ही पुनरीक्षण याचिका स्वीकार कर ली। विश्वविद्यालय के अधिवक्ता अमित नायर ने पुनरीक्षण याचिका सुनवाई को स्वीकार होने की पुष्टि की है।
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