सरकार ने एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम) से जुड़े नए नियमों की घोषणा की है, जो 1 अप्रैल 2025 से लागू होंगे। इस बदलाव का उद्देश्य छोटे उद्योगों को और अधिक अवसर प्रदान करना और उन्हें बढ़ने में मदद करना है। अब एमएसएमई की पहचान निवेश और टर्नओवर के आधार पर होगी। पहले से अधिक निवेश और टर्नओवर वाले उद्योग भी एमएसएमई में शामिल हो सकेंगे।
यदि किसी कंपनी ने 2.5 करोड़ रुपये तक का निवेश किया है, तो उसे सूक्ष्म उद्यम माना जाएगा, जबकि पहले यह सीमा 1 करोड़ रुपये थी। लघु उद्यमों के लिए निवेश की सीमा 25 करोड़ रुपये तक बढ़ाई गई है, जो पहले 10 करोड़ रुपये थी। मध्यम उद्यमों के लिए यह सीमा 125 करोड़ रुपये तक बढ़ाई गई है, जो पहले 50 करोड़ रुपये थी।
टर्नओवर के हिसाब से बदलाव
टर्नओवर के हिसाब से भी सीमा में बदलाव किया गया है। सूक्ष्म उद्यमों का टर्नओवर 10 करोड़ रुपये तक माना जाएगा, जबकि पहले यह सीमा 5 करोड़ रुपये थी। लघु उद्यमों के लिए टर्नओवर की सीमा 50 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 100 करोड़ रुपये कर दी गई है। वहीं, मध्यम उद्यमों के लिए यह सीमा 500 करोड़ रुपये कर दी गई है, जो पहले 250 करोड़ रुपये थी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में कहा था कि इन बदलावों से एमएसएमई सेक्टर को मजबूती मिलेगी और देश की अर्थव्यवस्था में योगदान बढ़ेगा। छोटे उद्यमों को अधिक प्रौद्योगिकी और वित्तीय सहायता मिलेगी, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और युवाओं को रोजगार मिलेगा।
इस बदलाव से छोटे व्यापारियों को बड़ी राहत मिलेगी, क्योंकि अब वे बिना किसी डर के अपना कारोबार बढ़ा सकेंगे और सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे। यह कदम देश के विकास में अहम योगदान करेगा और एमएसएमई को और अधिक सफलता हासिल करने में मदद करेगा।
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