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सपा सांसद का शर्मनाक बयान : तुष्टिकरण के लिए राणा सांगा को कहा-गद्दार, कैसे भूल गए खानवा में उनका बलिदान.?

सपा सांसद रामजी लाल सुमन ने राणा सांगा पर शर्मनाक बयान देकर ना केवल अपने अधूरे ज्ञान बल्कि अपनी पार्टी की तुष्टिकरण नीति का भी परिचय दिया है। जानिए एक आंख, एक हाथ और एक पैर खोकर भी युद्ध लड़ने वाले शूरवीर की कहानी

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SHIVAM DIXIT

नई दिल्ली । समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद रामजी लाल सुमन ने राज्यसभा में एक ऐसा बयान दे डाला, जिसने इतिहास के महान योद्धा राणा सांगा के बलिदान और शौर्य को अपमानित कर दिया। उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, “अगर मुसलमान बाबर की औलाद हैं, तो तुम लोग गद्दार राणा सांगा की औलाद हो।” यह बयान न सिर्फ ऐतिहासिक तथ्यों की गलत व्याख्या करता है, बल्कि उस वीर राजपूत शासक की गौरवशाली गाथा को भी कलंकित करता है, जिसने विदेशी आक्रांताओं के खिलाफ अपनी आखिरी सांस तक लड़ाई लड़ी। इस बयान से सदन में हंगामा मच गया और भाजपा ने सपा पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कड़ा जवाब दिया।

क्या हुआ सदन में?

राज्यसभा में उपसभापति हरिवंश को संबोधित करते हुए सपा सांसद रामजी लाल सुमन ने कहा, “भाजपा का तकियाकलाम है कि मुसलमानों में बाबर का डीएनए है। लेकिन हिंदुस्तान का मुसलमान बाबर को आदर्श नहीं मानता, वह मोहम्मद साहब और सूफी संतों को मानता है। बाबर को भारत कौन लाया? राणा सांगा ने इब्राहिम लोदी को हराने के लिए बाबर को बुलाया था। अगर मुसलमान बाबर की औलाद हैं, तो तुम गद्दार राणा सांगा की औलाद हो। हम बाबर की आलोचना करते हैं, लेकिन राणा सांगा की क्यों नहीं?”

इस बयान से सदन में शोर मच गया। उपसभापति हरिवंश ने नाराजगी जताते हुए संसदीय मर्यादा का पालन करने की हिदायत दी, लेकिन सुमन के शब्दों ने पहले ही आग लगा दी थी।

बाबर को भारत में किसने बुलाया, जानिये

बाबर को भारत में दौलत खान लोदी ने बुलाया था। दौलत खान लोदी उस समय पंजाब का सूबेदार था और उसने इब्राहिम लोदी, जो दिल्ली सल्तनत का सुल्तान था, के खिलाफ विद्रोह कर दिया था। इब्राहिम लोदी की बढ़ती ताकत और अपने प्रभाव को कम होते देख दौलत खान ने बाबर से मदद मांगी। बाबर उस समय काबुल का शासक था और उसने इस अवसर का फायदा उठाया। बाबर ने 1526 में भारत पर आक्रमण किया, जिसके परिणामस्वरूप पानीपत की पहली लड़ाई हुई। इस लड़ाई में उसने इब्राहिम लोदी को हराकर मुगल साम्राज्य की नींव रखी।

राणा सांगा के बलिदान और शौर्य की अमर गाथा

राणा सांगा, जिनका पूरा नाम महाराणा संग्राम सिंह था, मेवाड़ के सिसोदिया वंश के एक महान शासक थे, जिन्होंने 1508 से 1528 तक शासन किया। वे न केवल राजपूतों के एकीकरण के प्रतीक थे, बल्कि विदेशी आक्रांताओं और सुल्तानों के खिलाफ उनके संघर्ष ने उन्हें इतिहास में अमर कर दिया।

राणा सांगा ने अपने जीवन में 18 बड़े युद्ध लड़े और अपने शरीर पर 80 से अधिक घाव खाए, फिर भी कभी हार नहीं मानी। उनकी वीरता का सबसे बड़ा प्रमाण बाबर के साथ 1527 में हुआ खानवा का युद्ध है।

राणा सांगा का संघर्ष सिर्फ बाबर तक सीमित नहीं था। उन्होंने दिल्ली सल्तनत के सिकंदर खान लोदी, गुजरात के सुल्तान महमूद बेगड़ा और मालवा के सुल्तान महमूद खिलजी जैसे शक्तिशाली आक्रान्ताओं को भी हराया था। एक आंख, एक हाथ और एक पैर खोने के बावजूद वे युद्धभूमि में डटे रहे, जो उनके अदम्य साहस को दर्शाता है।

समाजवादी पार्टी के सांसद रामजी लाल सुमन द्वारा यह कहना कि वे “गद्दार” थे, न केवल उनके बलिदान का अपमान है, बल्कि उस ऐतिहासिक सत्य को भी तोड़ता-मरोड़ता है, जिसमें उन्होंने भारत की अस्मिता की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।

भाजपा का पलटवार और राजनीतिक हंगामा

समाजवादी पार्टी के सांसद रामजी लाल सुमन के इस आपत्तिजनक बयान के बाद भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया दी। भाजपा नेता संजीव बालियान ने कहा- “रामजी लाल सुमन ने संसद में महान वीर राणा सांगा को गद्दार कहकर राजपूत और हिंदू समाज का घोर अपमान किया है। सपा को इसके लिए देश से माफी मांगनी चाहिए।”

मनोज तिवारी ने इसे औरंगजेब को महिमामंडन करने की कोशिश से जोड़ा और कहा- “हमने कभी नहीं कहा कि मुसलमान बाबर के वंशज हैं। औरंगजेब देश का शत्रु था, लेकिन सपा तुष्टिकरण के लिए हमारे नायकों को बदनाम कर रही है।”

वहीं यूपी भाजपा ने सोशल मीडिया पर लिखा- “सपा के नेता अपने संस्कारों के अनुरूप तुष्टिकरण की सियासत में इस कदर डूब चुके हैं कि वो विदेशी आक्रांताओं का महिमामंडन करने के लिए भारतीय महापुरुषों को अपमानित करने में जरा सा भी परहेज नहीं करते। ससंद में सपा सांसद रामजी लाल सुमन की टिप्पणी बेहद शर्मनाक है, उन्हें अपने इस बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए।”

तुष्टिकरण के चक्कर में शूरवीरों का अपमान क्यों.?

राणा सांगा को गद्दार कहना न सिर्फ ऐतिहासिक अज्ञानता है, बल्कि उन लाखों लोगों की भावनाओं पर चोट है, जो उन्हें एक प्रेरणा मानते हैं। उनका जीवन बलिदान, शौर्य और स्वाभिमान की मिसाल है। सपा के सांसद रामजी लाल सुमन का यह बयान तुष्टिकरण की राजनीति का हिस्सा हो सकता है, लेकिन यह देश के गौरवशाली इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने की कोशिश है। बाबर एक आक्रांता था, लेकिन राणा सांगा ने उसका मुकाबला किया, न कि उसका साथ दिया। ऐसे में सपा को अपने इस बयान पर माफी मांगनी चाहिए और इतिहास के साथ छेड़छाड़ बंद करनी चाहिए।

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