बांग्लादेश में मुहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली इस्लामिक सरकार के संरक्षण में हिन्दुओं पर किए जा रहे अत्याचार का विरोध कर रहे इस्कॉन (ISCKON) संत चिन्मय कृष्ण दास (चिन्मय कृष्ण प्रभु) ने जेल में ही आमरण अनशन करना शुरू कर दिया है। इस बात की पुष्टि इस्कॉन कोलकाता के उपाध्यक्ष राधारमण दास ने की है।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अब हमें केवल एक मात्र उम्मीद डोनाल्ड ट्रंप और तुलसी गबार्ड से है कि वो हिन्दुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों के खिलाफ एक्शन लेंगे। राधारमण दास कहते हैं कि दुनिया को अब अपनी नींद से जाग जाना चाहिए और एक भिक्षु के साथ किए जा रहे अन्याय के खिलाफ आवाज को उठाना चाहिए। रिपोर्ट्स के अनुसार, पिछले साल अक्तूबर से जेल में बंद चिन्मय कृष्ण प्रभु की तबीयत लगातार बिगड़ती जा रही है। क्योंकि उन्हें जेल में बुनियादी चीजें तक नहीं दी जा रही हैं।
हिन्दुओं के खिलाफ हो रहे हमले खिलाफ उठाई थी आवाज
बांग्लादेश में 5 अगस्त 2025 को शेख हसीना की सरकार के गिरने के बाद मुस्लिम कट्टरपंथियों द्वारा हिन्दुओं पर किए जा रहे हमले के विरोध में हिन्दू समूह सम्मिलिता सनातनी जोत के प्रमुख नेता और इस्कॉन के अध्यक्ष चिन्मय कृष्ण प्रभु ने अवाज उठाई थी। चिन्मय कृष्ण के नेतृत्व में हिन्दुओं पर हो रहे हमले के विरोध में चटगांव के लालदीघी मैदान एक रैली निकाली गई। बाद में चिन्मय कृष्ण दास प्रभु को ढाका एयरपोर्ट पर बांग्लादेश जासूसी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। वह ढाका से चटगांव जाने के लिए हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचे थे। तभी उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
उन पर देशद्रोह का आरोप लगाया गया। 30 अक्टूबर को बांग्लादेश में राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप लगाकर चिन्मय प्रभु समेत 19 लोगों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया था।
चिन्मय कृष्ण दास के खिलाफ शिकायत बीएनपी नेता दर्ज कराया
चिन्मय कृष्ण प्रभु के प्रदर्शनों से कट्टरपंथियों की चूलें हिल गई थीं। उन्हें गिरफ्तार करने के लिए बीएनपी के एक नेता ने ही देशद्रोह का केस दर्ज कराया। आरोप ये लगाया गया कि चटगांव रैली के दौरान उन्होंने बांग्लादेशी झंडे का अपमान किया था। उनकी गिरफ्तारी के बाद कट्टरपंथी सरकार ने इस्कॉन को कट्टरपंथी संगठन घोषित कर दिया गया था।
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